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बड़ा आर्टिकल  |  
Updated: 03 अक्टूबर, 2021 08:09 PM
मृगांक शेखर
मृगांक शेखर
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कांग्रेस की राजनीति में पंजाब का हाल फिलहाल वैसा ही रोल नजर आ रहा है, जैसा देश की राजनीति में कुछ दिनों से पश्चिम बंगाल की भूमिका. पंजाब के मुख्ममंत्री पद से इस्तीफे के बाद कैप्टन अमरिंदर सिंह के दिल्ली में कदम रखने का भी वैसा ही असर देखने को मिला जैसा नये सिरे से शपथग्रहण के बाद ममता बनर्जी के तूफानी दौरे का.

कैप्टन अमरिंदर सिंह (Capt. Amrinder Singh) अभी अमित शाह से मिले ही थे कि कपिल सिब्बल ने ये कह कर हंगामा खड़ा कर दिया कि जब कांग्रेस के पास जब कोई चुना हुआ अध्यक्ष है ही नहीं तो फैसले कौन ले रहा है?

ये सुनते ही गांधी परिवार (Gandhi Family) के करीबी समझे जाने वाले नेताओं ने कपिल सिब्बल के खिलाफ धावा बोल दिया - और फिर कांग्रेस प्रवक्ता ने पंजाब में दलित मुख्यमंत्री से जोड़ते हुए एक साथ सभी को निशाना बनाने की कोशिश की - पूर्व मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह, कांग्रेस नेता कपिल सिब्बल (Kapil Sibal) और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह को भी.

अजय माकन और अश्विनी कुमार जैसे सीनियर कांग्रेस नेताओं ने तो कपिल सिब्बल को जी भर धिक्कारा ही, दिल्ली कांग्रेस के कार्यकर्ता उनके घर पहुंच कर हंगामा करने लगे. उनके घर पर टमाटर फेंकने के साथ ही उनकी पर चढ़ कर हंगामा किये और तोड़ भी डाले.

लेकिन कांग्रेस की तरफ से जैसा रिएक्शन कैप्टन के अमित शाह से मुलाकात और कपिल सिब्बल के बयान पर देखने को मिला, वैसी तत्परता कपिल सिब्बल के घर पर हुए हंगामे को लेकर नहीं आया - फिर तो गांधी परिवार पर ही उंगलियां उठने लगीं.

राहुल गांधी और सोनिया गांधी की चुप्पी पर भी सवाल उठाये जाने लगे - और कहा यहां तक जाने लगा कि कपिल सिब्बल के साथ कांग्रेस के ही कार्यकर्ताओं ने जो व्यवहार किया है उसमें कांग्रेस नेतृत्व की भी सहमति लगती है.

गांधी परिवार की चुप्पी पर कांग्रेस के भीतर और बाहर दोनों जगह सवाल तो उठ ही रहे हैं, कपिल सिब्बल के सपोर्ट में एक एक करके कई सीनियर कांग्रेस नेता सामने आने लगे हैं. हाल तो ये हो रखा है कि जैसे ही कोई कांग्रेस नेता कपिल सिब्बल को कोसना शुरू करता है - बचाव में भी कांग्रेस के ही नेता खड़े हो जा रहे हैं.

कैप्टन अमरिंदर सिंह की कांग्रेस छोड़ देने की घोषणा के बावजूद उनको पार्टी के भीतर से ही समर्थन मिलना ये तो साफ साफ बता रहा है कि पंजाब में कांग्रेस टूट की कगार पर पहुंच चुकी है - दिल्ली की तस्वीर अभी थोड़ी धुंधली नजर आ रही है.

सिब्बल तो राहुल गांधी के 'निडर' कैटेगरी में ही लगते हैं

राहुल गांधी ने निडर और डरपोक नेताओं की पैमाइश के लिए जो पैरामीटर तय किया है, उसमें कैप्टन अमरिंदर सिंह भले ही छंट जायें - लेकिन कपिल सिब्बल खरे उतरेंगे. ऊपर से कपिल सिब्बल के निडर होने का आलम ये है कि वो तो अब गांधी परिवार से भी नहीं डरे हुए लगते हैं.

सोनिया गांधी और राहुल गांधी तो दिल्ली में राजघाट जाकर ही काम चला लेते हैं, लेकिन कपिल सिब्बल तो 2 अक्टूबर को सीधे अहमदाबाद में साबरमती आश्रम ही पहुंच गये. नागरिकता संशोधन कानून के विरोध में सोनिया गांधी ने बच्चों और कई कांग्रेस के नेताओं के साथ राजघाट पर धरना दिया था और भारतीय संविधान की प्रस्तावना का पाठ कर विरोध प्रकट किया था.

