चीन ने पहली बार दुनिया को दिखाई अपनी परमाणु ताकत! ये चेतावनी है क्या?
चीन ने पहली बार परमाणु सुरक्षा एमर्जेंसी ड्रिल करके पूरी दुनिया को सकते में डाल दिया है, चीन के इस कदम को उसके द्वारा दुनिया को दी गई उसके परमाणु ताकत की चेतावनी के तौर पर क्यों देखा जा रहा है, जानिए.
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दक्षिण चीन सागर पर बढ़ते अंतर्राष्ट्रीय दबाव के बीच चीन ने पहले ही अमेरिका सहित पूरी दुनिया को उसके आंतरिक मामलों से दूर रहने की चेतावनी दे दी थी. दक्षिण चीन सागर पर चीन के दावे को अंतर्राष्ट्रीय ट्राइब्यूनल द्वारा गलत ठहराए जाने के बाद से ही चीन आक्रामक मुद्रा में है और उसने इस फैसले को मानने से इनकार कर दिया था.
लेकिन अब चीन ने जो कदम उठाया है उससे पूरी दुनिया सकते में आ गई है और इसे दुनिया के लिए चीन की सबसे कड़ी चेतावनी के तौर पर देखा जा रहा है. चीन ने हाल ही में परमाणु सुरक्षा एमर्जेंसी ड्रिल की है, जिसे दुनिया के लिए उसकी परमाणु चेतावानी के तौर पर देखा जा रहा है. माना जा रहा है कि चीन ने ये कदम दक्षिण चीन सागर पर उसके दावे के खिलाफ बढ़ते अंतर्राष्ट्रीय दबाव की वजह से उठाया है और चीन इस ड्रिल से दुनिया को कड़ा संदेश देना चाहता है, आइए जानें आखिर चीन ने क्यों उठाया है ये कदम.
चीन ने पहली बार दी दुनिया को परमाणु हथियारों की चेतावनी!
चीन ने अपनी सुरक्षा व्यवस्था की तैयारियों का जायजा लेने के लिए हाल ही में परमाणु सुरक्षा आपात ड्रिल की है. चीन के इस कदम को दक्षिण चीन सागर पर बढ़ते अतंर्राष्ट्रीय दबावों के बीच उसके दुनिया के जवाब के तौर पर देखा जा रहा है. ऐसा सोचने की वजह ये भी है कि ये पहली बार है जब चीन व्यापक परमाणु सुरक्षा एमर्जेंसी ड्रिल की है. चीन के एक मंत्री ने इस ड्रिल की जानकारी देते हुए बताया कि इस ड्रिल का कोडनेम 'फेंगबाओ 2016' रखा गया था.
द स्टेट एडमिनिस्ट्रेशन ऑफ साइंस, टेक्नोलॉजी ऐंड इंडस्ट्री फॉर नेशनल डिफेंस ने रविवार को बताया कि इस ड्रिल का मकसद किसी आपातकालीन स्थिति में चीन के प्रतिक्रिया तंत्र का परीक्षण और उसमें सुधार करना था.
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चीन ने पहली बार व्यापक परमाणु सुरक्षा एमर्जेंसी करके दुनिया को सकते में डाल दिया है! |
प्रशासन ने कहा कि ड्रिल पूर्वनियोजित नहीं थी और इससे परमाणु सुरक्षा सिस्टम की क्षमता का परीक्षण किया गया है. इस ड्रिल को द स्टेट एडमिनिस्ट्रेशन ऑफ साइंस, टेक्नोलॉजी ऐंड इंडस्ट्री फॉर नेशनल डिफेंस के वाइस डायरेक्टर और चाइना एटोमिक एनर्जी अथॉरिटी के वाइस चेयरमैन वांग येरन की देखरेख में अंजाम दिया गया. चीन की सरकारी समाचार एजेंसी सिन्हुआ के मुताबिक केंद्रीय सरकार की एजेंसियां, स्थानीय सरकारें और चीन नेशनल न्यूक्लियर कॉर्प ने इस ड्रिल का अवलोकन किया.
पिछले साल आई एक रिपोर्ट के मुताबिक अक्टूबर 2015 तक चीन के पास 27 परमाणु ऊर्जा उत्पादन इकाइयां थीं, जिनकी कुल स्थापित क्षमता 25.5 गीगावाट्स थी, जबकि 27.51 गीगावाट्स की स्थापितत क्षमता वाली अन्य 25 यूनिट्स निर्माणाधीन हैं.
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हाल ही में चीन ने दक्षिण सागर में युद्धाभ्यास करके इस पर अपने अधिकार के दावे की पु्ष्टि करने की कोशिश की थी |
दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था वाला देश चीन अपनी स्थापित परमाणु ऊर्जा क्षमता को बढ़ाकर 58 गीगावाट्स करने की योजना बना रहा है, जिनमें से अतिरिक्त 30 गीगावाट्स निर्माणाधीन हैं जिनके 2020 तक पूरे करने की योजना है. चीन की 2030 तक खुद को एक ताकतवर परमाणु शक्ति के रूप में स्थापित करने की योजना है.
हाल ही में अंतर्राष्ट्रीय ट्राइब्यूनल ने दक्षिण चीन सागर पर चीनी एकाधिकार के दावे को खारिज कर दिया था. अमेरिका सहित दुनिया के कई देश दक्षिण चीन सागर पर चीन के दावे के खिलाफ लामबंद हो गए हैं. इसे देखते हुए ही चीन ने आक्रामक रुख अख्तियार कर लिया है. हाल ही में उसने दक्षिण चीन सागर में लड़ाकू विमानों और बमवर्षकों के साथ युद्धाभ्यास भी किया था, जिसे चीन द्वारा इस क्षेत्र पर अपने दावे को पुख्ता करने की कोशिशों के तौर पर देखा जा रहा है.
परमाणु सुरक्षा एमर्जेंसी ड्रिल से चीन ने अमेरिका सहिता पूरी दुनिया को ये संदेश दे दिया है कि अपने हितों की रक्षा के लिए वह किसी भी हद तक जा सकता है. चीन के इस कड़े संदेश पर दक्षिण चीन सागर के मुद्दे पर उसका विरोध कर रहे अमेरिका सहित बाकी देशों की क्या प्रतिक्रिया होगी, ये तो वक्त ही बताएगा, लेकिन इस ड्रिल से चीन ने दुनिया को सकते में तो डाल ही दिया है.
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