अनुच्छेद 370- 35A पर कांग्रेस की बात कितनी गुलाम, कितनी आजाद?
कांग्रेस चुप है मगर जिस तरह गुलाम नबी ने अनुच्छेद 370 और अनुच्छेद 35 (ए) पर अपना पक्ष रखा है और गुस्सा दिखाया है साफ पता चलता है कि भले ही कांग्रेस चुप हो मगर इस अहम मसले पर उसका पक्ष भी वही है जो गुलाम नबी आजाद का पक्ष है.
-
Total Shares
जम्मू कश्मीर से अनुच्छेद 370 और अनुच्छेद 35 (ए) रद्द किये जाने के बाद जहां एक तरफ देश की जनता ने जश्न मनाकर अपनी खुशी जाहिर की है तो वहीं इसपर राजनीति भी तेज हो गई है. सरकार के इस फैसले पर जहां आम आदमी पार्टी और बसपा जैसे दलों ने अपना समर्थन दिया है तो वहीं सपा, टीएमसी और जेडीयू ने इसका विरोध किया है. मामले पर कांग्रेस एकदम खामोश हैं मगर जो इस पूरे मामले पर कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं में शुमार गुलाम नबी आजाद का रुख है यदि उसका अवलोकन किया जाए तो उनके कहे ने कांग्रेस की चुप्पी को तोड़ दिया है और ये बता दिया है कि जो इस मामले पर गुलाम नबी आजाद का मत है वही पक्ष कांग्रेस का भी है. भले ही राहुल गांधी, सोनिया गांधी और प्रियंका गांधी चुप हों. जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस के सीनियर लीडर गुलाम नबी आजाद ने कहा कि आज का दिन भारतीय इतिहास का काला दिन है. बीजेपी की सरकार ने सत्ता के नशे में और वोट बैंक की राजनीति के तहत एक ही पल में अनुच्छेद 370 और 35A को खत्म कर दिया. इसके साथ खिलवाड़ कर यह बहुत बड़ी गद्दारी कर रहे हैं.
अनुच्छेद 370 के मुद्दे पर अपनी बातें कहकर गुलाम नबी आजाद ने कांग्रेस का पक्ष रख दिया है
आजाद ने अपनी ये नाराजगी संसद के बाहर जाहिर की जहां उन्होंने ये भी बताया कि पिछले 70 वर्षों में कश्मीर में लाखों लोगों ने कुर्बानियां दी हैं.बहुत साफ लहजे में आजाद ने कहा कि जब-जब भी राज्य में आतंकवाद का बोलबाला रहा तब उन्होंने लड़ाई लड़ी. साथ ही बहुत मुखर होकर उन्होंने इस बात को भी कहा कि कश्मीर की आवाम और मुख्यधारा की राजनीतिक पार्टियों ने आतंकवाद का मुकाबला किया.
आजाद ने कहा सत्ता के नशे में है भाजपा
गुलाम नबी आजाद का मानना है कि, 'एक झटके में भाजपा की सरकार ने सत्ता के नशे में वोट बैंक की राजनीति के तरह एक पूर्ण राज्य को जिसके पास अपनी संस्कृति है, सभ्यता है, जो भौगोलिक क्षेत्र और राजनीतिक स्तर पर भिन्न है, इतिहास के तौर पर अलग है, लद्दाख, जिसमें मुस्लिम और बौद्ध रहते हैं, कश्मीर जिसमें मुस्लिम पंडित और सिख रहते हैं, जम्मू में जहां 60 फीसदी हिंदू आबादी है, 40 फीसदी मुस्लिम आबादी है. सिख आबादी है. अगर यहां लोगों को किसी ने बांध कर रखा था तो अनुच्छेद 370 ने रखा था.'
बताया लोकतंत्र का काला अध्याय
मोदी सरकार द्वारा लिए गए इस फैसले को वरिष्ठ कांग्रेसी नेता आजाद ने लोकतंत्र का काला अध्याय बताया. इस अहम फैसले पर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए आजाद ने कहा कि अनुच्छेद 370 में तीनों क्षेत्रों में अलग उपबंध था लेकिन बीजेपी ने एक झटके में तीन चार चीजों की खत्म कर दिया. इसे हिंदुस्तान के इतिहास में काले अध्याय के तौर पर लिखा जाएगा. उन्होंने ये भी कहा कि 'अनुच्छेद 370 के साथ-साथ अनुच्छेद 35-ए भी खत्म कर दिया गया.
राज्य को बर्बाद करने के लिए, राज्य को विभाजित कर दिया. लद्दाख को केंद्र शासित प्रदेश बना दिया. जम्मू और कश्मीर को केंद्र शासित प्रदेश बना दिया. जम्मू कश्मीर में राज्यपाल नहीं होगा, अब उप-राज्यपाल होगा. यह कभी सपने में नहीं सोचा गया था. एनडीए सरकार ने जम्मू और कश्मीर का अस्तित्व ही खत्म कर दिया है.
