कल्याण सिंह के शव पर तिरंगे के ऊपर बीजेपी के झंडे ने दो नजरिये पेश किये हैं!
कल्याण सिंह के पार्थिव शरीर की तस्वीरें इंटरनेट पर वायरल हो रही हैं. कल्याण सिंह के पार्थिव शरीर के पास पीएम मोदी समेत भाजपा के तमाम बड़े नेता खड़े हुए हैं वहीं नड्डा सिंह को श्रद्धांजलि अर्पित कर रहे हैं. तस्वीरों में देखा जा सकता है कि कल्याण सिंह के शव के ऊपर पहले तिरंगा डाला गया है फिर उसके ऊपर भाजपा का झंडा रखा गया है. सवाल अब भाजपा से हो रहे हैं.
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राममंदिर आंदोलन में अपने मुखर वक्तव्यों से सक्रिय भूमिका निभाने वाले फायर ब्रांड नेता, हिंदू हृदय सम्राट और उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री कल्याण सिंह लंबी बीमारी के बाद इस दुनिया को अलविदा कह चुके हैं. कल्याण सिंह का पार्टी में कद कैसा था इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि स्वयं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ पहुंचे और उन्होंने कल्याण सिंह को श्रद्धा सुमन अर्पित किए. यूपी के पूर्व सीएम के निधन की खबर अभी फैली भी नहीं थी कि उनके अंतिम दर्शन करने वालों का तांता लग गया. कल्याण सिंह की अंतिम तस्वीरें सोशल मीडिया पर वायरल हैं जिन्होंने एक नए विवाद का श्री गणेश कर दिया है. इंटरनेट पर वायरल हो रही तस्वीरों में उनके पार्थिव शरीर पर तिरंगे झंडे के ऊपर भाजपा का झंडा लगाया गया है. फेसबुक ट्विटर पर लोग सवाल भाजपा से कर रहे हैं वहीं चर्चा ये भी है कि ऐसा भाजपा के अध्यक्ष जेपी नड्डा द्वारा किया गया है.
पीएम मोदी समेत शीर्ष भाजपा नेताओं की उपस्थिति में कल्याण सिंह के शव को पहले तिरंगे से लपेटा गया फिर उसपर भाजपा का झंडा रखा गया
मामले के मद्देनजर भाजपा से सवाल हो रहे हैं कि तिरंगे, राष्ट्र और राष्ट्रवाद के मद्देनजर भाजपा की करनी और कथनी में बड़ा अंतर है. भाजपा बताए कि क्या उसका झंडा अब देश और देश के झंडे से बढ़कर हो गया है?
सोशल मीडिया पर यूजर्स भाजपा के इस कृत्य के लिए भारतीय ध्वज संहिता 2002 का हवाला दे रहे हैं और बता रहे हैं कि ऐसा करना राष्ट्रद्रोह की श्रेणी में आता है.
भारतीय ध्वज संहिता-2002 के नियम के अनुसार राष्ट्रीय ध्वज के ऊपर या बगल में कोई अन्य ध्वज नही लगाया/रखा जा सकता है।ये राष्ट्रद्रोह है। pic.twitter.com/IvmaRjmZWf
— Abhay Tiwari (@AbhayIndia) August 22, 2021
झंडे ने लोगों को कांग्रेस- बीजेपी करने का भरपूर मौका दे दिया है.
देश में मुद्दा कोई भी हो, बात कहीं से भी उठे बड़ा वर्ग है जो चीजों को ठीक वैसे देखता है जैसी सुचिता हो, जैसी सुविधा मिले. मौजूदा राजनीतिक परिदृश्य में जैसे हालात हैं हर चीज में कांग्रेस, बीजेपी होता है साथ ही ये भी प्रश्न उठते हैं कि यदि राहुल गांधी ऐसा करते तो? ये चीज इस मामले में भी देखने को मिली है.
As one who had to fight a court case for four years merely for placing my hand on my heart during the singing of the National Anthem (rather than standing stiffly to attention),I think the nation should be told how the ruling party feels about this insult: https://t.co/F4nO2wKOOz
— Shashi Tharoor (@ShashiTharoor) August 22, 2021
मामले के तहत सोशल मीडिया पर एक आबादी ऐसी भी है जो तस्वीर को गौर से देखने की बात कहते हुए कह रही है कि अगर कांग्रेस पार्टी ने ऐसा किया होता तो अब तक कांग्रेस के नेताओं के खिलाफ एफआईआर हो गयी होती. सोशल मीडिया एन्टी कांग्रेस ट्वीट से पटा पड़ा होता. वहीं जो पक्ष अपने को लिबरल कहता है वो भी इस कृत्य के लिए कांग्रेस पार्टी को नीति के दोहे समझा सिखा रहा होता.
