योगी सरकार में मंत्री ब्रजेश पाठक ने जो 'लकीर' खींची, वो अन्य जनप्रतिनिधियों के लिए 'नज़ीर' है!
कोरोना के कहर के बीच जब ज्यादातर जनप्रतिनिधि डर कर अपने घरों में कैद हैं या बंगाल चुनाव में व्यस्त हैं या फिर पंचायत चुनावों की रणनीति बनाने में लगे हुए हैं. ऐसे वक्त में योगी आदित्यनाथ सरकार में न्याय विधायी और ग्रामीण अभियन्त्रण सेवा मंत्री ब्रजेश पाठक की पहल हर जनप्रतिनिधि के लिए एक मिसाल है.
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कोरोना महामारी की वजह से पूरी दुनिया में हाहाकार मचा हुआ है. सबसे बुरा हाल तो अपने देश का है. यहां लोग चिकित्सीय सुविधाओं के अभाव में लगातार दम तोड़ रहे हैं. सबसे भी बुरा हाल दिल्ली, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश के साथ सबसे बड़े सूबे उत्तर प्रदेश का है, जहां कोरोना से मरने वालों को दो गज जमीन और लकड़ी तक नहीं नसीब नहीं हो पा रही है. अस्पताल तो छोड़िए, श्मशान घाटों पर लंबी कतारें लगी हुई हैं. लोगों को अपने हाल पर छोड़ दिया गया है. लेकिन इन तमाम परेशानियों और खामियों के बाद एक जनप्रतिनिधि लोगों के बीच उम्मीद की लौ जलाए हुए है. जी हां, हम बात कर रहे हैं योगी आदित्यनाथ सरकार में न्याय विधायी और ग्रामीण अभियन्त्रण सेवा मंत्री ब्रजेश पाठक की, जो लखनऊ मध्य विधानसभा सीट से विधायक हैं. इस वक्त कोविड को लेकर अपनी सक्रियता की वजह से चर्चाओं के केंद्र में हैं.
मशहूर इतिहासकार डॉ. योगेश प्रवीण के निधन के बाद व्यथित होकर अपनी ही सरकार और सिस्टम की पोल खोलते हुए उन्होंने जो लेटर लिखा, उससे साफ पता चलता है कि इस वक्त सूबे के हालात क्या है. एक वक्त था, जब मंत्री क्या विधायक के एक फोन पर अधिकारी जनशिकायतों का तुरंत निवारण कर देते थे. अब हालात ये हैं कि एक मंत्री और सीटिंग एमएलए सीएमओ को एंबुलेंस के लिए कॉल करते हैं और 2 घंटे तक कोई कार्रवाई नहीं होती है. आखिरकार थक कर पीड़ित परिवार अपने मरीज को लेकर निजी वाहन से अस्पताल की ओर भागता है और रास्ते में मरीज की मौत हो जाती है. ये दर्दनाक कहानी डॉ. योगेश प्रवीण जैसी शख्सियत की है, जिनको भारत सरकार ने पद्मश्री पुरस्कार से नवाजा था. लखनऊ में उनकी साख थी. बड़े-बड़े लोगों से जान-पहचान थी, लेकिन नकारा सिस्टम के आगे सब फेल हो गया.
योगी आदित्यनाथ सरकार में न्याय विधायी और ग्रामीण अभियन्त्रण सेवा मंत्री ब्रजेश पाठक की पहल बहुत सराहनीय है.
