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Updated: 27 नवम्बर, 2022 04:11 PM
देवेश त्रिपाठी
देवेश त्रिपाठी
  @devesh.r.tripathi
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कांग्रेस सांसद राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा इन दिनों मध्य प्रदेश में हैं. और, भारत जोड़ो यात्रा में यह पहला मौका था. जब राहुल गांधी ने फिर से सॉफ्ट हिंदुत्व की राह पर कदम रखे थे. राहुल गांधी ने बहन प्रियंका गांधी और उनके परिवार के समेत नर्मदा के तट पर बसे ज्योतिर्लिंग ओंकारेश्वर में आरती की. इतना ही नहीं, उन्होंने 'ऊं' लिखी पीतांबरी धारण कर ध्यान की मुद्रा बनाते हुए खुद को 'शिव भक्ति' में डुबो दिया. आसान शब्दों में कहें, तो लंबे समय बाद भारत जोड़ो यात्रा के दौरान राहुल गांधी का 'हिंदू' रूप नजर आया. लेकिन, जैसे ही सोशल मीडिया पर राहुल गांधी की ये तस्वीरें सामने आईं. भाजपा ने उन पर निशाना साधना शुरू कर दिया.

BJP made Rahul Gandhi to adopt Soft Hindutva but It is not easy for Congress and Opposition Parties get rid of past Muslim Love2014 के बाद से हुए तकरीबन हर चुनाव में राहुल गांधी का सॉफ्ट हिंदुत्व वाला चेहरा नजर आ ही जाता है.

केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी ने राहुल गांधी की तस्वीर को उल्टा कर शेयर करते हुए लिखा कि 'अब ठीक है.' दरअसल, राहुल गांधी ने इस तस्वीर में 'ऊं' लिखी पीतांबरी को उल्टा पहन रखा था. जिसके चलते उन पर हिंदुओं की आस्था का मजाक उड़ाने का आरोप लगने लगा. वैसे, पूजा-पाठ के दौरान आमतौर पर इस तरह की चीजें अपने आप ही ध्यान में आ जाती हैं. लेकिन, इन छोटी-छोटी गलतियों को पकड़ना उन लोगों के लिए वास्तव में मुश्किल हो जाता है. जो लंबे समय तक ऐसी चीजों से दूर रहे हों. इसी वजह से भाजपा नेता अमित मालवीय ने भी राहुल गांधी को 'चुनावी हिंदू' साबित करने में कोई कोर-कसर नहीं छोड़ी. 

वैसे, 2014 के बाद से हुए तकरीबन हर चुनाव में राहुल गांधी का सॉफ्ट हिंदुत्व वाला चेहरा नजर आ ही जाता है. लेकिन, कभी कुर्ते के ऊपर जनेऊ पहनने से तो कभी इसी तरह की छोटी-छोटी गलतियों की वजह से राहुल गांधी को आलोचना का सामना करना पड़ता है. दरअसल, कांग्रेस नेताओं के सामने सॉफ्ट हिंदुत्व भी एक बड़ी समस्या के तौर पर आ खड़ा होता है. क्योंकि, कांग्रेस सरकार के दौरान ही सुप्रीम कोर्ट में ये हलफनामा दाखिल किया गया था कि राम काल्पनिक है. और, कांग्रेस ही लंबे समय तक राम मंदिर के खिलाफ बात भी करती रही. कांग्रेस के नेताओं ने ही 26/11 के हमले के बाद हिंदू आतंकवाद की थ्योरी गढ़ना शुरू किया.

और, कांग्रेस सरकार के ही प्रधानमंत्री ने देश के संसाधनों पर पहला हक मुसलमानों का बताया था. लेकिन, अब हिंदू और हिंदुत्व में फर्क बताने वाले राहुल गांधी को मजबूरन सॉफ्ट हिंदुत्व की राह पकड़नी पड़ रही है. क्योंकि, हिंदुत्व की लहर पर सवार भाजपा ने केंद्र के साथ ही तमाम राज्यों से कांग्रेस का सूपड़ा साफ कर दिया है. वैसे, भारतीय राजनीति का मिजाज बदलने की असल वजह अगर 2014 में नरेंद्र मोदी के प्रधानमंत्री बनने को दिया जाए, तो गलत नहीं होगा. क्योंकि, जो नेता किसी जमाने में ईद पर मुस्लिम टोपी पहनकर जमकर इफ्तार पार्टियां करते थे. वो भी अब पूजा और आरती जैसे कार्यक्रमों में नजर आने लगे हैं.

जबकि, इससे पहले इन नेताओं के बयानों तक में हिंदू और हिंदुत्व का नाम तक नहीं लेना वर्जित श्रेणी में आता था. हां, भाजपा को निशाना बनाने के लिए सांप्रदायिकता के नाम पर हिंदुओं को ही कठघरे में खड़ा करने में इनकी ओर से कोई कोर-कसर नहीं छोड़ी जाती थी. आम आदमी पार्टी के संयोजक अरविंद केजरीवाल को ही ले लीजिए. जो फिलहाल खुद को सबसे बड़ा हनुमान भक्त कहते हैं. कुछ सालों पहले तक वो भी मुस्लिम टोपी पहने खूब नजर आते थे. इतना ही नहीं, लोगों को तीर्थयात्रा योजना के नाम पर अयोध्या के दर्शन कराने की बात कहने वाले अरविंद केजरीवाल राम मंदिर को बनाने के खिलाफ भी खूब बयानबाजी करते थे.

आसान शब्दों में कहें, तो सॉफ्ट हिंदुत्व की राह केवल राहुल गांधी पर ही लागू नहीं होती है. बल्कि, सभी विपक्षी दलों के नेताओं का यही हाल हो गया है. और, बीते कुछ सालों में इस परिवर्तन को लोगों ने खुद महसूस किया है. क्योंकि, एक अरसा हो गया है. राहुल गांधी समेत विपक्ष के तमाम नेताओं को मुसलमानों द्वारा पहनी जाने वाली टोपी में देखे हुए. ये वही राहुल गांधी हैं, जिन्होंने कहा था कि जो लोग मंदिर जाते हैं, वही लड़कियां छेड़ते हैं. वैसे, राहुल गांधी की सॉफ्ट हिंदुत्व पर चलने की हालिया कोशिश को देखकर कहना गलत नहीं होगा कि भले ही राहुल गांधी ने मुसलमानों से दूरी बना ली हो. लेकिन, वे ठीक से 'हिंदू' भी नहीं हो पाए हैं.

लेखक

देवेश त्रिपाठी देवेश त्रिपाठी @devesh.r.tripathi

लेखक इंडिया टुडे डिजिटल में पत्रकार हैं. राजनीतिक और समसामयिक मुद्दों पर लिखने का शौक है.

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