'ऑक्सीजन पर सरकार को 5 महीने पहले आगाह किया था', मोदी को परेशान करने वाली सोनिया की बातें
सोनिया गांधी ने आरोप लगाया कि राहुल गांधी और मनमोहन सिंह जैसे विपक्षी नेता लगातार सरकार को आगाह करते रहे और जरूरी सुझाव देते रहे, लेकिन सरकार ने विपक्ष से लड़ाई, विधानसभा चुनावों की वजह से उनकी उपेक्षापूर्ण अनदेखी की.
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कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने देश में महामारी की दूसरी लहर का ठीकरा नरेंद्र मोदी सरकार पर फोड़ा है. कोविड के बाद के हालात से लेकर अब तक के प्रबंधन को गैरजिम्मेदारपूर्ण बताया है. महामारी में विपक्ष, संसदीय समिति और दूसरे सर्वे की अनदेखी का भी आरोप लगाया जिसमें दूसरी लहर को लेकर बहुत पहले ही आशंका जताई गई थी. कोविड क्राइसिस के दौर में पहली बार इंडियन एक्सप्रेस को दिए इंटरव्यू में उन्होंने ऑक्सीजन के मौजूदा संकट पर निशाना साधते हुए कहा कि भारत दुनिया के बड़े उत्पादकों में शामिल है. पहले ही नवंबर 2020 में सरकार को मौजूदा संकट में ऑक्सीजन को लेकर आगाह किया गया था. सरकार बताए कि उसने इस पर क्या कार्रवाई की.
उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि राहुल गांधी और मनमोहन सिंह जैसे विपक्षी नेता लगातार सरकार को आगाह करते रहे और जरूरी सुझाव देते रहे, लेकिन सरकार ने विपक्ष से लड़ाई, विधानसभा चुनावों की वजह से उनकी उपेक्षापूर्ण अनदेखी की. हालांकि कांग्रेस, केंद्र में सरकार चलाने और महामारी के लंबे अनुभवों के आधार पर अब भी मोदी सरकार की मदद को तैयार है. उन्होंने लंबे चौड़े इंटरव्यू में कई और मुद्दों पर बेबाकी से राय जाहिर की. आइए पढ़ते हैं चर्चित इंटरव्यू से जरूरी बातें...
राहुल गांधी का हेल्थ ठीक मनमोहन के लिए भी चिंता
राहुल गांधी का स्वास्थ्य अब सुधार (कोविड संक्रमण से) पर है. मौजूदा हालात में सोनिया गांधी डॉ. मनमोहन सिंह और दूसरे साथियों, नागरिकों को लेकर चिंतित हैं. लोगों से लगातार एहतियात, बचाव और इलाज की अपील की.
कोरोना पर मोदी के खिलाफ आक्रामक भूमिका में होगी कांग्रेस
मौजूदा महामारी में कांग्रेस की भूमिका को दो बिंदुओं पर बहुत बड़ी बताया. ये साफ है कि भविष्य में कोरोना के मुद्दे पर लोगों के साथ जुड़कर सरकार पर कांग्रेस की ओर से ज्यादा से ज्यादा दबाव डाला जाएगा. उन्होंने कहा- "मौजूदा माहौल में एक विपक्ष के रूप में लोगों की पीड़ा को सुनने और उसे व्यक्त करने में हमारी भूमिका बहुत जरूरी हो जाती है. जितना ज्यादा से ज्यादा संभव है हमें सरकार पर दबाव डालना होगा ताकि कुछ किया जा सके."
मौजूदा महामारी में कांग्रेस और सोनिया गांधी क्या कर रही हैं?
बताया कि कार्यकर्ताओं, नेताओं और पार्टी के नेटवर्क का इस्तेमाल कर पीड़ितों को मेडिकल (ऑक्सीजन-बेड) और दूसरी संभावित मदद की जा रही है. हर राज्य में कंट्रोल रूम बनाया गया है. युवा कांग्रेस और दूसरे फ्रंटल ऑर्गेनाइजेशन के जरिए पीड़ितों तक पहुंचा जा रहा है. सोनिया गांधी खुद कांग्रेस शासित राज्यों से लगातार संपर्क में हैं.