आजाद ने दी खुली धमकी
इतना होने के बावजूद आजाद ने धमकी देते हुए कहा है कि, इन्होंने (भाजपा ने ) राज्य को विभाजित तो कर दिया है लेकिन इन्हें नहीं पता कि भारत के सामने एक तरफ से चीन के साथ लंबा बॉर्डर है. पाकिस्तान के साथ लंबा चौड़ा बॉर्डर है. पीओके के साथ जम्मू-कश्मीर की सीमा है. भारत इनसे कैसे निपटेगा.
लोकतंत्र के साथ हुआ खिलवाड़
मौके पर आजाद बहुत नाराज दिखे, उन्होंने कहा कि लोकतंत्र के साथ खिलवाड़ किया गया है. राज्य की एकता और इंटिग्रिटी के साथ खिलवाड़ किया गया है. यह देश के साथ बहुत बड़ी गद्दारी है. जब कभी पाकिस्तान और चीन ने हमला किया है, कश्मीर के लोग हमेशा लड़ाई में आगे रहे. 1947 में जब हमला हुआ था, फौज के आने से पहले कश्मीर के नौजवानों, औरतों और बच्चों ने लड़ाई लड़ी. मजदूरों और नेताओं ने लाठियों के साथ घुसपैठियों को रोका था.
गुलाम नबी आजाद ने कहा कि किसी बॉर्डर स्टेट में केवल फौज के साथ दुश्मन को नहीं रोक सकते. वहां के स्थानीय लोगों का भी समर्थन जरूरी है. लोगों को राजनतिक स्तर पर खत्म किया गया. आर्थिक स्तर पर खत्म कर दिया गया. देश का सिर कश्मीर था जिसे भारतीय जनता पार्टी की सरकार ने काट लिया है.
Congress Chief Whip Bhuvaneshwar Kalita quits party over Article 370 stand. Says, he was asked by party to issue Whip but this is against the mood and emotions of the nation. Says he quits the party as the party is on way towards destruction. Huge. Embarrassment for Congress. pic.twitter.com/txxQKJoPrf
— Aditya Raj Kaul (@AdityaRajKaul) August 5, 2019
आजाद ने जो भी बातें संसद के अन्दर या फिर बाहर कहीं. यदि उनका अवलोकन किया जाए तो मिलता है कि वो वही भाषा बोल रहे हैं जो कांग्रेस पार्टी की भाषा है. साफ है कि आजाद या ये कहें कि कांग्रेस पार्टी इसलिए भी नाराज है क्योंकि जिन मुद्दों पर बरसों तक उसने राजनीति की है. उन मुद्दों पर उत्पन्न समस्याओं का मोदी सरकार ने पल भर में निपटारा कर पूरे देश को एक बड़ा सन्देश दिया है.
यानी आजाद ने जैसे इस पूरे मुद्दे पर अपना विरोध दर्ज किया है उसने कहीं न कहीं हमें इस समस्या की जड़ दिखाने का काम किया है. साथ ही इस मुद्दे पर कांग्रेस की तरफ से गुलाम नबी आजाद जिस तरह से बोले हैं उससे ये भी साफ हो गया है कि कैसे अब तक देश और देश की जनता को कांग्रेस और उसके नेताओं ने मूर्ख बनाया.
Shashi Tharoor,Congress on #Article370:This is not the Indian democracy we have cherished for more than 7 decades.The assurances that successive rulers of India including those of BJP have given people&leaders of Kashmir and the international community now stand torn into shreds. pic.twitter.com/DzOlnmiJ4m
— ANI (@ANI) August 5, 2019
चाहे ट्रिपल तलाक बिल का विरोध रहा हो या फिर NIA संशोधन विधेयक. तमाम अहम बिलों पर कांग्रेस ने अपना विरोध दर्ज कर बता दिया है कि तुष्टिकरण की राजनीति के लिए वो कहां तक आ गई है और कैसे देश का नुकसान कर रही है. कैसे तुष्टिकरणही कांग्रेस की राजनीति का आधार बन गया है यदि इस बात को समझना हो तो हम उस मौके पर भी गौर कर सकते हैं जब राम मंदिर मुद्दे पर कपिल सिब्बल का बयान आया था कि जो भी होना हो वो चुनावों के बाद हो यानी सिब्बल जानते थे कि यदि उन्होंने या उनकी पार्टी ने इसके विपक्ष में बोला तो इसका सीधा असर उन्हें चुनावों में देखने को मिलेगा और जो वोट उसे मिलेंगे वो फिसल जाएंगे.
बहरहाल हम बात कश्मीर,अनुच्छेद 370 और 35ए और गुलाम नबी आजाद पर कर रहे थे तो ये बताना भी आवश्यक है कि भले ही इस मुद्दे पर कांग्रेस ने कोई विशेष टिप्पणी न की हो मगर विरोध के लिए जैसा रुख आजाद का रहा है उसने साफ बता दिया है कि इस मामले पर कहीं से उन्हें पूरा मार्गदर्शन मिल रहा है और वो वही कर रहे हैं जैसी इच्छा आलाकमान की है.
ये भी पढ़ें -
धारा 370 हटाने की जमीन तो खुद कश्मीरियों ने ही तैयार की है !
मोदी सरकार ने धारा 370 से ही धारा 370 को काट डाला!
महबूबा-अब्दुल्ला के लिए धारा 370 और 35A के खात्मे से ज्यादा बड़ा डर है जांच एजेंसी की कार्रवाई
आपकी राय