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Updated: 28 सितम्बर, 2021 06:38 PM
देवेश त्रिपाठी
देवेश त्रिपाठी
  @devesh.r.tripathi
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पंजाब में कांग्रेस (Congress) की राजनीति ने अब तक इतने रंग दिखा दिये हैं कि रंगों की कमी पड़ी गई है. नवजोत सिंह सिद्धू (Navjot Singh Sidhu) के कैप्टन अमरिंदर सिंह सरकार (Captain Amarinder Singh) से इस्तीफा देने के बाद से दोनों नेताओं में शुरू हुई सियासी खींचतान आखिरकार कैप्टन के अपमानित होकर मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देने पर आकर खत्म हुई. कांग्रेस शीर्ष नेतृत्व ने चरणजीत सिंह चन्नी को पंजाब का पहला दलित सिख मुख्यमंत्री बनाकर खूब वाहवाही बटोरी. लेकिन, अपने अपमान से खफा हुए कैप्टन अमरिंदर सिंह ने न केवल नवजोत सिंह सिद्धू बल्कि गांधी परिवार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया. राहुल गांधी और प्रियंका गांधी के करीबी नेताओं में शामिल हो चुके नवजोत सिंह की वजह से मुख्यमंत्री पद छोड़ने वाले अमरिंदर सिंह पहले ही आर-पार की लड़ाई के मूड में आ गए थे. राहुल गांधी और प्रियंका गांधी को सीधे तौर पर 'अनुभवहीन' बताने वाले कैप्टन अमरिंदर सिंह जुबानी तीर छोड़ने के बाद अपने एनडीए के बैचमेट्स के साथ वीकएंड में मस्ती करने में व्यस्त नजर आए.

पंजाब कांग्रेस में नवजोत सिंह सिद्धू की बढ़ती धमक के साथ माना जाने लगा कि अमरिंदर सिंह में अब वो दम नहीं रहा, जो उन्हें 'कैप्टन' बनाता था. लेकिन, वीकएंड खत्म होने के एक दिन बाद अमरिंदर सिंह के दिल्ली दौरे ने पंजाब की सिसायत में फिर उबाल ला दिया है. दरअसल, पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह दिल्ली दौरे पर देर शाम मोदी सरकार के गृहमंत्री अमित शाह और भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा से मुलाकात करेंगे. इस बात के सामने आते ही कयासों और अटकलों की एक लंबी फेहरिस्त सामने आ गई है. बताया जा रहा है कि पंजाब में अकेली पड़ चुकी भाजपा की टीम को अमरिंदर सिंह के रूप में एक नया कैप्टन मिल सकता है. हालांकि, अमरिंदर सिंह के मीडिया एडवाइजर रवीन ठुकराल का कहना है कि कैप्टन का ये दौरा निजी है और इसे लेकर किसी तरह के कयास नहीं लगाए जाने चाहिए. लेकिन, धुंआ वहीं से उठता है, जहां चिंगारी होती है.

अमरिंदर सिंह भाजपा में शामिल होंगे या नहीं, ये फैसला कैप्टन ही करेंगे.अमरिंदर सिंह भाजपा में शामिल होंगे या नहीं, ये फैसला कैप्टन ही करेंगे.

वैसे, अमरिंदर सिंह भाजपा में शामिल होंगे या नहीं, ये फैसला कैप्टन ही करेंगे. लेकिन, एक बात पूरे विश्वास के साथ कही जा सकती है कि वेट एंड वॉच की भूमिका में चल रहे अमरिंदर सिंह की भाजपा से करीबी आज की नहीं है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पिछले पंजाब विधानसभा चुनाव या आम चुनावों में प्रदेश में प्रचार के दौरान कांग्रेस की नीतियों, वंशवाद समेत हर चीज पर निशाना साधा. लेकिन, नरेंद्र मोदी के रडार से कैप्टन अमरिंदर सिंह हमेशा ही गायब रहे. वहीं, अमरिंदर सिंह भी कभी कोरोना वैक्सीनेशन, तो कभी सर्जिकल स्ट्राइक जैसे मामलों पर कांग्रेस की पार्टी लाइन को छोड़कर भाजपा के पाले में ही खड़े नजर आते थे. ऐसी स्थिति में अगर कैप्टन के भाजपा में शामिल होने की खबर सामने आती है, तो ये चौंकाने वाली बात नहीं है. देश के मुद्दों को हमेशा पार्टी से ऊपर रखने वाले अमरिंदर सिंह की भाजपा से नजदीकी होना नई बात नहीं है. आसान शब्दों में कहा जाए, तो भाजपा संग अमरिंदर सिंह की डेटिंग तो बहुत पहले से चल रही थी, शादी अब है. आइए जानते हैं किन मामलों पर कैप्टन अमरिंदर सिंह भाजपा के साथ डेटिंग रिलेशनशिप में रहे हैं?

