नगर निकाय चुनाव से पहले बसपा में बड़ा फेरबदल...
बसपा सुप्रीमो मायावती ने अयोध्या मंडल के मुख्य प्रभारी रहे, विश्वनाथ पाल को पार्टी का नया उत्तर प्रदेश अध्यक्ष बनाया है. साथ ही भीम राजभर को उत्तर प्रदेश अध्यक्ष पद से हटाकर बिहार प्रदेश का कोऑर्डिनेटर बनाया गया है.
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बसपा सुप्रीमो मायावती ने अयोध्या मंडल के मुख्य प्रभारी रहे, विश्वनाथ पाल को पार्टी का नया उत्तर प्रदेश अध्यक्ष बनाया है। और भीम राजभर को उत्तर प्रदेश अध्यक्ष पद से हटाकर बिहार प्रदेश का कोऑर्डिनेटर बनाया है. इस की जानकारी खुद मायावती ने अपने ट्वीट के जरिये दी. मायावती ने अपने ट्वीट में कहा कि, वर्तमान राजनीतिक हालात को मद्देनजर रखते हुए बीएसपी उत्तर प्रदेश स्टेट संगठन में किए गए परिवर्तन के तहत, श्री विश्वनाथ पाल मूल निवासी जिला अयोध्या को बीएसपी. यूपी स्टेट का नया प्रदेश अध्यक्ष बनाये जाने पर उन्हें हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं .
जैसे हालात हैं यूपी में लगातार बसपा और मायावती का वर्चस्व ख़त्म हो रहा है
बसपा ने विश्वनाथ पाल पर क्यों खेला दाव ?
विश्वनाथ पाल का ओबीसी समाज से आना:
बीजेपी उत्तर प्रदेश में ओबीसी वोटरों के सहारे ही दोबारा सत्ता के शीर्ष तक पहुंच सकी, और इसी के चलते बहुजन समाज पार्टी भी विश्वनाथ पाल के जरिए प्रदेश में ओबीसी वोटों में सेंध लगाना चाहती है, और विश्वनाथ पाल की ओबीसी समाज में एक मजबूत पकड़ मानी जाती है .
नगर निकाय चुनाव:
हाल ही में उत्तर प्रदेश में नगर निकाय चुनाव होने हैं, और इसी के चलते सभी राजनीतिक पार्टियों ने कमर कस ली है. नगर निकाय चुनाव आने वाले लोकसभा चुनाव का माहौल भापने और माहौल बनाने में भी मदद करता है. इसी लिए हर पार्टी नगर निकाय चुनाव को गंभीरता से लेती है, और इसी का नतीजा है कि बसपा ने विश्वनाथ पाल को चुना ताकी प्रदेश में नए चेहरे के द्वारा कार्यकर्ताओं और संगठन में एक नया जोश भरा जा सके.
आगामी लोकसभा चुनाव:
उत्तर प्रदेश में लगातार बसपा का वोट शेयर घटता जा रहा है, और बसपा का वोटर लगातार दूसरी पार्टियों पर शिफ्ट हो रहा है, और इसका कारण है मायावती का चुनावी दंगल में न उतरना. इसी लिए पार्टी ने अब एक नए चेहरे को मौका दिया है, ताकी पार्टी में दोबारा जोश भरा जा सके. इस बार का नगर निगम चुनाव में बसपा का प्रदर्शन तय करेगा की 2024 लोकसभा चुनाव में हाथी कितना गरज पाता है .
विश्वनाथ पाल की चुनौतियां ?
बसपा के लिए जमीन तैयार करना:
लगातार बसपा प्रदेश में अपनी चुनावी जमीन को गवाती नजर आती है. इसका बड़ा कारण है, बसपा का विपक्ष की भूमिका को सही ढंग से न निभाना. सपा लगातार जनता तक इस मैसेज को पहुंचाने में सफल नजर आती है, कि बसपा का अब कोई भविष्य नहीं है, क्योंकि बसपा सुप्रीमो मायावती सरकारी एजेंसियों से डरती है, और इसलिए वो अब समाज के लिए नहीं बल्कि अपने बचाव के लिए सोचती है.
बीजेपी की बी-टीम का तमगा हटाना:
उत्तर प्रदेश में ज्यादातर राजनीतिक पार्टियां बसपा पर आरोप लगाती है, की बसपा भाजपा की बी-टीम है. और वह चुनाव में मुस्लिम उम्मीदवार उतार कर, बीजेपी की मदद करती है क्योंकि इसके कारण मुस्लिम वोट बैंक सपा और बसपा में बट जाता है, और इसका सीधा असर सपा के प्रदर्शन पर पड़ता है. और बसपा विपक्ष में रहते सरकार की आलोचना करते नजर नहीं आती.
संगठन को मजबूत बनाना:
प्रदेश के अनेकों जिलों में मौजूद धूल फाकते बसपा कार्यालयों में कोई कार्यकर्ता नजर नहीं आता, क्योंकि पार्टी का चुनाव में खराब प्रदर्शन, एक मजबूत काढर का न होना, पार्टी सुप्रीमो मायावती की चुप्पी साधे रहना, असल में पार्टी संगठन को कमजोर बना रहा है और यही कारण है कार्यकर्ताओं में जोश की कमी का .
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