ज्योतिरादित्य सिंधिया संग तस्वीर पर घटिया टिप्पणी करने वालों को इमरती देवी का करारा जवाब
कांग्रेस को भावनाओं की समझ नहीं है, महाराज मेरे भगवान हैं, वे मेरे पिता समान हैं. जिसे जो समझना है समझे, मुझे कोई परवाह नहीं है. यह कहते हुए पूर्व मंत्री इमरती देवी ने ट्रोलर्स को करारा जवाब दिया है. कितना दुखद है कि किसी महिला को सफाई देनी पड़ रही है.
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कांग्रेस को भावनाओं की समझ नहीं है, महाराज मेरे भगवान हैं, वे मेरे पिता समान हैं. जिसे जो समझना है समझे, मुझे कोई परवाह नहीं है. यह कहते हुए पूर्व मंत्री इमरती देवी ने ट्रोलर्स को करारा जवाब दिया है. कितना दुखद है कि किसी महिला को सफाई देनी पड़ रही है. ऐसे लोग महिलाओं के सम्मान करने का सिर्फ ढोंग ही करते हैं जबकि मौका मिलते ही लांक्षन लगाने के लिए तैयार रहते हैं.
ये सब देखकर सुनकर लगता है कि यार, ऐसी ओछी सोच रखने वाले लोग किस जमाने में जी रहे हैं. एक महिला नेता पर इस तरह की अभद्र टिप्पणी करने का क्या मतलब, वो भी वे लोग जो खुद को समाज का मार्गदर्शक बताते हैं. अब नेता ही तो आज समाज के कर्ता-धर्ता हैं. जब अगर इनकी ही सोच इतनी गिरी हुई होगी तो दूसरे लोगों से कोई क्या ही उम्मीद करे. आखिर एक महिला के चरित्र पर समाज का उंगली उठाना कितना आसान होता है.
लोगों ने इस भावुक तस्वीर को वायरल कर दिया
दरअसल, ज्योतिरादित्य सिंधिया के केन्द्रीय मंत्री बनाए जाने पर मध्यप्रदेश की पूर्व मंत्री इमरती देवी के बधाई देने दिल्ली पहुंची थी. इनके महाराज को बधाई देने का अंदाज कुछ लोगों को पसंद नहीं आया. लोगों ने इस भावुक तस्वीर को वायरल कर दिया और कुछ कांग्रेस के नेता इमरती देवी को सोशल मीडिया पर ट्रोल करने लगे. बात इतनी बढ़ गई कि इमरती देवी को अपनी यह तस्वीर हटानी पड़ी.
लोग सोशल मीडिया पर अनाप-शनाप लिखने लगे. लोग तंज के रूप में सिंधिया को बधाई दे रहे थे. एक ने कहा कि कम से कम इमरती देवी से ही सीख लेते कि वफा क्या होती है. उनकी आंखों में आंसू तो आना ही था. मतलब ये कि यो लोग बधाई कम ताना ज्यादा मार रहे थे.
ज्योतिरादित्य सिंधिया को मंत्रिमंडल में जगह मिलने पर उनकी समर्थक इमरती देवी उन्हें बधाई दे थीं. इस मौके पर दोनों भावुक हो गए. बधाई देते हुए इमरती देवी की आंखों में आंसू देखकर ज्योतिरादित्य सिंधिया ने आगे बढ़कर उन्हें गले लगा लिया. इस दौरान उन्होंने हाथ जोड़कर कहा मंत्री बनने की बधाई महाराज साहब. इस पर सिंधिया ने मुस्कुराकर इमरती देवी का अभिवादन स्वीकार किया. इसके बाद इमरती देवी भावुक हो गईं जो कि स्वाभाविक है. बस यही सहजता लोगों को गले से नीच नहीं उतरी.
इमरती देवी ने तस्वीर तो हटा दे दी, लेकिन अपने बेबाक अंजाद में ट्रोलर्स को भी धाे डाला. इस वायरल तस्वीर पर कांग्रेस को घेरते हुए उन्होंने कहा कि ‘जो लोग फोटो को लेकर आलोचना कर रहे हैं, उन्हें भावनाओं की पहचान नहीं है. महाराज, मंत्री बने तो हमारे मन में उनके प्रति सम्मान की भावना थी. इस दौरान महाराज ने मेरे सिर पर हाथ रख गले से लगा लिया.
मैं कांग्रेस से लेकर बीजेपी में आने के बाद भी महाराज का सम्मान करती हूं क्योंकि महाराज मेरे लिए भगवान के समान एक पिता के समान हैं. ऐसे में जिसको जो कहना है कहे, मुझे कोई परवाह नहीं है’. इसके पहले भी वे एक बार बोल चुकी हैं कि महाराज कहेंगे तो मैं कुएं में कूद जाऊंगी.
