POK: अब वक्त आ गया है 20 साल पुराना संकल्प पूरा करने का
1994 में संसद के दोनों सदनों ने एक प्रस्ताव पारित कर पाक अधिकृत कश्मीर को देश का अभिन्न अंग बताते हुए उसके भारत में विलय का संकल्प लिया था. लेकिन तब से सभी सरकारें मौन हैं.
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संयुक्त राष्ट्र में विदेश मंत्री सुषमा स्वराज खूब बरसीं पाकिस्तान पर. उसे आतंकवाद को खत्म करने की नसीहत भी दी. एक दिन पहले पाकिस्तान के प्रधानमंत्री नवाज शरीफ ने अपनी पहले की घोषणा के विपरीत उर्दू की बजाय अंग्रेजी में दिए भाषण में राग-कश्मीर छेड़ा. उनको यह करना ही था. अब भारत को भी पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (पीओके) पर एग्रसिव स्टैंड लेना चाहिए.
संसद के दोनों सदनों ने 22 फरवरी,1994 को ध्वनिमत से पारित एक प्रस्ताव में पीओके पर अपना हक जताते हुए कहा था कि ये भारत का अटूट अंग है. पाकिस्तान को उस भाग को छोड़ना होगा जिस पर उसने कब्जा जमाया हुआ है. 'ये सदन पाकिस्तान और पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर में चल रहे आतंकियों के शिविरों पर गंभीर चिंता जताता है. उसका मानना है कि पाकिस्तान की तरफ से आतंकियों को हथियारों और धन की सप्लाई के साथ-साथ आतंकियों को भारत में घुसपैठ करने में मदद दी जा रही है. सदन भारत की जनता की ओर से घोषणा करता है-
(1) पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर भारत का अभिन्न अंग है और रहेगा। भारत अपने इस भाग के विलय का हर संभव प्रयास करेगा.
(2) भारत में इस बात की पर्याप्त क्षमता और संकल्प है कि वह उन नापाक इरादों का मुंहतोड़ जवाब दे जो देश की एकता, प्रभुसत्ता और क्षेत्रिय अंखडता के खिलाफ हों;
और मांग करता है-
(3) पाकिस्तान जम्मू-कश्मीर के उन इलाकों को खाली करे जिसे उसने कब्जाया हुआ है.
(4) भारत के आतंरिक मामलों में किसी भी हस्तक्षेप का कठोर जवाब दिया जाएगा.
इस प्रस्ताव को संसद ने ध्वनिमत से पारित किया था। तो क्या प्रस्ताव पारित करना काफी है? कोई नहीं जानता कि बीते बीस वर्षों के दौरान देश ने पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (पीओके) के भारत में विलय की दिशा में क्या –क्या कदम उठाए. अब आप समझ सकते हैं कि संसद का उक्त प्रस्ताव भारत के लिए बेहद खास महत्व रखता है.
संसद का प्रस्ताव है कि पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर का देश से विलय करना है. इसके बाद क्या बचा है. हां, पर ये सवाल अपनी जगह बना हुआ है कि पीओके का भारत से विलय कब होगा.
हालांकि कुछ जानकार दावा करते हैं कि अब दोनों देशों के नक्शे नहीं बदलेंगे. महत्वपूर्ण है कि जिसे हम पीओके और पाकिस्तान आजाद कश्मीर कहता है, वह जम्मू का हिस्सा था न कि कश्मीर का. इसलिए उसे कश्मीर कहना ही गलत है. वहां की जुबान कश्मीरी न होकर डोगरी और मीरपुरी का मिश्रण है. अगर इतिहास के पन्नों को पलटें तो पीओके पर भारत का पक्ष साफ हो जाएगा. देश के विभाजन के बाद कश्मीर के महाराजा हरि सिंह कश्मीर राज्य के भारत में विलय के प्रस्ताव को मान गए थे. भारत का दावा है कि महाराजा हरि सिंह से हुई संधि के परिणामस्वरूप पूरे कश्मीर राज्य पर भारत का अधिकार बनता है. इस कारण भारत का दावा पूरे कश्मीर (पाक अधिकृत कश्मीर एवं आजाद कश्मीर सहित) पर सही है.
हालांकि संसद का पीओके को लेकर प्रस्ताव पारित हो चुका है, पर अब ये पूछा जा सकता है कि सरकार संसद में पारित प्रस्ताव को अमली जामा पहनाने के लिए किसी तरह की कूटनीतिक पहल कर रही है. क्या उसे पीओके के भारत में विलय के लिए युद्ध भी मंजूर है?
बीते दो दशकों के दौरान केंद्र में कांग्रेस, बीजेपी और यूनाइटेड फ्रंट की सरकारें रहीं. पर किसी की तरफ से कभी देश को ये बताने की चेष्टा नहीं हुई कि पीओके पर संसद के प्रस्ताव का क्या हुआ. वक्त की मांग है कि सरकार कूटनीतिक पहल तेज करके पीओके का भारत से विलय करवाए.
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