शाह के फरमान से बंद हुआ बीजेपी का मुखपत्र 'कमल संदेश'
कमल संदेश पैसे की तंगहाली की वजह से बंद नहीं हुआ है, बल्कि अपने अंदाज और कार्यशैली की वजह से एक अलग पहचान रखने वाले बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह ने इसे बंद करने का फैसला कर लिया है.
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अगर आप बीजेपी के कार्यकर्ता हैं या उसकी विचारधारा से संबंध रखते हुए हर महीने पार्टी के मुखपत्र 'कमल संदेश' का इंतजार करते हैं तो अब आप ऐसा करना छोड़ दीजिए. यह पैसे की तंगहाली की वजह से आम पत्र-पत्रिकाओं की तरह बंद नहीं हुआ है, बल्कि अपने अंदाज और कार्यशैली की वजह से एक अलग पहचान रखने वाले बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह ने इसे बंद करने का फैसला कर लिया है.
शाह ने टीम चयन से लेकर संसदीय बोर्ड का सचिव नियुक्त करने, प्रभार बांटने और प्रकोष्ठों को विभाग में तब्दील करने का फैसला लेकर यह तो जता ही दिया था कि संगठन में उनकी मर्जी ही चलेगी . इसी बानगी को आगे बढ़ाते हुए उन्होंने बीजेपी के मुखपत्र 'कमल संदेश' को बंद करने का फैसला किया जिस पर तत्काल प्रभाव से अमल हो गया है. इस मुखपत्र में बीजेपी की सारी गतिविधि समेत संगठनात्मक पहल और नीतिगत मामलों पर रुख को कार्यकर्ताओं को समझाने के अंदाज में परोसा जाता था. बीजेपी के मौजूदा राष्ट्रीय उपाध्यक्ष प्रभात झा ने बतौर संपादक इस मुखपत्र को मुखर बना दिया था.
अमित शाह की दलील
सूत्रों के मुताबिक, शाह ने इसे बंद करने के पीछे पार्टी के पदाधिकारियों को जो वजह बताई वह कुछ नेताओं के गले तो नहीं उतर रही लेकिन शाह के फैसले पर उंगली उठाने की हिमाकत कोई नहीं कर पा रहा. सूत्रों के मुताबिक, मुखपत्र 'कमल संदेश' को बंद करने को लेकर शाह की दलील है कि इसी तरह की पत्रिका बीजेपी की हर राज्य इकाई भी छापती है, इसलिए केंद्रीय स्तर पर इसे अलग से छापे जाने का कोई औचित्य नहीं है. यानी राज्य इकाईयां अपना मुखपत्र छापती रहेंगी, लेकिन हर राज्य इकाई को केंद्र से डिजाइन किया हुआ पांच पन्ना अनिवार्य रूप से राज्य बीजेपी के मुखपत्र में नियमित तौर से छापना होगा.
प्रभात झा कार्यमु्क्त
इस पांच पन्ने को तैयार करने के लिए प्रभात झा के साथ काम देख रहे शिवशक्ति को रखा गया है जबकि झा को इस दायित्व से मुक्त कर दिया गया है. अब शिवशक्ति और मध्य प्रदेश के वित्त मंत्री जयंत मलैया की पत्नी सुधा मलैया समेत चार सदस्यीय टीम बनाई गई है जो हर महीने पांच पन्ने तैयार कर सभी राज्य इकाईयों को भेजेगी.
इन पांच पन्नों में हर महीने दो महापुरुषों की जीवनी के वह अंश छापे जाएंगे जो कार्यकर्ताओं के लिए प्रेरक हों. इन महापुरुषों में बीजेपी के अपने आदर्श पं. दीनदयाल उपाध्याय और श्यामा प्रसाद मुखर्जी समेत अन्य महापुरुषों की जीवनी भी शामिल होगी. शाह के इस प्रयास को राज्य इकाई पर केंद्र की पकड़ को वैचारिक तौर से मजबूत बनाने की दिशा में भी एक प्रयास के तौर पर देखा जा रहा है.
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