कांग्रेस की मोदी सरकार विरोधी मुहिम में सचिन पायलट मोहरा बन कर रह गये!
सचिन पायलट (Sachin Pilot) विवाद की आड़ में कांग्रेस एक केंद्रीय मंत्री के बहाने कांग्रेस फिर से बीजेपी और मोदी सरकार (Narendra Modi and BJP) को टारगेट करने लगी है - और राहुल गांधी (Rahul Gandhi) फिर से मोर्चे पर हाजिर हैं - क्या सचिन पायलट महज मोहरा थे?
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अशोक गहलोत की बनायी रणनीति के तहत राहुल गांधी (Rahul Gandhi) और सोनिया गांधी बीजेपी के खिलाफ सचिन पायलट (Sachin Pilot) का जितना भी इस्तेमाल कर सकते थे, कर चुके हैं. अब तो सचिन पायलट को कुछ दिन के लिए क्वारंटीन करने की तैयारी हो रही लगती है. क्वारंटीन के दौरान कांग्रेस के सियासी डॉक्टर सचिन पायलट के राजनीतिक स्वास्थ्य की निगरानी करेंगे और जब फिटनेस सर्टिफिकेट मिल जाएगा तो उनको कोई सम्मानजनक पोजीशन ऑफर की जाएगी. सचिन पायलट की भी मुश्किल यही हो गयी थी कि उनके पास फिलहाल कोई रास्ता भी नहीं बचा था.
घटनाक्रम पर ध्यान दें तो ऐसा लगता है जैसे चीन के मुद्दे पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi and BJP) पर लगातार हमले के मामले में अकेले पड़ने के बाद कांग्रेस नेतृत्व ने रणनीति में थोड़ी देर के लिए बदलाव किया था. चीन के मुद्दे पर राहुल गांधी और सोनिया गांधी के लगातार सवाल पूछने पर शरद पवार के साथ साथ कई राज्यों के मुख्यमंत्री भी कांग्रेस नेतृत्व के विरोध में खड़े हो गये थे. अरविंद केजरीवाल से तो कांग्रेस को उम्मीद भी नहीं करनी चाहिये, लेकिन मोदी विरोध के मुद्दे पर कांग्रेस का तरीका ममता बनर्जी को भी अच्छा नहीं लग रहा था.
अब राजस्थान के अशोक गहलोत मंत्रिमंडल से शुरू हुआ विवाद दिल्ली तक मोदी कैबिनेट को भी लपेटने लगा है. सचिन पायलट को छोड़ अब कांग्रेस की तरफ से केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत की गिरफ्तारी की मांग होने लगी है.
राहुल गांधी और सोनिया गांधी को यही तो चाहिये था और अशोक गहलोत ने अपने हुनर और काबिलियत से सब कुछ थाली में परोस कर दे दिया है. अपने लिए इतना इंतजाम तो कर ही लिया है कि सचिन पायलट से पीछा छूट सके. अभी तो सूरत-ए-हाल यही है बाद की बात और है.
बीजेपी के खिलाफ सचिन पायलट को मोहरा बनाया
सचिन पायलट का मामला अपने हिसाब से निबटाने के बाद राहुल गांधी चीन के मसले पर लौट आये हैं - राहुल गांधी ने ट्विटर पर एक नया वीडियो जारी किया है. वीडियो में राहुल गांधी ने चीन को केंद्र बना कर मोदी सरकार की आर्थिक और विदेश नीति की तीखी आलोचना की है.
13 जुलाई को राहुल गांधी ने ट्विटर पर लिखा था कि अब वो करंट अफेयर्स और हिस्ट्री पर वीडियो के जरिये अपने विचार शेयर करेंगे. हो सकता है ये प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को काउंटर करने के लिए उनके ही अंदाज में मन की बात करने का प्रयास हो. अव्वल तो राहुल गांधी ने 14 जुलाई से ही वीडियो विचार व्यक्त करने की बात की थी, लेकिन लगता है सचिन पायलट एपिसोड के चरम पर पहुंच जाने के कारण तीन दिन देर हो गयी.
