शिवराज जी, चुनाव जीतना व्यापम घोटाले का इंसाफ नहीं है
शिवराज क्या अपने ट्वीट के जरिए यह कहने की कोशिश कर रहे हैं कि व्यापम मामले में कुछ गलत नहीं हुआ? कोई धांधली नहीं हुई? सवाल है कि क्या चुनाव में जीत या हार किसी अपराध के होने या नहीं होने का प्रमाण बन जाता है?
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2002 में गुजरात दंगा होता है. आरोप लगते हैं कि राज्य में सत्ताधारी बीजेपी सरकार उसे रोकने में सफल नहीं रही. कई समाज सेवकों सहित मीडिया ने दंगे में राज्य सरकार और उसके अधिकारियों की भूमिका पर सवाल उठाए. लेकिन इसके बावजूद विधान सभा चुनाव में बीजेपी बड़े बहुमत के साथ सत्ता में वापसी करती है. विश्लेषक और विपक्ष धार्मिक ध्रुवीकरण को इस जीत का कारण बताते हैं. इसके बाद 2004 का आम चुनाव, वाजपेयी सरकार की हार होती है और कुछ लोग गुजरात दंगे को ही इस हार का कारण बताने लगते हैं.
अब बात आज के दौर की. व्यापम घोटाले में अपनी किरकिरी करा चुकी शिवराज सरकार के लिए राहत की खबर आई है. बीजेपी ने मध्य प्रदेश में 12 अगस्त को हुए निकाय चुनावों में 10 में से आठ पर जीत हासिल की. कांग्रेस को केवल एक ही सीट मिली. व्यापम घोटाले की वजह से शिवराज सिंह चौहान के लिए पिछले कुछ दिन काफी मुश्किल भरे रहे होंगे. इसलिए, उनकी पार्टी के लिए यह जीत महत्वपूर्ण है.
जीत की खबर आने के तत्काल बाद मुख्यमंत्री से लेकर प्रधानमंत्री अपने पार्टी कार्यकर्ताओं को बधाई देने लगते हैं. घोटाले के आरोप के कारण राज्य में दबाव में नजर आ रहे सरकार के मंत्री और पार्टी के नेताओं के लिए यह एक बार फिर मुखर होने का मौका है. बीजेपी इस मौके से चूकी नहीं और एक के बाद एक कई नसीहत शिवराज ने कांग्रेस को दे डाले.
शिवराज ने ट्वीट किया, 'निकाय चुनाव के नतीजे उन लोगों के लिए कड़ा संदेश है जो नकारात्मक राजनीति और दूसरों की छवि को नुकसान पहुंचाने की कोशिश करते हैं. साथ ही जो लोग मध्य प्रदेश की छवि को खराब करने की कोशिश कर रहे थे, जनता ने उन्हें भी जवाब दिया है. राज्य तेजी से विकास के पथ पर आगे बढ़ रहा है. यहां नकारात्मक राजनीति की जगह नहीं है. विपक्ष जितनी जल्दी इसे समझ ले, उसके लिए उतना ही अच्छा है.'
शिवराज क्या अपने ट्वीट के जरिए यह कहने की कोशिश कर रहे हैं कि व्यापम मामले में कुछ गलत नहीं हुआ? कोई धांधली नहीं हुई? सवाल है कि क्या चुनाव में जीत या हार किसी अपराध के होने या नहीं होने का प्रमाण बन जाता है? फिर आप हमारी ही राजनीति में बाहुबलियों की जीत को क्या कहेंगे? ढेरों उदाहरण मिल जाएंगे जहां चुनाव की हार-जीत और उसके किसी मामले में अपराधी होने या नहीं होने के बीच कोई संबंध नहीं है. कोई अपनी जीत या हार को अगर किसी सर्टिफिकेट के तौर पर इस्तेमाल करने लगे तो यह जायज नहीं लगता.
निकाय चुनाव जीत लेने से मध्यप्रदेश सरकार व्यापम और अब सामने आ रहे डीमैट (डेंटल एंड मेडिकल एडमिशन टेस्ट) घोटाले पर अपनी जवाबदेही से नहीं बच सकती. शिवराज कुछ भी कहें, लेकिन घोटाले की वजह से ही मध्यप्रदेश की छवि खराब हुई है. मामले का खुलासा करने वाले कई व्हीसलब्लोअर्स अपनी जान पर खतरे की बात कहते रहे हैं. शिवराज सिंह जी, यह सब कुछ आपके ही शासन काल में होता रहा है. इसलिए सवाल उठेंगे, मामले की जांच खत्म होने तक..फैसला आने तक.
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