ऐसा जरूरी है क्या कि एक पुरुष और महिला सिर्फ पति-पत्नी या भाई-बहन ही हो सकते हैं. वे सहकर्मी या दोस्त या गुरू-शिष्य नहीं हो सकते क्या. यह तो उनके उपर निर्भर करता है कि उनके बीच क्या है, कोई तीसरा नहीं समझ सकता. लोगों को दूसरों में कमी निकालने की पुरानी आदत है, जब यह कमी किसी महिला में निकालनी हो तो उसके चरित्र पर ही सवाल खड़े कर देते हैं.
कोई स्त्री किसी पुरुष को पिता समान मानती है तो किसी को अपना गुरु. किसी को अपना गर्जियन मानती है, किसी को मार्गदर्शक, किसी को मुखिया तो किसी को बेटा लेकिन उसे ट्रोल किया जाता है. उसे गंदी बातें सुनाई जाती हैं. इन ट्रोलर्स को किसी महिला की हिम्मत तोड़ने का यह सबसे आसान रास्ता नजर आता है. ये इंसान नहीं दैत्य हैं जिनका दिमाग सड़कर मवाद बन चुका है. वे ज्योतिरादित्य और इमरती देवी की तस्वीर लगाकर बोली बोल रहे हैं. भावना में रोती हुई महिला को संबल देती हुई इस तस्वीर में भी इन्होंने गंदगी निकाल ली.
इन लोगों के लिए किसी भी स्त्री-पुरुष के रिश्ते को टारगेट करना सबसे आसान काम है. किसी महिला नेता की आलोचना करनी है तो उनके काम से कीजिए, कोई महिला अगर मंत्री है या विधायक है और काम करने में सक्षम नहीं है तो बेशक उससे सवाल पूछिए, लेकिन वह सिर्फ एक महिला है इसलिए उसते चरित्र पर अपनी सोच मत थोपिए. उसके नीजि जीवन को जज करने का हक आपका नहीं है.
इस तस्वीर में कितनी सहजता है, कितना सम्मान है यह इन लोगों को नजर नहीं आता, अब जैसा इनका दिमाग होगा वैसी ही सोच तो इनकी जुबान से बाहर आएगी. लोगों को इस तरह की चीजों से बचना चाहिए, यह याद रखिए कि आपके घर में भी बेटी-बहू हैं. आप किसी भी स्त्री के बारे में कुछ नहीं जानते, लेकिन फिर भी अगर ठेका ले रखा है तो याद रखिए आपके घर में भी बेटियां हैं.
प्रशासनिक अक्षमता पर कटाक्ष करने वाले तो समझ आते हैं, लेकिन किसी महिला पर किचड़ उतारने को आतुर रहने वाले को क्या ही कहा जाए. सभी को पता है कि इमरती देवी बहुत ही भावुक और सरल महिला हैं. सिंधिया परिवार ने ज़मीन पर रहने वाली महिला को उठाकर नेता बनाया है. तो क्या वे नेता बनने का बाद उन्हें ही भूल जाएं, फिर उसे आप क्या कहेंगे. वे इसके लिए हमेशा से ही सिंधिया परिवार की कृतज्ञ रहती हैं.
उनका एक भी वाक्य "बड़े महाराज या छोटे महाराज" के बिना पूरा नहीं होता. जब कोई व्यक्ति किसा का आदर करता है, सम्मान करता है तो उसे पूजने लगता है. ऐसा पहली बार नहीं हुआ है, कि कोई किसी नेता के लिए पागल हुआ हो या भक्त हुआ है. कई लोग हैं जो पुरुष नेता को पूजते हैं, उन्हें आपना आदर्श मानते हैं, उनका पैर छूते हैं तो जब उनके बारे में कोई गलत बात नहीं करता तो फिर किसी महिला नेता तो लेकर इतनी गिरी सोच क्यों. किसी महिला के रोने पर अगर कोई पुरुष नेता संबल देता है तो यह तंज, मजाक, उपहास और चटकारे का विषय तो बिल्कुल नहीं है.
तस्वीरें खुद बोलती हैं, आपको इस फोटो को मन की आखों से देखिए. इस तस्वीर में प्रेम, आदर, स्नेह और संवेदना को महसूस करिए...किसी को पूजने के लिए इतना होना काफी है. कोई किसी इंसान को क्यों पूजता है वही जानता है. किसी के पूजे जाने की वजह कुछ भी हो सकती है. क्यों कोई किसी को भगवान मानता है, यह वही जान सकता है.
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