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Updated: 03 अक्टूबर, 2021 07:33 PM
देवेश त्रिपाठी
देवेश त्रिपाठी
  @devesh.r.tripathi
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भारत और चीन के बीच सीमा पर तनाव (india china standoff) बीते साल गलवान घाटी (Galwan Vally) में हुई हिंसक झड़प के बाद से लगातार बढ़ता जा रहा है. हालांकि, इस गतिरोध को खत्म करने के लिए भारत और चीन के बीच 12 बार सैन्य वार्ता की जा चुकी है. इन सैन्य वार्ताओं (india china news) के दौर से पैंगोंग झील और गोगरा हाइट्स का समाधान निकल चुका है. लेकिन, 13वें दौर की बातचीत से पहले एलएसी पर पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) की गतिविधियों की खबर से माहौल फिर से बदलने लगा है. मीडिया रिपोर्टस के अनुसार, चीनी सेना पूर्वी लद्दाख के गतिरोध वाले हिस्सों में सैनिकों की तैनाती (Chinese Troops Deployed Across Ladakh) के साथ तिब्बत में टैंक और फाइटर जेट्स की तादात को बढ़ा रहा है. इतना ही नहीं, चीनी सेना ने विवादित सीमा पर तेजी निर्माण कार्य कर अपनी सैन्य ताकत बढ़ा रही है.

वहीं, भारत के आर्मी चीफ जनरल मनोज मुकुंद नरवणे (Army Chief General Manoj Mukund Naravane) भी इन दिनों पूर्वी लद्दाख के दौरे पर सुरश्रा स्थिति का जायजा लेने के लिए मौजूद हैं. चीन की ओर से उकसावे वाली हरकतों पर आर्मी चीफ ने भी माना है कि चीनी सेना ने फॉरवर्ड क्षेत्रों में (Ladakh standoff) बड़ी संख्या में सैनिकों की तैनाती की है, जो चिंता का विषय है. एमएम नरवणे ने कहा कि हम इस पर नजर बनाए हुए हैं और भारतीय सेना हर चुनौती का सामना करने के लिए तैयार है. आसान शब्दों में कहें, तो चीनी सेना एक बार फिर से लद्दाख सीमा पर खुद को मजबूत करते हुए लौट आई है. आइए जानते हैं कि इस स्थिति में भारतीय सेना के सामने ताजा चुनौती क्या है?

चीनी सेना एक बार फिर से लद्दाख सीमा पर खुद को मजबूत करते हुए लौट आई है.चीनी सेना एक बार फिर से लद्दाख सीमा पर खुद को मजबूत करते हुए लौट आई है.

सैन्य वार्ता से पहले दबाव बनाने की कोशिश

बीते कुछ सालों में भारत सरकार समझ चुकी है कि अब पाकिस्तान नहीं, बल्कि विस्तारवादी नीति वाला चीन उसका सबसे बड़ा दुश्मन है. यही वजह है कि भारत सरकार ने चीन से लगी सीमा पर तेजी से निर्माण कार्यों को बढ़ाया है. बीते साल गलवान घाटी में हुई हिंसक झड़प के बाद भारत और चीन के बीच हुई 12वें दौर की सैन्य वार्ता में गोगरा हाइट्स के विवाद का समाधान निकाल लिया गया था. वहीं, अब भारतीय सेना हॉट स्प्रिंग्स क्षेत्र के समाधान के लिए चीनी सेना के साथ 13वें दौर की सैन्य वार्ता को लेकर आशान्वित है. माना जा रहा है कि ये सैन्य वार्ता अक्टूबर में ही हो सकती है. पीएलए की ओर से सैनिकों की तैनाती को बढ़ाने की वजह 13वें दौर की सैन्य वार्ता ही मानी जा रही है. दरअसल, चीन से लगी सीमा पर विवादित स्थानों (India China border situation) को लेकर भारत सभी मामलों को एकसाथ रखते हुए आगे बढ़ रहा है. जिसकी वजह से कहीं न कहीं चीन पर दबाव पड़ता है. वहीं, चीन चाहता है कि नये और पुराने विवादित मामलों को अलग-अलग रखकर वार्ता की जाए. हालांकि, भारतीय सेना चीन के हिसाब से चलते हुए भी तेजी से विवादित मामलों को सुलझा रही है.

इस बात में कोई दो राय नहीं है कि किसी भी समस्या का समाधान बातचीत से ही निकाला जा सकता है. और, भारत इस मामले में बहुत फूंक-फूंक कर कदम रख रहा है. भारतीय सेना चीन के इरादों से बखूबी वाकिफ है और चीनी सेना पर रत्तीभर भी भरोसा नहीं करती है. हाल ही में एक मीडिया रिपोर्ट में दावा किया गया है कि चीनी सेना ने भारत के खिलाफ साजिश रचने के लिए पाकिस्‍तानी सेना के अधिकारियों को भारत से लगती सीमा के पश्चिमी और दक्षिणी थिएटर कमांड के तिब्बत मुख्‍यालय में तैनात किया गया है. बताया जा रहा है कि चीन और पाकिस्‍तान के बीच इंटेलिजेंस शेयरिंग अरेंजमेंट के बाद पाकिस्‍तानी सेना के कर्नल रैंक के अधिकारियों को सेंट्रल मिलिट्री कमिशन के ज्वाइंट स्टाफ डिपार्टमेंट में तैनाती मिली है, जो चीन के सशस्त्र बलों के लिए युद्ध की योजना और रणनीति बनाने का काम करता है. चीन की सेना पाकिस्तान के साथ अपना गठजोड़ दिखाकर 13वें दौर की सैन्य वार्ता से पहले भारत पर कूटनीतिक तौर पर दबाव बनाने की कोशिश कर रही है. क्योंकि, सैन्य वार्ताओं के दम पर भारत बीते साल से अब तक कई जगहों का समाधान निकाल चुका है. सूत्रों के अनुसार, पीएलए के साथ अगले दौर की सैन्य वार्ता में हॉट स्प्रिंग्स के साथ ही देमचोक और डेपसांग में पेट्रोलिंग के अधिकारों को लेकर बातचीत की जाएगी.

