भाजपा-जेडीयू के बीच टूट की 3 वजहें: चिराग मॉडल, आक्रामक भाजपा और आरसीपी...!
बिहार में भाजपा और जेडीयू के बीच का बरसों पुराना गठबंधन टूट चुका है. नीतीश कुमार और भाजपा के बीच यह दूरी एक दिन में नहीं बनी है. चाहे वो चिराग पासवान हों या फिर आरसीपी इस अलगाव के पीछे कई घटनाएं जिम्मेदार हैं.
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बिहार की सियासत ने नया आकार ले लिया है. भारतीय जनता पार्टी और जेडीयू के अलगाव की औपचारिक घोषणा के साथ-साथ नीतीश कुमार राजद + कांग्रेस + हम पार्टी + लेफ्ट दलों के साथ नई सरकार बनाएंगे. नीतीश कुमार और राजद में नजदीकियां लगातार बढ़ रही थी जिसे मंगलवार 9 अगस्त को राजद के साथ आकर नीतीश ने पुष्ट कर दिया. नीतीश कुमार और भाजपा के बीच यह दूरी एक दिन में नहीं बनी है. इस अलगाव के पीछे कई घटनाएं जिम्मेदार है जिसके कारण भाजपा और जेडीयू के बीच चिंगारी सुलगती रही.
चिराग पासवान की वजह से विधानसभा चुनाव में जेडीयू को नुकसान झेलना पड़ा. नीतीश कुमार की पार्टी का आरोप है कि भाजपा लगातार नीतीश का कद घटाने की कोशिश करती रही. सबसे बड़ा आरोप 2020 के विधानसभा चुनाव के दौरान लगा. जेडीयू के मुताबिक भाजपा ने चिराग पासवान को आगे कर उनको सीटों का नुकसान पहुंचाया था.
बिहार की राजनीति में भाजपा और जेडीयू का गठबंधन टूट चुका है इस टूट के पीछे कई अहम वजहें हैं
चुनाव परिणाम आने के बाद नीतीश ने कहा था 'मुझे पता ही नहीं चला कि कौन दुश्मन था कौन दोस्त था.' चिराग पासवान लगातार नीतीश पर हमलावर रहते हैं. आरसीपी सिंह और भाजपा में बढ़ती नजदीकियां आरसीपी सिंह, नीतीश कुमार के सबसे वफादार सिपहसालार माने जाते थे. केन्द्र में मंत्री बनने के बाद आरसीपी और भाजपा के बीच काफी नजदीकियां बढ़ गई थी.'
जेडीयू के मुताबिक भाजपा आरसीपी का सहारा लेकर पार्टी तोड़ने का हर संभव प्रयास कर रही थी. मीडिया रिपोर्टो के मुताबिक केंद्रीय मंत्रिमंडल में उचित भागीदारी न मिलने के कारण भी नीतीश कुमार नाराज चल रहे थे. नीतीश कुमार केंद्रीय मंत्रीमंडल में समान अनुपात में प्रतिनिधित्व चाहते थे. इस समय बिहार में दोनों दलों के 16-16 लोकसभा सांसद हैं. जेडीयू चाहती थी कि बिहार कोटे से भाजपा के जितने मंत्री केंद्र में हैं उतने ही मंत्री जेडीयू से भी बनाया जाना चाहिए.
भाजपा की आक्रमक राजनीति से परेशान नीतीश... भारतीय जनता पार्टी काफी समय से बिहार में आक्रमक होकर काम रही है. नीतीश इस बात को लेकर काफी असहज थे. कई मुद्दों पर दोनों दल अलग-अलग स्टैंड रखते थे. हाल ही में आए अग्निवीर नियम को लेकर भी दोनों दलों ने एक दूसरे के खिलाफ जमकर बयानबाजी की थी.
अग्निवीर की घोषणा के बाद बिहार में हुए हंगामे पर भाजपा और जदयू के बड़े नेताओं की जुबानी जंग ने दोनों पार्टियों के बीच खराब होते रिश्ते को दिखाया. भाजपा ने इस बार अपना विधानसभा अध्यक्ष बनवाया था, कई मुद्दों को लेकर विधानसभा सत्र के दौरान विधानसभा अध्यक्ष विजय कुमार सिन्हा और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के बीच हुई नोक-झोंक भी दोनों पार्टियों के खराब होतो रिश्तों के बीच ट्रिगर पॉइंट का काम करती दिखी.
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