कांग्रेस के G-23 गुट के नेता कपिल सिब्बल ने बाकी सवालों को तो ये कह कर टाल दिया कि दिल्ली पहुंच कर ही बात करेंगे, लेकिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह को एक साथ टारगेट किया, 'गुजरात के नेता जो दिल्ली पहुंच गये हैं... वो महात्मा गांधी के बारे में बहुत कम जानते हैं... मैं मोदी से पूछना चाहता हूं वो सत्य कहां गया? आंकड़ों में, वाणी में, काम में और हर चीज में असत्य है.'

congress workers protest, kapil sibal, natwar singhकपिल सिब्बल के घर कांग्रेस कार्यकर्ताओँ के हंगामे पर राहुल गांधी और सोनिया गांधी की चुप्पी बहुत भारी पड़ रही है.

कांग्रेस नेतृत्व को लेकर दिये अपने बयान के बाद कपिल सिब्बल गांधी परिवार के करीबी होने का दावा करने वाले नेताओं के निशाने पर आ गये हैं. विरोध करने उनके घर तक पहुंच गये कांग्रेस कार्यकर्ता हाथों में तख्तियां लिये हुए थे जिन पर लिखा था - गेट वेल सून सिब्बल. हंगामे के दौरान कांग्रेस कार्यकर्ता नारेबाजी भी कर रहे थे - 'गद्दारों को पार्टी से बाहर निकालो.'

इस वाकये के बाद बड़ी संख्या में कांग्रेस के सीनियर नेता कपिल सिब्बल के सपोर्ट में देखे जा रहे हैं - और उनमें सबसे महत्वपूर्ण बयान गांधी परिवार के करीबी समझे जाने वाले पी. चिदंबरम का लगता है. चिदंबरम ने कपिल सिब्बल के साथ हुए कांग्रेस कार्यकर्ताओं के दुर्व्यवहार पर लिखा था, 'जब पार्टी फोरम पर हम सार्थक संवाद की शुरुआत नहीं कर सकते - और जब हम कांग्रेस कार्यकर्ताओं को एक साथी नेता के घर के बाहर नारेबाजी करते देखते हैं तो मैं खुद को असहाय पाता हूं.'

जब कपिल सिब्बल से चिदंबरम की टिप्पणी के बारे में पूछा गया तो बोले, 'वो मेरे प्रिय सहयोगी हैं... मैं उनके ट्वीट पर टिप्पणी नहीं करना चाहता... मैं सिर्फ इतना कह सकता हूं कि राजनीति में मैं जब मोदी सरकार के बारे में सोचता हूं तो मौन रहने को सुरक्षित पनाहगाह नहीं मानता.'

कपिल सिब्बल और गुलाम नबी आजाद गांधी परिवार के करीबी कांग्रेस नेताओं के निशाने पर सोनिया गांधी को चिट्ठी लिखने के बाद से ही आ गये थे. दरअसल, गुलाम नबी आजाद ही चिट्ठी लिखने वाले नेताओं की अगुवाई कर रहे हैं और ऐसे नेताओं को G-23 गुट के तौर पर देखा जा रहा है. कपिल सिब्बल ने सोनिया गांधी की तरफ से राज्य सभा सांसदों की मीटिंग में भी आत्म मंथन की सलाह दी थी तब भी राहुल गांधी के करीब नेता भड़क गये थे. मीटिंग में पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह भी मौजूद थे और कई बार उनको भी हस्तक्षेप करना पड़ा था.

बिहार चुनाव में कांग्रेस के प्रदर्शन के बाद भी कपिल सिब्बल ने कहा था कि लगता है कांग्रेस नेतृत्व को हार की आदत सी पड़ती जा रही है - और फिर जब केरल और असम में कांग्रेस फिसड्डी साबित हुई तब भी नेतृत्व को G-23 के कटाक्ष झेलने पड़े थे - विरोध की नयी कवायद पंजाब संकट के गंभीर होने के साथ साथ गहराती जा रही है.

कपिल सिब्बल ने कांग्रेस में फैसले लेने की अथॉरिटी को लेकर सवाल तो उठाया ही था, लगे हाथ कहा था, 'मेरे एक वरिष्ठ सहयोगी ने कांग्रेस अध्यक्ष को CWC की अर्जेंट मीटिंग बुलाने के लिए लिखा है - हम G-23 हैं, जी-हुजूर-23 नहीं.'

कांग्रेस नेता मनीष तिवारी ने कपिल सिब्बल के घर कांग्रेस कार्यकर्ताओं के हंगामे को लेकर ट्विटर पर पूछा - 'सिब्बल के घर पर उनकी कार को क्षतिग्रस्त कर दिया.. घर के अंदर टमाटर फेंके गये - यह गुंडागर्दी नहीं तो और क्या है?'

सीनियर नेता आनंद शर्मा ने तो घटना को उपद्रव बताया है और कहा है कि कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी को सख्त कार्रवाई करनी चाहिये. हालांकि, कांग्रेस के कई नेता कपिल सिब्बल पर किये गये गांधी परिवार के एहसान गिनाने लगे हैं.