Unfortunate that the tricolour was insulted even though it might be unintentional. Utmost care should have been taken to follow the flag code. #IndianFlag #KalyanSingh pic.twitter.com/DoHS8ks0aT
— ruchi kokcha (@ruchikokcha) August 22, 2021
चूंकि मामला भाजपा से जुड़ा है और साथ ही लखनऊ में ये सब पीएम मोदी की आंखों जे सामने हुआ है तो एजेंडे से लेकर नैरेटिव तक लगभग हर एक बिंदु पर बात हो रही है. लाजमी है कि लोग इस मामले में पीएम मोदी की टांग खींचने में लग गए हैं.
जिन्हें राष्ट्रगान पर या तिरंगे के सामने खड़े होने से ऐतराज रहा है, उन्हें आज तिरंगे का सम्मान याद आ गया.
सोशल मीडिया बड़ी दिलचस्प चीज है. उतनी तेजी से गिरगिट भी रंग नहीं बदलता जितनी तेजी से यहां जनता जनार्धन का 'थॉट' चेंज होता है. मामला कोई भी हो जैसा लोगों का रवैया चीजों के प्रति बदलता है कहीं न कहीं दोगलेपन की झलक हमें साफ दिखाई / सुनाई देती है.
ठीक है मृत्यु के बाद भले ही कल्याण सिंह के शव को तिरंगे में लपेटा गया हो उसके ऊपर भाजपा का झंडा रखा गया हो लेकिन लोगों को ऐतराज किस बात पर है? क्या विरोध का कारण कल्याण सिंह का भाजपा से जुड़ा होना है या फिर लोग इसलिए मुखर होकर इस घटना की आलोचना कर रहे हैं क्यों कि वहां देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मौजूद थे.
BJP's flag appeared over the tricolor during Kalyan Singh's last darshan. And then they talk about Nationalism! Shameless and spineless regime! #BJPInsultedTricolor #FarmersProtest pic.twitter.com/fKbCaTIW3U
— Raghav Singh (@iRaghav_Nsui) August 23, 2021
देखिए बात बेहद सीधी और शीशे की तरह साफ है. कल्याण सिंह के शव पर तिरंगे के ऊपर भाजपा का झंडा रखने के इस मामले में तिरंगे के सम्मान और राष्ट्रवाद वाली बात तो कहीं है ही नहीं. यहां सारा खेल सुचिता और सुविधा का है.
सवाल ये है कि वो लोग जिन्हें पिक्चर देखते वक़्त सिनेमा हॉल में बजने वाले राष्ट्रगान से दिक्कत होती थी. जो घर आकर इस चीज के विरोध में मीलों लंबी फेसबुक पोस्ट लिखते थे. वो लोग जो 26 जनवरी और 15 अगस्त को सड़क पर गिरे तिरंगे को देखकर उसे नजरअंदाज कर देते थे या निगाहें इधर उधर कर लेते थे अगर आज ये लोग कल्याण सिंह वाले मामले पर बोल रहे थे तो इन्हें किसी तरह का तर्क करने का कोई हक नहीं है.
ऐसे लोग सिर्फ और सिर्फ दोगलेपन की पराकाष्ठा का परिचय दे रहे हैं और दिलचस्प यह कि ये सब सोशल मीडिया पर चंद लाइक, कमेंट, शेयर के लिए फैन और फॉलोवर पाने के लिए किया जा रहा है. जनता खुद इसका फैसला करे कि क्या ऐसे लोगों को भारतीय ध्वज संहिता 2002 को कोट कर बोलने का हक़ है?
बहरहाल कल्याण सिंह इस दुनिया से जा चुके हैं. अब उनसे जुड़ी केवल स्मृतियां ही शेष हैं. भले ही उनकी इच्छा रही हो कि मरने के बाद उनके शव को भाजपा के झंडे में लपेटा जाए और अब जबकि उससे भी बढ़कर हुआ है तो भी उनकी आत्मा को इससे कोई विशेष फर्क नहीं पड़ा होगा.
कल्याण सिंह जैसे फायर ब्रांड नेता के लिए हालिया दौर बदहाली से भरा था. उन्हें कहीं न कहीं इस बात का मलाल जरूर रहा होगा कि एक जमाने में जो बाग उन्होंने अपना तन मन धन देकर लगाया था. जिसे उन्होंने सींचा था आज उस बाग से जब फल निकले, तो उन्हें उससे वंचित रखा गया. कल्याण सिंह जहां कहीं भी हों ईश्वर उन्हें अपनी शरण में लेकर उनकी आत्मा को शांति दे.
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