जवाब देने के लिए तैयार है भारतीय सेना

आर्मी चीफ जनरल एमएम नरवणे (Army Chief) ने पीएलए की ओर से की जा रही सैनिकों की तैनाती पर कहा कि चीनी सेना की तैनाती पर हम नजर बनाए हुए हैं. उन्होंने कहा कि भारतीय सेना किसी भी परिस्थिति का जवाब देने के लिए तैयार है. पूर्वी लद्दाख क्षेत्र में भारतीय सेना ने मजबूती के साथ आधुनिक हथियारों और सैनिकों की तैनाती की है और स्थिति अभी नियंत्रण में है. भारत ने चीन को मुंहतोड़ जवाब देने के लिए पूर्वी लद्दाख में पहली बार K9-वज्र तोपें तैनात की है. इंडियन आर्मी ने K9-वज्र की ब्रिगेड पूर्वी लद्दाख में तैनात की है. आर्मी चीफ ने इस दौरान ये भी जानकारी दी कि पूर्वी लद्दाख में चीन की सेना को मुंहतोड़ जवाब देने के लिए K-9-वज्र सेल्फ-प्रोपेल्ड हॉवित्जर तोपों की तैनाती भी की गई है. वहीं, भारत ने चीन से लगती पूर्वी सीमा पर करीब दो महीने पहले ही हथियारों से लैस राफेल विमानों की तैनाती कर दी थी. आर्मी चीफ जनरल एमएम नरवणे का कहना है कि विवादित इलाकों का समाधान निकालने के लिए हर स्तर पर कोशिश की जा रही है. उम्मीद है कि जल्द ही सभी मुद्दे निपट जाएंगे.

मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, एलएसी पर चीन के साथ भारत को 18 विवादित स्थानों का हल निकालना है. बीते साल पीएलए के अतिक्रमण को भारतीय सेना ने प्रतिरोध कर रोक दिया था. जिसके बाद से लगातार गतिरोध वाले स्थानों को लेकर बातचीत की जा रही है. अब तक गलवान घाटी, पैंगोंग झील और गोगरा हाइट्स का समाधान निकाला जा चुका है. दरअसल, पीएलए गलवान घाटी में भारतीय सेना की आक्रामकता देख चुकी है. इसलिए दोबारा ऐसी कोई भी हरकत करने से पहले चीन की सेना सौ बार सोचेंगी. लेकिन, पीएलए विवादित मामलों को लंबा खींचने की कोशिश कर भारतीय सेना पर परोक्ष रूप से दबाव बना रही है. हालांकि, इसका कोई खास फर्क नहीं पड़ता है. क्योंकि, चीन भी भारत के साथ युद्ध में फंसना नहीं चाहेगा. हाल ही में क्वाड संगठन में शामिल देशों के साथ बातचीत के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अमेरिका गए थे. कहने का तात्पर्य ये है कि भारत के खिलाफ युद्ध छेड़ने की स्थिति में चीन को ऑस्ट्रेलिया, जापान के मोर्चों पर भी चुनौती मिलेगी. साथ ही दुनिया की सबसे बड़ी महाशक्ति अमेरिका भी इस युद्ध में कूद पड़ेगा. जो किसी भी तरह से चीन के पक्ष में नहीं जाता है.

भारत शांति से हल निकालने की ओर अग्रसर

राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल, चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ जनरल बिपिन रावत और सेनाध्यक्ष जनरल एमएम नरवणे के मार्गदर्शन में लगातार आगे बढ़ रही बातचीत में भारत रणनीति के तहत नये विवादित स्थानों का हल तेजी से निकाल रहा है. वहीं, सर्दियों से पहले चीन से लगती पूरी पूर्वी सीमा पर भारतीय सेना की ओर से सैनिकों की तैनाती को बढ़ा दिया गया है. माना जा रहा है कि 13वें दौर की सैन्य वार्ता के दौरान अगर कोई हल नहीं निकलता है, तो सीमा की सुरक्षा के लिए सैनिकों की तैनाती इसी संख्या में बनी रहेगी. जिससे चीन की चिंता बढ़ना तय है.

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लेखक

देवेश त्रिपाठी देवेश त्रिपाठी @devesh.r.tripathi

लेखक इंडिया टुडे डिजिटल में पत्रकार हैं. राजनीतिक और समसामयिक मुद्दों पर लिखने का शौक है.

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