जैसे नवजोत सिंह सिद्धू की तारीफ को तार्किक बनाने के लिए हरीश रावत कैप्टन अमरिंदर सिंह के बारे में बता रहे थे कि वो जो कुछ भी जिंदगी में हासिल कर पाये वो सिर्फ और सिर्फ कांग्रेस नेतृत्व की बदौलत, वैसे ही कई कांग्रेस नेता कपिल सिब्बल का भी बॉयोडाटा जबानी सुना रहे हैं. कह रहे हैं कि उनको किन परिस्थितियों में संसद पहुंचाया गया और कैसे मंत्री तक बना दिया गया, गिनाना नहीं भूल रहे हैं.

लेकिन ऐसे कांग्रेस नेताओं को शशि थरूर ने ये कह कर आईना दिखाने की कोशिश की है कि कांग्रेस की कई कानूनी लड़ाइयां भी कपिल सिब्बल ही लड़े हैं - याद रहे नेशनल हेराल्ड केस में जब सोनिया गांधी और राहुल गांधी पटियाला हाउस कोर्ट में पेश हुए थे तो जमानत दिलाने के लिए पैरवी कपिल सिब्बल ने ही की थी. राहुल गांधी के खिलाफ आरएसएस की तरफ से किये गये मानहानि के मुकदमे की पैरवी भी कपिल सिब्बल ने ही की है - और ऐसी कानूनी लड़ाइयों की लंबी फेहरिस्त जिनकी तरफ ध्यान खींचने की कोशिश शशि थरूर ने की है.

पहली बार गांधी परिवार सीधे निशाने पर है

कपिल सिब्बल के साथ कांग्रेस कार्यकर्ताओं के दुर्व्यवहार के बाद पूर्व विदेश मंत्री और कांग्रेस के बुजुर्ग नेता के. नटवर सिंह तो और भी ज्यादा आक्रामक नजर आये हैं - और ये पहला मौका है जब किसी कांग्रेसी ने सीधे सीधे नाम लेकर गांधी परिवार को टारगेट किया हो.

राहुल गांधी को लेकर नटवर सिंह कहते हैं, जिनके पास पार्टी में कोई पद नहीं है वो कैप्टन अमरिंदर को हटाने का फैसला करते हैं और हटाकर लाते किसे हैं - नवजोत सिंह सिद्धू को.

नटवर सिंह के पास इंदिरा गांधी के जमाने से लेकर अब तक के कांग्रेस के किस्सों की भरमार है और वो कई किताबें भी लिख चुके हैं. सिद्धू को लेकर भी नटवर सिंह ने एक किस्सा सुनाया है.

नटवर सिंह का कहना है कि पंजाब में उस सिद्धू को जिम्मेदारी दे दी गयी जो कभी भी कुछ भी फैसला ले सकते हैं - और किस्सा सुनाते हैं, 'एक बार सिद्धू ने राज्य सभा से इस्तीफा दे दिया था और फिर उपराष्ट्रपति हामिद अंसारी से मुलाकात करके कहा था कि क्या मैं उसे वापस ले सकता हूं? हामिद अंसारी ने बोल दिया कि अब तो इस्तीफा वापस नहीं लिया जा सकता.'

नटवर सिंह की नजर में कांग्रेस में कुछ भी सही नहीं चल रहा है और वेटरन कांग्रेस नेता के मुताबिक, हर बात के लिए सिर्फ तीन लोग जिम्मेदार हैं, जिनमें एक राहुल गांधी हैं.

राहुल के साथ प्रियंका गांधी को जोड़ते हुए नटवर सिंह कहते हैं, इन दोनों ने कैप्टन अमरिंदर सिंह को हटाने का फैसला लिया जिनका 52 साल का लंबा अनुभव रहा है.

नटवर सिंह ने इस बात पर भी हैरानी जतायी है कि अब न तो कभी वर्किंग कमेटी की मीटिंग होती है - और न कभी राष्ट्रीय कार्यकारिणी बुलाई जाती है. नेतृत्व कैप्टन अमरिंदर सिंह करें या गुलाम नबी आजाद, लेकिन जो हालात बन चुके हैं, लगता तो ऐसा ही है कि जैसे एक जमाने में शरद पवार और ममता बनर्जी ने कांग्रेस छोड़ और तोड़ कर नयी पार्टी बना ली थी - एक बार फिर कांग्रेस G-23 बनाने की भी तैयार हो चुकी है!

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लेखक

मृगांक शेखर मृगांक शेखर @mstalkieshindi

जीने के लिए खुशी - और जीने देने के लिए पत्रकारिता बेमिसाल लगे, सो - अपना लिया - एक रोटी तो दूसरा रोजी बन गया. तभी से शब्दों को महसूस कर सकूं और सही मायने में तरतीबवार रख पाऊं - बस, इतनी सी कोशिश रहती है.

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