कोविड संकट में मोदी सरकार के मैनेजमेंट पर
दूसरी लहर को लेकर मोदी सरकार के रेस्पोंस को पूरी तरह से डिजास्टर करार दिया. सोनिया ने कहा- "लोगों को उनके हाल पर छोड़ दिया गया. महामारी में जिस वक्त नेतृत्व और किशल प्रबंधन की जरूरत थी पूरा ध्यान विधानसभा चुनावों पर था. अब भी उनके फैसले मनमाने और पक्षपातपूर्ण हैं. संसदीय समिति, सीरो सर्वे और कांग्रेस समेत समूचे विपक्ष ने दूसरी लहर को लेकर सरकार को चेताया. लेकिन तीनों को नजरअंदाज किया गया. उल्टे उन्होंने हम पर (विपक्ष) दहशत (कोरोना को लेकर) फैलाने का आरोप लगाया."
महामारी में मेडिकल सेक्टर को नहीं मिली मदद
सोनिया गांधी ने आरोप लगाया कि महामारी के मद्देनजर मोदी सरकार ने मेडिकल सेक्टर को जरूरी मदद नहीं दी. उन्होंने कहा- अस्पतालों में बेड क्षमता नहीं बढ़ाई गई. पर्याप्त दवाओं का प्रबंध नहीं किया गया. प्रवासी श्रमिकों को जरूरी आर्थिक मदद नहीं दी गई.
ऑक्सीजन पर मोदी सरकार से सोनिया के सवाल
कोविड प्रबंधन पर सवाल करते हुए कहा- भारत अपनी कोविड जरूरतों के हिसाब से ज्यादा उत्पादन कर रहा था, वे (नरेंद्र मोदी) भारत को वैक्सीन और ऑक्सीजन के आयातक देश में तब्दील करने के लिए आगे बढ़े हैं. भारत के लोगों के लिए दवाओं का बैकअप बनाने की जगह रेमेडिसविर की 1.1 मिलियन शीशियों का दूसरे देशों में निर्यात किया गया.
मोदी पर कोरोना के खिलाफ जंग को राजनीतिक रूप देने का आरोप
सोनिया ने कहा- कोविड को लेकर वे हर मोर्चे पर विफल हुए लेकिन एक राजनीतिक प्रतिद्वंद्वी के रूप में मैं बदले की भावना से ग्रस्त नहीं. वायरस हर जगह है. कांग्रेस ने पिछले एक साल से सरकार को पूरा सहयोग दिया है. हमारा मानना है कि कोविड से लड़ाई "हम और तुम" की लड़ाई नहीं है बल्कि "हमारी और कोरोना" की लड़ाई है. कोरोना" लड़ाई है। यह लड़ाई राजनीतिक गठबंधनों से परे है. हमें इसे एक राष्ट्र के रूप में मिलकर लड़ना होगा. मोदी सरकार को यह महसूस करना चाहिए कि लड़ाई कोविड के खिलाफ है, यह कांग्रेस या दूसरी राजनीतिक विरोधियों के खिलाफ नहीं.
मनमोहन-राहुल और मेरे विचारों को तवज्जों ही नहीं दी
सोनिया गांधी ने आरोप लगाया कि कोरोना से जंग में विपक्ष के जरूरी सुझावों विचारों की अनदेखी की गई. उन्होंने कहा- मनमोहन सिंह और राहुल ने समय-समय पर सुझावों भेजे लेकिन सरकार की प्रतिक्रिया (अवमाननापूर्ण अनदेखी) से मुझे गहरा दुख हुआ. उन्होंने सवाल पूछा कि महामारी के बीच साथ मिलकर काम करने की बजाय क्या ये सही है कि मोदी सरकार के मंत्री विपक्षी नेताओं पर हमला और विपक्षी राज्यों में दोष ढूंढने का काम कर रहे हैं.
कांग्रेस, मोदी की मदद के लिए तैयार
उन्होंने कहा कि अगर सरकार हमसे कहती है तो महामारी में कांग्रेस उनकी मदद के लिए तैयार है. इसीलिए उन्होंने प्रधानमंत्री को लगातार सकारात्मक सुझाव और मदद की पेशकश की है. कांग्रेस के पास सरकार चलाने और आपदा के प्रबंधन के लिहाज से सालों का अनुभव है.
