भाजपा के उम्मीदों के अनुकूल नहीं है मतदान
भाजपा के रणनीतिकारों का मानना है कि जितना कम मतदान होगा उतना भाजपा को नुकसान होगा और जितना ज्यादा मतदान होगा उतना भाजपा को फायदा होगा. इसलिए अब दो चरणों में प्रचार से ज्यादा मतदान बढाने में जुटेगी भाजपा.
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उत्तरप्रदेश में पांच चरणों का मतदान हो जाने के बाद बचे हुए दो चरणों में भाजपा की रणनीति प्रचार के साथ मतदान बढ़ाने के लिए पूरी ताकत झोंकने की है. गौरतलब है कि अभी तक हुए पांच चरणों के चुनाव में मतदान का प्रतिशत पांचवें चरण में सबसे कम 57 प्रतिशत ही रहा. चारो चरणों के मतदान के औसत से पांचवें चरण में मतदान 6 प्रतिशत कम हुआ है. भाजपा को उम्मीद थी कि उत्तरप्रदेश के हर चरण के चुनाव में मतदान 68 के आसपास रहेगा, लेकिन पांचवें चरण के मतदान प्रतिशत ने भाजपा को चिंतित कर दिया है.
भाजपा के रणनीतिकारों का मानना है कि जितना कम मतदान होगा उतना भाजपा को नुकसान होगा और जितना ज्यादा मतदान होगा उतना भाजपा को फायदा होगा. प्रधानमंत्री नरेंन्द्र मोदी ने पांचवें चरण के मतदान के बाद भाजपा अध्यक्ष शाह को बचे दो चरणों में बंपर मतदान के लिए कार्यकर्ताओं को झोंकने के लिए कहा है. सूत्र बताते हैं कि मोदी ने शाह को साफ कहा है कि बचे दो चरणों में प्रचार से ज्यादा महत्वपूर्ण ज्यादा से ज्यादा मतदान करवाना है. मोदी ने शाह को बचे दो चरणों के लिए बूथ प्रबंधन की कमान खुद संभालने के लिए कहा है. भाजपा का आंकलन है कि अगर बचे दो चरणों में मतदान का प्रतिशत उम्मीदों के अनुकूल नहीं रहा तो भाजपा की राह मुश्किल हो सकती है.
गौरतलब है कि 11 फरवरी को पहले चरण में मतदान का प्रतिशत 64.22, दूसरे चरण 15 फरवरी को मतदान का प्रतिशत 65.29 प्रतिशत, तीसरे चरण के लिए 19 फरवरी को 61.16,चौथे चरण के लिए 23 फरवरी को 61 प्रतिशत और पांचवें चरण के लिए 27 फरवरी को 57.41 प्रतिशत मतदान हुआ था. गौरतलब है कि पहले चार चरणों में औसतन 63% प्रतिशत मतदान हुआ लेकिन पांचवें चरण में करीब 6% कम मतदान हुआ.
प्रथम चरण का ट्रेड
प्रथम चरण में 15 जिलों में जिन 73 सीटों पर मतदान हुआ था, इन सीटों पर 2007 में 46.58% वोट पड़े थे. यह 2002 के चुनाव से करीब 7% कम थे. इसका फायदा बसपा को हुआ था. मायावती ने 73 में से 35 सीटें जीत ली थीं. लेकिन जब 2012 में करीब 13% वोट ज्यादा पड़े तो सपा को 21 सीटों का फायदा हो गया. जबकि बसपा को 11 सीटों का नुकसान उठाना पड़ा.
दूसरे चरण का ट्रेड
उत्तर प्रदेश के 11 जिलों की 67 सीटों पर 66.29%यूपी में पिछले दो विस चुनावों में वोटिंग प्रतिशत घटने पर बसपा को और बढ़ने पर सपा को फायदा हुआ था. 2007 में 8% वोटिंग कम हुई तो बसपा को 63 में से 32 सीटें मिली थीं. जबकि सपा को 17, भाजपा को 10, कांग्रेस को 1 और अन्य को 3 सीटें मिली थीं. 2012 में यहां 67 सीटों पर वोटिंग करीब 19% ज्यादा हुई तो बसपा की सीटें घटकर 18 रह गईं. जबकि सपा की 17 से बढ़कर 34 हो गई. इसके अलावा भाजपा को 10 सीटें मिली और कांग्रेस की सीटें 1 से बढ़कर तीन हो गईं.
तीसरे चरण का ट्रेड
तीसरे चरण में 12 जिलों की 69 सीटों पर 61.16% मतदान हुआ, पिछले बार के विस चुनाव के मुकाबले 1.26% ज्यादा मतदान हुआ. पिछले लोकसभा चुनाव में इन इलाकों में वोटिंग 58.43% थी. 2012 में इन 69 सीटों पर 59.90% वोट पड़े थे. 2007 में यहां 45.96% वोटिंग हुई थी. जो पिछली बार से 8% कम थी. तब बसपा ने 71 सीटों में से 35 जीत लिए थे. सपा 27 सीट के साथ दूसरे नंबर पर रही. 2012 में परिसीमन के बाद 69 सीटें बची. और 59.90% वोटिंग हुई. यानी 14% वोटिंग ज्यादा. तब सपा ने 69 में से 55 सीटें जीती थीं.
चौथे चरण का ट्रेड
उत्तरप्रदेश विधानसभा चुनाव के चौथे चरण में प्रयाग और बुंदेलखंड क्षेत्र के 12 जिलों की 53 विधानसभा सीटों पर 61% मतदान हुआ था.2012 में इन सीटों पर 60.29% वोटिंग हुई थी. 2007 में पिछले विधानसभा चुनाव से 8% कम वोटिंग होने पर बसपा ने इन 12 जिलों में 32 सीटें जीती थीं. पर 2012 में 14% ज्यादा वोटिंग होने पर सपा ने 53 में से 24 और बसपा ने 15 सीटें जीती थीं.
पांचवें चरण का ट्रेड
11 जिलों की 51 सीटों पर 57.41% वोटिंग हुई. वोटिंग का यह आंकड़ा पिछले चार चरणों की तुलना में सबसे कम है. पिछले सभी फेज में 60% से ज्यादा वोटिंग हुई है. और औसतन 63%. यानी इस बार करीब 6% कम वोटिंग हुई है.
2012 में पांचवें चरण की 51 सीटों पर 56.90% मतदान हुआ था. यह 2007 से करीब 11% ज्यादा थी. तब इसका फायदा सपा को हुआ था. सपा की सीटें 14 से बढ़कर 37 हो गई थीं. जबकि बसपा की सीटें 27 से घटकर महज 3 रह गईं थीं. इस बार पांचवें चरण में जिन सीटों पर मतदान हुआ है, उनमें करीब 80% पर सपा और कांग्रेस का कब्जा है.
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