कांग्रेस नेतृत्व के आगे कभी न झुकने वाला कैप्टन

कैप्टन अमरिंदर सिंह को राजनीति में लाने का श्रेय पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी को जाता है. राजीव गांधी से अपने संबंधों की वजह से ही उन्होंने शीर्ष नेतृत्व के लिए हमेशा सोनिया गांधी का समर्थन किया. यहां तक कि अमरिंदर सिंह ने 2014 में कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी की मदद करने के लिए प्रियंका गांधी को भी सक्रिय राजनीति में आने की सलाह दी थी. कुल मिलाकर कैप्टन अमरिंदर सिंह एक आम कांग्रेसी की तरह ही हमेशा गांधी परिवार के लिए अपना दिल साफ रखते थे. लेकिन, बात अगर पंजाब की राजनीति की हो, तो अमरिंदर सिंह कांग्रेस के शीर्ष नेतृत्व की ओर से आने वाले किसी भी दबाव के आगे झुकते हुए नजर नहीं आते थे. अमरिंदर सिंह ने पंजाब को मुख्यमंत्री के तौर पर अपनी शर्तों पर चलाया है. मंत्रिमंडल से लेकर पंजाब कांग्रेस संगठन तक हर फैसले पर पार्टी आलाकमान की जगह कैप्टन की मुहर चलती थी. कहना गलत नहीं होगा कि शीर्ष नेतृत्व यानी गांधी परिवार से करीबी के बावजूद अमरिंदर सिंह पंजाब के मामले में किसी कांग्रेस नेता को हस्तक्षेप करने नहीं देते थे. आसान शब्दों में कहें, तो कैप्टन कभी भी कांग्रेस आलाकमान के 'यस मैन' नहीं रहे हैं.

सर्जिकल और एयर स्ट्राइक पर जुदा राय

2019 में भारतीय सेना ने पाकिस्तान के बालाकोट के एयर स्ट्राक कर आतंकियों के कई ठिकानों को नेस्तनाबूद कर सैकड़ों आतंकवादियों को ठिकाने लगा दिया था. कांग्रेस नेता नवजोत सिंह सिद्धू ने एयर स्ट्राइक पर तंज कसते हुए कहा था कि आप आतंकियों का सफाया कर रहे थे या पेड़ों का? क्या ये महज चुनावी हथकंड़ा था? सेना की पृष्ठभूमि से आने वाले कैप्टन अमरिंदर सिंह ने सिद्धू का विरोध किया था. अमरिंदर सिंह ने कहा था कि चाहे एक मरा हो या 100, भारत ने साफ और स्पष्ट संदेश दे दिया है कि वह अपने निर्दोष सैनिकों और नागरिकों की हत्या करने वालों को दंड दिए बिना नहीं छोड़ेगा. इतना ही नहीं, पुलवामा हमले के एक दिन बाद अमरिंदर सिंह ने विधानसभा में जोरदार भाषण देते हुए कहा था कि मैं जनरल बाजवा (पाकिस्तान के सेना प्रमुख) और उनकी कठपुतली आईएसआई को चेतावनी देता हूं कि अगर उन्होंने पंजाब में घुसने की कोशिश की तो हम उन्हें ठीक कर देंगे...अगर तुम पंजाबी हो, तो हम भी पंजाबी हैं और तुम्हें ठीक कर देंगे. सर्जिकल स्ट्राइक पर भी अमरिंदर सिंह भारतीय सेना के पक्ष में ही खड़े दिखाई दिए थे.

गलवान घाटी की झड़प पर सेना का साथ

बीते साल गलवान घाटी में हुई भारतीय और चीनी सैनिकों के बीच हुई हिंसक झड़प को लेकर राहुल गांधी और कांग्रेस पार्टी मोदी सरकार पर हमलावर रही थी. लेकिन, पंजाब के सीएम अमरिंदर सिंह ने गलवान घाटी की घटना पर सलाह देते हुए कहा था कि भारतीय क्षेत्र में किसी भी चीनी घुसपैठ के खिलाफ भारत सरकार को कड़ा रुख अपनाना चाहिए.

किसान आंदोलन दिल्ली ले जाओ

दिल्ली के सभी बॉर्डरों पर किये जा रहा किसान आंदोलन को सबसे पहले कांग्रेस ने ही ही समर्थन दिया था. इसकी वजह ये भी थी कि सबसे पहले दिल्ली बॉर्डर पर जुटने वाले आंदोलनकारी किसान पंजाब के ही थे. कांग्रेस ने किसान आंदोलन को भरपूर समर्थन दिया. हालांकि, अमरिंदर सिंह शुरुआत से ही किसान आंदोलन के पक्ष में नहीं थे. हाल ही में उन्होंने एक रैली के दौरान पंजाब में आंदोलन कर रहे किसानों को दिल्ली के बॉर्डर पर जाकर प्रदर्शन करने की सलाह दे डाली थी. वहीं, बीते साल किसान आंदोलन के शुरुआती दिनों में अमरिंदर सिंह ने गृहमंत्री अमित शाह से मिलकर सीमा पार पाकिस्तान से आने वाले हथियारों और ड्रग्स की सप्लाई को लेकर भी चिंता जताई थी. अमरिंदर सिंह ने कहा था कि किसान आंदोलन की आड़ में पाकिस्तान देश का माहौल बिगाड़ने की कोशिश कर रहा है.

जलियांवाला बाग के नवीनीकरण

अमृतसर के जलियांवाला बाग के नवीनीकरण के मामले पर कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी समेत विपक्षी दलों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भाजपा को घेरने में कोई कोर-कसर नहीं छोड़ी थी. राहुल गांधी ने जलियांवाला बाग स्मारक स्थल का नवीनीकरण किये जाने के बाद इसकी भव्यता पर सवाल उठाते हुए इसे शहीदों का अपमान बताया था. उन्होंने कहा था कि यह वही कर सकता है जो शहादत का मतलब नहीं जानता और हम इस अभद्र क्रूरता के खिलाफ हैं. वहीं, कैप्टन अमरिंदर सिंह ने राहुल गांधी के बिलकुल विपरीत बयान देते हुए जलियांवाला बाग स्मारक की तारीफ की थी.

लेखक

देवेश त्रिपाठी देवेश त्रिपाठी @devesh.r.tripathi

लेखक इंडिया टुडे डिजिटल में पत्रकार हैं. राजनीतिक और समसामयिक मुद्दों पर लिखने का शौक है.

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