सचिन पायलट क बहाने अशोक गहलोत ने एक तीर से कई निशाने साध लिये
महीना भर पहले राजनीति में दिलचस्पी रखने वाले और जानकार अशोक गहलोत के बदले तेवर को कांग्रेस नेतृत्व की आक्रामकता से जोड़ कर देखने लगे थे. तब किसे मालूम था कि अशोक गहलोत एक साथ कई मोर्चों पर राजनीति कर रहे हैं. सचिन पायलट को विवादों में घसीट कर अशोक गहलोत ने सोनिया और राहुल गांधी को विपक्ष के बीच हो रही फजीहत से राहत तो दे ही दी, साथ ही, बीजेपी को कठघरे में खड़ा करने का इंतजाम भी आसानी से कर दिया.
राहुल गांधी फिर से पुराने अंदाज में मैदान में आ गये हैं. कहते हैं, अर्थव्यवस्था कभी हमारी ताकत होती थी, लेकिन आज बेरोजगारी अपने चरम पर है. छोटे कारोबारी मुश्किल में है लेकिन सरकार हमारी बात नहीं सुन रही है. अर्थव्यवस्था के बहाने राहुल गांधी का पूरा फोकस चीन और गलवान घाटी की घटना के इर्द गिर्द ही घूम रहा है.
Since 2014, the PM's constant blunders and indiscretions have fundamentally weakened India and left us vulnerable.
Empty words don't suffice in the world of geopolitics. pic.twitter.com/XM6PXcRuFh
— Rahul Gandhi (@RahulGandhi) July 17, 2020
राहुल गांधी की पुरानी वेब सीरीज में बातचीत के लिए कोई न कोई मेहमान भी होता था, हालांकि, मुद्दा तब भी पैसा डालने का ही होता था. अब वीडियो में अकेले भी हैं तो भी यही कह रहे हैं कि अगर अर्थव्यवस्था में पैसा नहीं डाला गया तो सब कुछ बर्बाद हो जाएगा - और वही हो रहा है.
राहुल गांधी का मोदी सरकार के खिलाफ चीन और अर्थव्यवस्था के मुद्दे पर लौटना भी यही इशारा करता है कि कांग्रेस नेतृत्व अपने हिसाब से सचिन पायलट का चैप्टर बंद कर चुका है. अब बस कुछ औपचारिकताएं भर बाकी हैं. बताते हैं कि पी. चिदंबरम और सचिन पायलट की 16 जुलाई को देर रात हुई बातचीत नतीजे की ओर तेजी से बढ़ी है. राजस्थान में भी कांग्रेस सचिन समर्थक विधायकों के खिलाफ नरम रुख का संकेत देने लगी है. स्पीकर सीपी जोशी की तरफ से जवाब दाखिल करने की मियाद बढ़ा दी गयी है.
पहले कोरोना और फिर चीन के मुद्दे पर पिछले महीने अशोक गहलोत को मोदी सरकार के खिलाफ काफी आक्रामक देखा गया - ऐसा लगता है जैसे कांग्रेस ने सचिन पायलट को भी मोदी सरकार के खिलाफ मोहरा बनाया हो और मौके का फायदा उठाकर अशोक गहलोत ने भी एक ही तीर से तमाम निशाने साध लिये हों.
कांग्रेस की मोदी विरोधी मुहिम फिर चालू
राज्य सभा चुनाव से पहले भी अशोक गहलोत ने अपनी सरकार गिराने की साजिशों को लेकर हवा बनायी. जब विवाद खड़ा करने से लेकर साजिश रचने वाला तक कोई नजर नहीं आया तो अशोक गहलोत पर ही सवाल खड़े होने लगे. समझा भी यही गया कि सारी कवयाद के सूत्रधार भी अशोक गहलोत ही हैं.
फिर मोदी सरकार के खिलाफ अशोक गहलोत का आक्रामक रूख भी देखा गया. कोरोना वायरस को लेकर देश में सबसे पहले लॉकडाउन लागू करने का क्रेडिट भी अशोक गहलोत ने अपने नाम कर लिया. दूसरी बार लॉकडाउन बढ़ाने की बारी आयी तो भी बाजी मार ले गये. प्रवासी मजदूरों को घर भेजने के मामले में भी यूपी बॉर्डर पर बसे राजस्थान से ही भेजी गयी थीं - और गलवान घाटी में सेना और चीनी फौज के बीच हुए संघर्ष के बाद कांग्रेस ने हमलावर रुख अपनाया तो भी अशोक गहलोत झंडा लेकर आगे आगे चलते नजर आये.
