क्या भारत को नहीं चाहिए ताकतवर नेतृत्व? कांग्रेस के सैम पेत्रोदा कहते हैं नहीं
इंडियन ओवरसीज कांग्रेस के अध्यक्ष सैम पेत्रोदा ने नरेंद्र मोदी की ताकत, पाकिस्तान के खिलाफ सरकार के रवैए और बालाकोट सर्जिकल स्ट्राइक पर जो-जो ऐतराज जताए हैं, वे सब बीजेपी के लिए मुद्दा और लोगों के बीच बहस बन गए हैं.
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पुलवामा हमले के बाद प्रधानमंत्री मोदी और भारतीय वायु सेना पर सवाल उठाने वालों में एक नाम और जुड़ गया है. गांधी परिवार के बेहद करीबी और इंडियन ओवरसीज कांग्रेस के अध्यक्ष सैम पेत्रोदा ने पुलवामा हमले पर बड़ा बयान देकर चुनावी माहौल में लगी सियासी आग में घी डालने का काम किया है. हालांकि सैम पेत्रोदा कह रहे हैं कि उन्होंने पार्टी की तरफ से कुछ नहीं बोला है, ये सारे सवाल उन्होंने एक नागरिक के तौर पर किए हैं.
सैम की इन सभी बातों में एक बात बेहद अजीब है जो शायद किसे के गले नहीं उतरेगी. पहले जानते हैं कि सैम ने पुलवामा हमले, एयर स्ट्राइक और पाकिस्तान पर क्या कहा. फिर जानेंगे वो बात जो इस समझदार व्यक्ति की समझ पर सवाल खड़े करती है. अब सवाल मोदी सरकार पर नहीं खुद कांग्रेस पर उठ रहे हैं.
सैम पेत्रोदा गांधी परिवार के बेहद करीबी और इंडियन ओवरसीज कांग्रेस के अध्यक्ष हैं
पाकिस्तान का पक्ष लेना-
'पुलवामा हमले के लिए पूरे पाकिस्तान पर आरोप लगाना सही नहीं है. कुछ लोग यहां आते हैं और हमला करते हैं. उन लोगों की गलती की सजा पूरे देश को नहीं दी जानी चाहिए. मैं नहीं मानता कि यह सही तरीका है.'
पाकिस्तान को जवाब देने के लिए मोदी के फैसले को गलत ठहराना-
सैम पित्रौदा को लगता है कि पुलवामा हमला बाकी हमलों की ही तरह है. उनका कहना है- 'हमले होते रहते हैं. मुंबई में भी हमला हुआ था. हम भी तब जवाब दे सकते थे और अपने विमान भेज सकते थे. लेकिन यह सही तरीका नहीं है. मेरे हिसाब से हमें दुनिया के साथ इस तरह से डील नहीं करना चाहिए.' ये कहकर सैम ने न सिर्फ पुलवामा हमले की गंभीरता खत्म की है बल्कि पाकिस्तान का बचाव करके अपनी मंशा भी साफ कर दी है.
वायु सेना पर सवाल उठाना-
सैम खुद को भारतीय कहते हैं लेकिन भारतीय अखबारों से ज्यादा विदेशी अखबारों पर भरोसा करते हैं. उनका कहना है- 'मैं और ज्यादा जानना चाहता हूं क्योंकि मैंने न्यूयॉर्क टाइम्स और अन्य अखबारों में छपी खबरों को ही पढ़ा था. क्या हमने वाकई में हमला किया था? क्या हमने वाकई में 300 लोगों को मारा था? अगर आप कहते हैं कि 300 लोग मारे गए. तो हममें से हर किसी को और हर भारतीय को इसके बारे में जानने की जरुरत है. जिसपर ग्लोबल मीडिया ये कहता है कि कोई मरा ही नहीं. भारतीय नागरिक होने के नाते मुझे बहुत बुरा लगता है.'
