बंगाल में 'दिमाग' लगाकर राहुल गांधी ने कोरोना को बीजेपी बनाम जनता कर दिया है!
राहुल और कांग्रेस ने केरल औेर असम में तो जमकर प्रचार किया. लेकिन बात जब बंगाल की आई तो राहुल ने ऐसा यू टर्न लिया कि बड़े बड़े राजनीतिक पंडित विचलित हो गए. राहुल ने बंगाल में प्रचार की जगह पीछे हटने को क्यों वरीयता दी इसकी भी वजह बहुत दिलचस्प है.
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राजनीति अवसरवादिता का खेल है. क्या पीएम मोदी और क्या कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी के अलावा तृणमूल सुप्रीमो ममता बनर्जी. अवसरवादी वही है, जो न केवल मौके पर चौका जड़े. बल्कि दर्शकदीर्घा में बैठे लोगों से पहले ही ताली बजवा दे. पांच राज्यों पश्चिम बंगाल, केरल, तमिलनाडु, पुडुचेरी में चुनाव हो चुके हैं. नतीजे हमारे सामने हैं. पश्चिम बंगाल में जहां ममता तृणमूल का किला बचाने में कामयाब रहीं. तो वहीं केरल की सत्ता लेफ्ट के हाथ आई. इसी तरह भाजपा भी असम बचाने में कामयाब रही. पांच राज्यों में हुए इस चुनाव के सबसे रोचक नतीजे तमिलनाडु से आए जहां एआईडीएमके को पछाड़ते हुए डीएमके ने ऐतिहासिक जीत दर्ज की है. पांच राज्यों में हुए इस चुनाव में ऐसा बहुत कुछ हो चुका है जो इतिहास में दर्ज होगा. मगर जिस चीज के लिए ये चुनाव याद किया जाएगा वो है कांग्रेस पार्टी. और उसकी वो चालबाजी, जिसमें उसने ये घोषणा की कि कोविड 19 की दूसरी वेव के चलते उसका कोई भी प्रवक्ता चुनाव परिणाम वाले दिन यानी 2 मई 2021 को किसी भी टीवी डिबेट में नहीं जाएगा.
राहुल गांधी ने जो दांव बंगाल में ममता बनर्जी को फायदा पहुंचाने के लिए खेला उसने राजनीतिक पंडितों तक को हैरत में डाल दिया
कांग्रेस की इस पहल या ये कहें कि इस फैसले के बाद तो जैसे प्रतिक्रियाओं की झड़ी लग गई. पार्टी के समर्थकों के अलावा वो लोग जो कांग्रेस से थोड़ी बहुत भी हमदर्दी रखते थे उन्होंने पार्टी द्वारा लिए गए इस फैसले का स्वागत किया और इसे देशहित में बताया.
At a time when Nation is facing an unprecedented crisis, when Govt under PM Modi has collapsed, we find it unacceptable to not hold them accountable & instead discuss election wins & losses.We @INCIndia have decided to withdraw our spokespersons from election debates.1/2
— Randeep Singh Surjewala (@rssurjewala) May 1, 2021
पार्टी प्रवक्ता रणदीप सिंह सुरजेवाला के ट्वीट को यदि हम नजीर बनाएं तो कई बातें खुद न खुद साफ़ हो जाती हैं. साथ ही इस बात का भी अंदाजा लग जाता है कि भविष्य में कांग्रेस और राहुल गांधी की राजनीति का रुख क्या होगा.
2/2We shall remain available for any comment that media friends want. We may win, we may lose, but at a time when people are looking for oxygen, beds, medicines, ventilators; our duty tells us to stand by them, work with them to heal & help.In solidarity with India.
— Randeep Singh Surjewala (@rssurjewala) May 1, 2021
बंगाल में तृणमूल खेला करने में कितनी कामयाब हुई? ये किसी से छिपा नहीं है. मगर कांग्रेस और वर्तमान में पार्टी के सर्वेसर्वा राहुल गांधी ने खेला जरूर कर दिया है. सवाल होगा कैसे? तो बस इतना समझ लीजिए कि राहुल गांधी और कांग्रेस ने केरल औेर असम में तो जमकर प्रचार किया. लेकिन बात जब बंगाल की आई तो राहुल और पार्टी दोनों ने ऐसा यू टर्न लिया कि बड़े बड़े राजनीतिक पंडित विचलित हो गए.