महामारी में सोनिया के तात्कालिक सुझाव
सोनिया गांधी ने युद्ध स्तर पर सात तात्कालिक सुझाव देते हुए सरकार से ऑक्सीजन की कमी का कारण भी पूछा. सात सुझाव इस प्रकार है- 1) ऑक्सीजन उपलब्धता सुनिश्चित करना 2) दवा की कालाबाजारी पर नकेल 3) अस्पतालों में बेड की उपलब्धता 4) होमकेयर प्रोटोकॉल 5) टीकाकरण 6) टेस्टिंग और ट्रेकिंग में तेजी 7) सामान्य कोविड प्रबंधन के लिए आर्थिक सहायता
ऑक्सीजन रिपोर्ट पर मोदी सरकार ने कुछ नहीं किया
सोनिया गांधी ने मौजूदा ऑक्सीजन संकट को लेकर आरोप लगाया कि 21 नवंबर, 2020 को संसदीय स्थायी समिति ने अपनी रिपोर्ट में सरकार से कोविड के मद्देनजर पर्याप्त प्रावधान करने को कहा था. सरकार ने रिपोर्ट पर कार्रवाई क्यों नहीं की?
कांग्रेस शासित राज्यों की तारीफ़
कोरोना के मौजूदा हालत में कांग्रेस की सरकारों की तारीफ़ की. उन्होंने कहा कि छत्तीसगढ़ और झारखंड मौजूदा संकट में सरप्लस ऑक्सीजन की सप्लाई कर रहे हैं. जिन राज्यों ने योजना, रणनीति और बेहतर मेनेजमेंट किया उनका बेहतर प्रदर्शन है. टीकाकरण के मामले में पंजाब और राजस्थान ने बहुत बढ़िया काम किया. महाराष्ट्र की भी तारीफ़ की.
वैक्सीन की नीति को बताया भेदभावपूर्ण
सोनिया गांधी ने केंद्र सरकार पर विपक्षी राज्यों के लिए भेदभावपूर्ण नीती अपनाने का आरोप लगाया कि ये टीके की बेजा मुनाफाखोरी और है. मोदी सरकार राज्यों में वैक्सीन की भेदभावपूर्ण कीमतों पर मूकदर्शक है. अपनी जरूरतों को पूरा किए बिना टीके के निर्यात करने पर भी सवाल उठाए. सोनिया ने कहा- नई टीकाकरण नीति के तहत हमारे नागरिकों को कीमत से ज्यादा (भारत ने जो स्वदेशी टीका निर्यात की) का भुगतान करना पड़ेगा. यह कैसे उचित हो सकता है?
सरकार वहन करे टीके का मूल्य
उन्होंने कहा- भारत सरकार को टीकाकरण की लागत वहन करना चाहिए. इसे सभी नागरिकों को मुफ्त देना चाहिए.
सोनिया ने की तत्काल एक्शन की मांग
1) दवाओं की कालाबाजारी पर सख्ती के लिए एक्शन
2) महामारी में जीवन रक्षक दवाओं और ऑक्सीजन की कीमतों को तय करना
3) ऑक्सीजन की निर्बाध आपूर्ति और उद्योगों का पार्टनर के रूप में सहयोग
4) सरकार और प्राइवेट सेक्टर के जरिए युद्ध स्तर पर जरूरी अस्पताल इन्फ्रास्ट्रक्चर
5) कोरोना वारियर्स और डॉक्टरों नर्सों को बीमारी के लिए इंसेटिव
6) प्रवासी मजदूरों को जाने के लिए ट्रांसपोर्टेशन की सुविधा देना
7) पूरे देशं में मनरेगा के तहत कामों को शुरू करना ताकि घर लौटने वाले श्रमिकों को रोजगार मिल सके
8) जरूरी परिवारों को आर्थिक मदद देना
9) गैर जरूरी प्रोजेक्ट के फंड का कोविड हैंडलिंग में इस्तेमाल.
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