Budget 2020 Education Sector: शिक्षा के बजट में कसर बाकी रह गई
निर्मला सीतारमण (Nirmala Sitharaman) ने 2020 के बजट (Budget 2020) में शिक्षा के लिए कुल 99,300 करोड़ रुपए का प्रस्ताव (Budget 2020 Allocation for Education Sector) रखा है. कौशल विकास (Budget for Skill Development) को उन्होंने 3000 करोड़ रुपए की सौगात दी है.
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वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण (Nirmala Sitharaman) ने 2020 के बजट (Budget 2020) में शिक्षा के बजट (Budget 2020 for Education Sector) का प्रस्ताव जारी कर दिया है. उन्होंने शिक्षा के लिए कुल 99,300 करोड़ रुपए का प्रस्ताव (Budget 2020 Allocation for Education Sector) रखा है. कौशल विकास (Budget for Skill Development) के लिए निर्मला सीतारमण ने 3000 करोड़ रुपए की सौगात दी है. उन्होंने राष्ट्रीय पुलिस विश्वविद्यालय और राष्ट्रीय न्यायिक विज्ञान विश्वविद्यालय खोलने की भी योजना बनाई है. उन्होंने बताया कि शिक्षा नीति (New Education Policy) को लेकर उन्हें करीब 2 लाख सुझाव मिले थे. उन्होंने माना कि शिक्षा के क्षेत्र को तेजी से बढ़ाने के लिए अधिक पैसों और काबिल अध्यापकों की जरूरत है. इसी के साथ उन्होंने ये भी कहा है कि अरबन लोकल बॉडी देश भर में फ्रेश इंजीनियर्स को 1 साल की इंटर्नशिप मुहैया कराएगी, जिससे उनकी प्लानिंग बेहतर होगी और बच्चों को कुछ नया सीखने को मिलेगा. एक ऐसा भी तबका है तो हायर एजुकेशन सिर्फ इसलिए नहीं ले पाता है, क्योंकि उसके पास पैसे नहीं होते हैं. निर्मला सीतारमण ने प्रस्ताव रखा है कि एक डिग्री लेवल का फुल फ्लेज्ड ऑनलाइन एजुकेशन प्रोग्राम (Online Education Programme) शुरू किया जाएगा, जो देश की टॉप 100 यूनिवर्सिटी के जरिए होगा. बजट में निर्मला सीतारमण ने कहा है कि नई शिक्षा नीति जल्द ही आएगी. अब ये देखना दिलचस्प रहेगा कि ये नई शिक्षा नीति कब आती है, क्योंकि आर्थिक मामलों के जानकार मानते हैं कि मोदी सरकार (Modi Government) नई शिक्षा नीति को 2014 से ही लाने की बातें कर रही है, लेकिन ये नीति अभी तक सिर्फ फाइलों में तैर रही है.
अंशुमान तिवारी ने नई शिक्षा नीति की घोषणा पर अपनी प्रतिक्रिया दी है.
लगातार बढ़ता ही गया है शिक्षा का बजट
अगर सिर्फ मोदी सरकार के कार्यकाल में शिक्षा का बजट देखें तो पता चलता है कि हर साल शिक्षा का बजट लगातार बढ़ता ही गया है. 2014-15 शिक्षा का जो बजट 27,656 करोड़ था, जो अब 99,300 करोड़ रुपए हो गया है. देखा जाए तो इस बीच पेश हुए 7 बजट में शिक्षा का बजट तीन गुने से भी अधिक बढ़ गया है, लेकिन सवाल यही है कि क्या इतना काफी है. देखिए सरकार ने किस बजट में शिक्षा के लिए कितना बजट रखा.
लेकिन क्या इतना काफी है?
मोदी सरकार ने शिक्षा पर खास ध्यान देते हुए हर साल इसके बजट में बढोत्तरी की है, लेकिन सवाल उठता है कि क्या जितनी बढ़ोत्तरी की है, उतना काफी है? ब्लूमबर्ग के एक वरिष्ठ पत्रकार इस पर अपनी बात रखते हुए कहते हैं कि इतना काफी नहीं है. उन्होंने ब्लूमबर्ग का एक चार्ट भी शेयर किया है और लिखा है कि सरकार ने इस बार 99,300 करोड़ रुपए का शिक्षा बजट पेश किया है, जो कुल बजट का महज 3 फीसदी है. अगर अन्य देशों से तुलना करें तो इंडोनेशिया अपने यहां बजट का कानूनन कम से कम 20 फीसदी शिक्षा पर खर्च करता है. यानी मोदी सरकार को शिक्षा बजट और अधिक बढ़ाने की जरूरत है.
वरिष्ठ पत्रकार अनुराग ने कहा है कि शिक्षा बजट काफी कम है, इसे और बढ़ाया जाना चाहिए.
अगर सिर्फ ब्रिक्स नेशन्स में ही तुलना की जाए तो मिलेगा कि भारत इन 5 देशों की लिस्ट में शिक्षा पर खर्च करने के मामले में चौथे नंबर पर है. पहले नंबर पर दक्षिण अफ्रीका, दूसरे पर ब्राजील और तीसरे नंबर पर चीन है. भारत के बाद सिर्फ रूस है, जो शिक्षा पर भारत से कम खर्च करता है. ये चार्ट आपको बेहतर तरीके से समझा सकता है.
एक बात तो तय है कि मोदी सरकार शिक्षा की ओर अपना ध्यान बढ़ा तो रही है, लेकिन जितनी जरूरत है, उतना ध्यान एजुकेशन सेक्टर को नहीं मिल पा रहा है. खुद निर्मला सीतारमण ने भी बजट पेश करते हुए कहा है कि शिक्षा के क्षेत्र में अधिक पैसे लगाने और काबिल अध्यापकों की जरूरत है. सत्ता में मोदी सरकार का ये दूसरा कार्यकाल है और अभी भी शिक्षा के क्षेत्र में पैसों की कमी और काबिल अध्यापकों की कमी होना भी यही दिखाता है कि शिक्षा के क्षेत्र को अभी भी पर्याप्त अटेंशन नहीं मिल रही है.
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