प्रधानमंत्री ने सैम को चेताया कि जनता माफ नहीं करेगी
सैम की इस बात का जवाब प्रधानमंत्री मोदी ने कुछ इस तरह दिया- प्रधानमंत्री ने कहा- 'हमारी सेना का बार-बार अपमान करता है. मैं अपने साथी भारतीयों से अपील करता हूं- उनके बयानों पर विपक्षी नेताओं से सवाल करें. उन्हें बताएं- 130 करोड़ भारतीय विपक्ष की इन हरकतों को न कभी भूलेंगे और न ही उन्हें इसके लिए माफ करेंगे. भारत हमारी सेनाओं के साथ मजबूती से खड़ा है.' और साथ में #JantaMaafNahiKaregi का हैशटैग लगाकर उन्होंने बताया कि सैम असल में कितने गलत हैं.
ताकतवर नेतृत्व की तुलना हिटलर से करना-
ये सभी बातें तो विरोधी कहते ही आए हैं. लेकिन सैम पेत्रोदा ने कुछ ऐसा कहा जो शायद कांग्रेस पर ही उल्टा पड़ जाए. सैम ने कहा- 'पीएम मोदी एक ताकतवर सरकार का प्रतीक हैं. भारत को फैसला करना होगा, क्योंकि लोकतंत्र के लिए मजबूत होना जरूरी नहीं है. हिटलर भी बहुत मजबूत था, सभी तानाशाह मजबूत हैं, चीन के नेता भी बहुत मजबूत हैं, क्या भारत यही चाहता है?'
क्या प्रधानमंत्री की तुलना हिटलर से की जा सकती है?
प्रधानमंत्री मोदी की तुलना हिटलर के करके पेत्रोदा ने अपनी खीज तो निकाली ही है, लेकिन जाने-अनजाने में ही सही उन्होंने मोदी सरकार को ताकतवर कहकर उनका नुक्सान नहीं, फायदा ही किया है.
भारत को एक मजबूत और ताकतवर नेतृत्व ही चाहिए
सैम देश की जनता से सवाल कर रहे हैं कि उन्हें निर्णय लेना चाहिए कि उन्हें एक ताकतवर सरकार चाहिए या नहीं? तो जवाब हम दिए देते हैं क्योंकि हम भी भारत की ही जनता हैं. भारत को एक मजबूत और ताकतवर नेतृत्व ही चाहिए. और सरकार को चलाने वाला प्रधानसेवक भी ताकतवर होना चाहिए. खासकर तब जब भारत का पड़ोसी देश पाकिस्तान हो और वो बड़े शातिर तरीके से आतंकवाद का खेल खेल रहा हो.
सैम पेत्रोदा की नजर में भले ही ताकतवर होना कोई अहमियत नहीं रखता हो, लेकिन ये कहकर उन्होंने कहीं न कहीं इंदिरा गांधी की ताकत पर भी सवाल खड़े कर दिए हैं. क्या इन्दिरा गांधी ताकतवर नहीं थीं? या उनके ताक़तवर होने का भारत को कोई नुकसान हुआ? या फिर ताकत को नकारात्मक कहते-कहते सैम पेत्रोदा ने मान लिया है कि राहुल गांधी ताकतवर नहीं हैं?
सैम भले ही प्रधानमंत्री मोदी के एयरस्ट्राइक वाले फैसले पर उंगली उठा रहे हों, लेकिन देश को भारत से यही उम्मीद थी. पुलवामा में शहीद हुए 40 जवानों के परिवार को भी इस हमले का बदला इसी रूप में चाहिए था. अगर सैम या कांग्रेस वाकई ये मानती है कि मुम्बई हमला 8-10 लोगों की करतूत थी, और पुलवामा हमला सिर्फ एक हमलावर के दिमाग की उपज था, और जिसका पाकिस्तान से कोई लेना-देना नहीं तो फिर हमें वास्तव में एक ऐसे ही नेतृत्व की जरूरत है जो आतंकवाद को मुंह तोड़ जवाब दे सके.
सैम पेत्रोदा ने मोदी सरकार पर सवाल दागकर भले ही सनसनी फैलाई हो लेकिन पाकिस्तान को गलत न ठहराने पर, सेना पर सवाल उठाने पर तो उन्हें भारत की जनता कभी माफ नहीं करने वाली. और इसका जवाब तो जनता बहुत जल्द दे ही देगी.
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