इस घटना से सरकार ने क्या सबक लिया, ये तो समझ से परे है, लेकिन कानून मंत्री ब्रजेश पाठक ने अपनी विधायक निधि से तुरंत 1 करोड़ रुपए रिलीज करके डीएम को कोरोना से सम्बंधित व्यवस्थाओं को दुरुस्त करने का निर्देश दिया. ऐसा करने वाले वो सूबे के पहले मंत्री या जनप्रतिनिधि होंगे, क्योंकि ज्यादातर जनप्रतिनिधि इस वक्त या तो कोरोना की डर से अपने घरों में बंद हैं या बंगाल चुनाव में व्यस्त हैं या फिर पंचायत चुनावों की रणनीति बनाने में लगे हुए हैं. लेकिन ब्रजेश पाठक की इस पहले ने कई नेताओं की आंखें भी खोली हैं. उनको अहसास कराया है कि ये वक्त चुपचाप जो हो रहा है, वो देखने का नहीं है, बल्कि जो हो सकता है, वो करने का है. यही वजह है कि उनके बाद वित्त मंत्री सुरेश खन्ना ने भी कोविड महामारी में लोगों की मदद के लिए मुख्यमंत्री राहत कोष में एक करोड़ रुपए डोनेट किया है.
ब्रजेश पाठक ने विधायक निधि से एक करोड़ रुपए देने के साथ लखनऊ के डीएम को एक चिट्ठी भी लिखी है. इसमें उन्होंने कहा है कि इन पैसों से उनकी मध्य विधानसभा के सभी वॉर्डों में RTPCR टेस्ट करवाने के लिए केंद्र बनवाए जाएं. इसके साथ ही वहां ऑक्सीजन और ऑक्सोमीटर की व्यवस्था भी की जाए. इसके अलावा जो लोग होम आइसोलेशन में हैं, उन्हें घर पर ही दवा उपलब्ध कराई जाए. वॉर्डों में सेनेटाइजेशन और भैसाकुंड श्मशान घर की साफ-सफाई भी कराई जाए. सभी बारात घरों और गेस्ट हाउसों को कोविड अस्पताल बनाए जाने की मांग की है, ताकि कोरोना मरीजों के लिए बिस्तरों की कमी न हो सके. सबसे बड़ी बात ये है कि लखनऊ के विधायक की इस पहल के बाद अब वहां से सांसद राजनाथ सिंह भी सक्रिय हो गए हैं. उन्होंने DRDO की मदद से 2 कोविड अस्पताल बनवाने का ऐलान किया है.
कोरोना के बढ़ते संक्रमण को देखते हुए आज जिलाधिकारी महोदय लखनऊ को पत्र लिखकर मध्य विधानसभा के सभी वार्डों में RTPCR टेस्ट व ऑक्सीमीटर की व्यवस्था एवं ऑक्सीजन आदि की व्यवस्था अस्थाई एल 1 एल 2 अस्पताल बनाए जाने हेतु निर्देश जारी करते हुए अपनी विधायक निधि से 1 करोड़ रुपए निर्गत किए। pic.twitter.com/pF2exGoHl0
— Brajesh Pathak (@brajeshpathakup) April 15, 2021
आपको बता दें कि ये पहली बार नहीं है कि जनहित के कार्यों में ब्रजेश पाठक ने एक लंबी लकीर खींची है, जो हर जनप्रतिनिधि के लिए नजीर होनी चाहिए. इससे पहले पिछली कोरोना की पहली लहर में भी उन्होंने अपना अहम योगदान दिया था. मुख्यमंत्री आपदा राहत कोष में 70 लाख डोनेट करने के साथ ही लॉकडाउन के दौरान जरूरतमंदों की मदद किया. उन्होंने हर दिन पांच हजार लोगों को खाना खिलाने की व्यवस्था की थी. इसके लिए अपने घर को ही कंट्रोल रूम बना रखा था. एक हेल्पलाइन नंबर भी जारी किया था. हजारों की संख्या में खाने के पैकैट तैयार करक प्रवासी मजदूरों के बीच बांटने का काम भी किया था. उनके क्षेत्र के लोग बताते हैं कि हर दिन उनके घर पर जनता दरबार लगता है, जिसमें पूरे प्रदेश के लोग अपनी समस्याएं लेकर आते हैं, जिनका समाधान करने की कोशिश करते हैं.
