कर्नाटक विधान सभा चुनाव: आक्रामक रुख होगा कांग्रेस के लिए जीत की कुंजी
राहुल गांधी 10 फरवरी से कर्नाटक के दौरे पर जा रहे हैं. भाजपा के लिए जैसे योगी-धर्म और मोदी-विकास की बात करते हैं, उसी तरह सिद्धारमैया को धर्म और राहुल गांधी को विकास पर बात करनी चाहिए.
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कर्नाटक विधानसभा चुनाव अप्रैल में होने की उम्मीद है. लेकिन भाजपा और कांग्रेस ने अभी से ही अपनी कमर कस ली है. भाजपा ने उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को बड़े जोरों शोरों से राजनीतिक मैदान में उतार दिया है. योगी के मैदान में आते ही विकास और विकास से जुड़े मुद्दे राजनीतिक बहस में कहीं पिछड़ गए हैं. पिछले कुछ दिनों से धर्म और धर्म से जुड़े विषय ही कर्नाटक की राजनीतिक चर्चा में सुने जा रहे हैं.
अपने भाषणों में योगी आदित्यनाथ ने यह बताने की कोशिश की है कि वर्तमान राज्य सरकार हिंदू विरोधी है. योगी के अनुसार, सिद्धारमैया सरकार को कर्नाटक में जन्में हनुमान जी और विजयनगर साम्राज्य जैसे भव्य इतिहास की चिंता नहीं है, बल्कि उसे हिंदूओं के हत्यारे टीपू सुलतान के सम्मान की चिंता है.
योगी आदित्यनाथ ने राज्य सरकार पर आरोप लगाया कि कर्नाटक में हिंदूओं और भाजपा कार्यकर्ताओं की बर्बरतापूर्वक हत्या की जा रही है. भाजपा का आरोप है कि सिद्धारमैया सरकार की मुस्लिम तुष्टिकरण की नीति के कारण कर्नाटक में हिंदू समाज के साथ भेदभाव हो रहा है. यही कारण है कि सिद्धारमैया सरकार प्रदेश में हिंदूओं के विरुद्ध हो रहे अपराधों को रोकने में पूरी तरह असफल रही है.
भाजपा को टक्कर देने के लिए सिद्धारमैया को भाजपा के हर आरोप का जवाब देना होगा
दूसरी तरफ कर्नाटक के मुख्य मंत्री सिद्धारमैया ने खुद को एक हिंदू बताया. इतना ही नहीं सिद्धारमैया ने भाजपा और आरएसएस के सदस्यों की तुलना आतंकवादियों से कर दी. भाजपा की कट्टर हिंदूत्व नीति तो सबको मालूम है, लेकिन सिद्धारमैया भी भाजपा की उग्र राजनीति का जवाब उसकी ही भाषा में देने को तैयार हैं. सिद्धारमैया को पता है कि यदि कांग्रेस, भाजपा के धर्म आधारित प्रश्नों का उत्तर नहीं देगी, तो चुनाव आते आते भाजपा चुनावी रुख अपनी ओर कर लेगी.
सिद्धारमैया का प्रयास होगा की वो भाजपा के समक्ष कमजोर नजर न आएं. जबकि भाजपा धार्मिक विषयों को चुनावों तक उठाती रहेगी. भाजपा में हिंदूवादी विषय मध्य क्रम के नेता उठाते हैं और शीर्ष नेतृत्व विकास की बात करता है. कर्नाटक के मुख्य मंत्री पर ज़िम्मेवारी होगी की वह इन दोनों विषयों पर भाजपा को उत्तर दे.
कांग्रेस की कोशिश होगी की विकास और उसके द्वारा किए गए काम, चुनावों में बहस के मुद्दे बनें. इसके विपरीत भाजपा धर्म आधारित राजनीति पर जोर देगी. ऐसी स्थिति में आक्रामक रुख ही कांग्रेस के लिए फ़ायदेमंद होगा. राहुल गांधी 10 फरवरी से कर्नाटक के दौरे पर जा रहे हैं. भाजपा के लिए जैसे योगी-धर्म और मोदी-विकास की बात करते हैं, उसी तरह सिद्धारमैया को धर्म और राहुल गांधी को विकास पर बात करनी चाहिए. यही रणनीति कांग्रेस के लिए कारगर होगी.
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