ट्विटर पर राहुल गांधी जबकि सर्वदलीय बैठक में सोनिया गांधी ने चीन के मुद्दे पर मोदी सरकार से खूब सवाल पूछे - बाद में बात को आगे बढ़ाते हुए अशोक गहलोत भी कहने लगे कि 'आज नहीं तो कल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को चीन पर सच्चाई बतानी होगी.'
कुछ मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, सचिन पायलट को हाशिये पर डाल देने के बाद भी अशोक गहलोत उनकी हर गतिविधि पर कड़ी नजर रखते थे. कांग्रेस सूत्रों के हवाले से आयी कुछ रिपोर्ट से मालूम होता है कि कांग्रेस नेतृत्व को सचिन पायलट के बीजेपी नेताओं के संपर्क में होने का शक पहले ही पैदा हो गया था. मार्च के पहले हफ्ते में सचिन पायलट के समर्थकों में से ही किसी ने दिल्ली के पास हरियाणा में होटल बुक कराया तो खबर सीधे आलाकमान तक पहुंच गयी. तभी कोरोना का प्रकोप बढ़ना शुरू हुआ और लॉकडाउन लागू हो गया. ध्यान रहे 10 मार्च को ही ज्योतिरादित्य सिंधिया ने कांग्रेस छोड़ दी थी. जब सचिन पायलट की तरफ से सिंधिया जैसी हरकत नहीं हुई तो वो वैसे ही लापरवाह हो गया जैसे बाकी मामलों में होता आया है.
अशोक गहलोत को तो अपना काम निकालना था. लगे रहे. अपने स्तर पर जितना भी हो सकता था करते रहे और बीच बीच में गांधी परिवार से करीबी का फायदा उठाते हुए भड़काते भी रहे. उसी बीच, एसओजी से सरकार गिराये जाने की शिकायत कर दी गयी और दो लोगों की गिरफ्तारी भी हो गयी. अशोक गहलोत तो चाहते ही थे कि सचिन पायलट ऐसी हरकत करें जिसका वो अपने तरीके से फायदा उठा सकें. जब सचिन पायलट ने साफ साफ बोल दिया कि वो बीजेपी में नहीं जा रहे हैं, तो कांग्रेस नेतृत्व को लगा कि अशोक गहलोत की इसमें निजी दिलचस्पी है. अब राजनीति आगे बढ़ने लगी है. केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत के खिलाफ एसओजी के पास कांग्रेस के महेश जोशी ने शिकायत दर्ज करा दी है. कांग्रेस का आरोप है कि वायरल ऑडियो में बीजेपी नेता और कांग्रेस के दो विधायकों के बीच बातचीत हुई है. कांग्रेस ने दो विधायकों को सस्पेंड कर दिया है.
बीजेपी नेता गजेंद्र सिंह शेखावत ने वायरल ऑडियो को फर्जी करार दिया है. साथ ही किसी भी तरह की जांच के लिए खुद को तैयार बताया है. बीजेपी नेता का कहना है कि ऑडियो क्लिप में आवाज उनकी है ही नहीं. दरअसल, कांग्रेस की कोशिश अब ऑडियो क्लिप के जरिये बीजेपी और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को घेरने की है.
गजेंद्र सिंह शेखावत ने ऑडियो क्लिप को लेकर मजबूत दलील भी दी है – “मैं मारवाड़ की भाषा बोलता हूं, जबकि ऑडियो टेप में झुंझुनू का टच है.”
ये सब भला सचिन पायलट नहीं होते तो संभव हो पाता. अशोक गहलोत ने अपनी राजनीति भी साध ली - और आलाकमान को भरोसे में लेकर सचिन को किनारे लगाने की रणनीति को भी अंजाम तक पहुंचा लिया. अब सचिन पायलट के लिए राहत पैकेज और पुनर्वास कार्यक्रम तैयार किया जा रहा है.
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