उत्तर प्रदेश के हरदोई में 25 जून, 1964 को ब्रजेश पाठक का जन्म हुआ था. स्थानीय पाठशाला से प्राइमरी एजुकेशन लेने के बाद 10वीं और 12वीं की पढ़ाई के लिए उन्नाव चले गए. साल 1980 में इंटरमीडियट की पढ़ाई पूरी करने के बाद लखनऊ आ गए. लखनऊ के विद्यांत हिंदू कॉलेज में बीकॉम प्रथम वर्ष में दाखिला लिया. अगले साल इन्होंने अपना ट्रांसफसर कान्यकुब्ज कॉलेज में करा दिया. साल 1982 में बीकॉम पास किया. सीए बनने की इच्छा थी, इसलिए ICWA के लखनऊ चैप्टर में दाखिला लिया. लेकिन कोर्स में मन नहीं रमा, तो साल 1984 में लखनऊ विश्वविद्यालय में लॉ में दाखिला ले लिया. यूनिवर्सिटी के बलरामपुर हॉस्टल में रहने लगे. इसी दौरान साल 1986 में इमरजेंसी के बाद पहली बार लखनऊ विश्वविद्यालय में छात्रसंघ चुनाव हुए. तब तक ब्रजेश पाठक यूनिवर्सिटी में राजनीतिक रूप में लोकप्रिय हो चुके थे.
छुपाना, शर्माना और घबराना छोड़ दीजिए...यदि खांसी, बुखार/बदन दर्द और सांस लेने में तकलीफ जैसे लक्षण आएं तो तुरंत नजदीकी कोरोना टेस्टिंग लैब से टेस्ट कराएं।हारेगा कोरोना, जीतेगा देश।#IndiaFightsCorona pic.twitter.com/ReMktgamoV
— Brajesh Pathak (@brajeshpathakup) April 15, 2021
इसके बाद छात्र राजनीति में उनका बहुत दबदबा रहा. साल 1989 में लखनऊ विश्वविद्यालय छात्रसंघ चुनाव में उपाध्यक्ष पद पर विजयी हुए. साल 1990 में चुनाव हुए तो वे निर्दलीय अध्यक्ष पद पर निर्वाचित हो गए. शुरू से ही राष्ट्रवादी विचारधारा होने की वजह से वो भारतीय जनता पार्टी के काफी करीबी रहे, लेकिन पार्टी से टिकट नही मिलने की वजह से कभी बीजेपी से चुनाव नहीं लड़ पाए. इसी बीच साल 2004 में हुए लोकसभा चुनाव के लिए मायावती ने ब्रजेश पाठक को उन्नाव सीट से बसपा का टिकट थमा दिया. इस बार किस्मत ने साथ दिया और वो चुनाव जीत कर उन्नाव से लोकसभा सांसद बन गए. साल 2009 में बसपा के टिकट पर राज्यसभा पहुंचे. साल 2016 में मोदी लहर के बीच ब्रजेश पाठक तत्कालीन भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह के संपर्क में आए. इसके बाद बीजेपी ज्वाइन कर लिया.
इस वक्त यूपी सहित पूरे देश में कोरोना का कहर चरम पर है. गुरुवार को 22,339 लोगों की कोरोना रिपोर्ट पॉजिटिव आई है. 4,222 लोग रिकवर हुए और 104 की मौत हो गई. अब तक यहां 7.66 लाख लोग संक्रमित पाए जा चुके हैं. इनमें 6.27 लाख ठीक हो चुके हैं, जबकि 9,480 मरीजों की मौत हो गई. एडिशनल चीफ सेक्रेटरी (हेल्थ) अमित मोहन ने बताया कि प्रदेश में पिछले 24 घंटों में 6,429 लोगों को अस्पताल से छुट्टी दी गई है. अभी राज्य में 1.5 लाख सक्रिय मामले हैं. इनमें 77,146 होम आइसोलेशन में, 2,435 निजी अस्पतालों में और बाकी सरकारी अस्पतालों में एडमिट हैं. बढ़ते केस के साथ यूपी में मेडिकल इंफ्रास्ट्रक्चर दम तोड़ चुका है. कोविड-19 के टेस्ट का रिजल्ट आने में कई दिनों का समय लग रहा है. इलाज के अभाव में लोग दम तोड़ रहे हैं, लेकिन सरकार तमाम दावे कर रही है.
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