राहुल और कांग्रेस ने बंगाल में प्रचार की जगह पीछे हटने को क्यों वरीयता दी? इसकी भी वजह बहुत दिलचस्प है. बंगाल का जैसा पॉलिटिकल बैक ड्राप रहा है, राहुल और कांग्रेस पार्टी दोनों ही इस बात को बखूबी जानते थे कि बंगाल में उनकी कोई संभावना नहीं थी, और साथ ही कहीं न कहीं वो ममता के पक्ष में अपने वोटरों को एक बड़ा संदेश देना चाहते थे.
“The Modi government must realise that the battle is against Covid, it is not against the Congress or other political opponents.” pic.twitter.com/BNQGDLpkru
— Rahul Gandhi (@RahulGandhi) April 27, 2021
कहा तो यहां तक जा रहा है कि राहुल को कोविड के लक्षण नजर आने लगे थे, लेकिन उन्होंने मोदी पर हमला करके खुद को इलाज के क्वारंटाइन कर लिया. अब अपने नेताओं को बहस में न भेजकर भी वो अपनी उसी रणनीति पर काम कर रहे हैं.
राहुल द्वारा ये सब क्यों किया गया? इसकी भी वजह बहुत मजेदार है. राहुल चाहते हैं कि कोरोना का मुद्दा कांग्रेस-बीजेपी के बीच विवाद का विषय न बने. बल्कि बीजेपी बनाम जनता का मुद्दा बने. राहुल को उम्मीद थी कि जनता की नाराजगी का आखिरी फायदा तो उन्हें ही मिलेगा और ये बात बंगाल के मद्देनजर सही भी साबित हुई है.
‘सिस्टम’ फ़ेल है इसलिए ये जनहित की बात करना ज़रूरी है:इस संकट में देश को ज़िम्मेदार नागरिकों की ज़रूरत है। अपने कांग्रेस साथियों से मेरा अनुरोध है कि सारे राजनैतिक काम छोड़कर सिर्फ़ जन सहायता करें, हर तरह से देशवासियों का दुख दूर करें। कांग्रेस परिवार का यही धर्म है।
— Rahul Gandhi (@RahulGandhi) April 25, 2021
बंगाल जीतने के लिए बीजेपी ने साम, दाम, दंड, भेद एक किया हुआ था लेकिन जिस तरह ममता बनर्जी बंगाल के दुर्ग में लगे झंडे को बचाने में कामयाब हुईं उसकी एक बहुत बड़ी वजह वो समर्थन है, जो पीएम मोदी को शिकस्त देने के लिए ममता बनर्जी को पर्दे के पीछे से राहुल गांधी और कांग्रेस ने दिया.
Shroud the truthDeny oxygen shortageUnderreport deathsGOI is doing everything... ...to save his fake image! pic.twitter.com/AfizkPPGGG
— Rahul Gandhi (@RahulGandhi) April 25, 2021
ध्यान रहे कोविड की इस दूसरी लहर को लेकर जैसे हालात हैं. भाजपा और पीएम मोदी दोनों आम से लेकर खास तक एक बड़े वर्ग की आलोचनाओं का शिकार हो रहे हैं. कहा तो ये भी जा रहा है कि जितनी ऊर्जा पीएम मोदी ने बंगाल में रैली के लिए लगाई यदि उसकी आधी भी वो कोरोना से लड़ने के लिए लगा देते तो आज स्थिति और होती. न तो लोग ऑक्सीजन और बेड की कमी से मरते. न ही देश में कोविड के इस दौर में जरूरी चीजों की कालाबाजारी होती.
I’m happy to congratulate Mamata ji and the people of West Bengal for soundly defeating the BJP.
— Rahul Gandhi (@RahulGandhi) May 2, 2021
बहरहाल राहुल गांधी का कोविड की इस सेकंड वेव के दौर में, अपने प्रवक्ताओं को परिणाम वाले दिन टीवी डिबेट में न भेजने का फैसला उनके राजनीतिक भविष्य के लिए कितना फायदेमंद होगा इसका फैसला तो वक़्त करेगा. लेकिन जो वर्तमान है साथ ही जैसा रवैया राहुल गांधी का इस वक़्त है वो पूर्व में दूध से जल चुके थे और अभी वो छाछ भी फूंक फूंककर पी रहे हैं.
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