राहुल गांधी ने पहले भी बयान दिए थे, पर क्या भूकंप आया था?
राहुल गांधी के भूकंप वाले बयान को भले ही अतिश्योक्ति अलंकार कहा जा रहा है, लेकिन जरा नजर डालिए राहुल के पिछले बयानों पर, जान जाएंगे कि भूकंप आया था या नहीं...
-
Total Shares
राहुल गांधी ने आज नोटबंदी के मुद्दे पर सरकार को घेरते हुए कहा कि 'सरकार बहस से भाग रही है, अगर मुझे बोलने देंगे तो आप देखेंगे भूकंप आ जाएगा.' इन बातों में राहुल गांधी ने जिस आत्मविश्वास से सरकार को बैकफुट पर धकेलते नजर आये वो वाकई काबिलेतारीफ है, हालांकि राहुल के इस बयान के बाद काफी लोगों को उनकी बातें 'अतिश्योक्ति अलंकार' प्रतीत हुईं, मगर राहुल के पिछले बयानों पर गौर करें तो राहुल गांधी पहले भी अपने बयानों से भूकंप लाते रहे हैं.
राहुल गांधी कई बार अपने बयानों से भूकंप लाए हैं |
पेश हैं राहुल गांधी के भूकंप लाने वाले बयान-
'गरीबी एक मानसिक स्थिति'
अकसर गरीबों के घर जाकर उनकी गरीबी को समझने वाले राहुल गांधी उस वक्त गच्चा खा गए जब 6 अगस्त, 2013 को इलाहाबाद के गोविन्दवल्लभ पंत सामाजिक विज्ञान संस्थान के कार्यक्रम में बोलते हुए राहुल ने गरीबी को एक मानसिक स्थिति बता डाला. राहुल ने कहा, 'गरीबी सिर्फ एक मानसिक स्थिति यानी दिमागी हालत है और इसका खाना खाने, रुपये और भौतिक चीजों से कोई वास्ता नहीं है.' उन्होंने कहा कि जब तक कोई शख्स खुद में आत्मविश्वास नहीं लाएगा तब तक वह गरीबी के मकड़जाल से बाहर नहीं निकल पाएगा.
ये भी पढ़ें- भूकंप न ला पाने के लिए राहुल गांधी ही जिम्मेदार
हाथी नहीं हम हैं मधुमक्खी का छत्ता
आम तौर पर हाथी और मधुमक्खी में कोई भी हाथी को ही ज्यादा ताकतवर मानता है, मगर राहुल गांधी की सोच इससे इतर है. 4 अप्रैल, 2013 को दिल्ली में सीआईआई के एक कार्यक्रम में बोलते हुए राहुल ने कहा, 'मेरे लोगों ने मुझे कहा कि भारत चीन की तुलना के चक्कर में मत पड़ो लेकिन मैं उनकी बात नहीं मानता. देखिए दो तरह की व्यवस्थाएं हैं, एक केंद्रीकृत और दूसरी विकेंद्रीकृत. चीन में केंद्रीकृत व्यवस्था है, उसे ड्रैगन कहा जाता है. वह साफ दिखता भी है. वह बड़ा है, ताकतवर है. दिखता है, बड़े-बड़े ढांचे हैं और लोग हमें हाथी कहते हैं. ड्रैगन के सामने तुलना करने के लिए, लेकिन हम हाथी नहीं है. हम मधुमक्खी का छत्ता हैं.'
राहुल ने कहा- 'यह मजाक की बात लगती है लेकिन इस बारे में सोचिए. कौन ज्यादा ताकतवर है, हाथी या मधुमक्खी का छत्ता? दोनों की ताकत बिल्कुल अलग ढंग से काम करती है. हमें समझना होगा कि हम क्या हैं? हमारी ताकत कहां से आती है?'
'मेरा परिवार कुछ करने का फैसला कर ले तो उससे पीछे नहीं हटता'
वैसे तो पाकिस्तान बंटवारा करना कांग्रेस की कामयाबियों में नहीं गिना जाता, मगर राहुल गांधी ने कांग्रेस और अपने परिवार कि कामयाबी को गिनाते हुए कहा, 'एक बार मेरा परिवार कुछ करने का फैसला कर ले तो उससे पीछे नहीं हटता. चाहे यह भारत की आजादी हो, पाकिस्तान का बंटवारा या फिर भारत को 21वीं सदी में ले जाने की बात हो.'
ये भी पढ़ें- सांडों के चरित्र का अध्ययन करने वाला मंत्री भी जरूरी है
राहुल को मिलती है खुफिया जानकारी
अपने खुफिया जानकारी का जिक्र करते हुए 24 अक्टूबर, 2013 को इंदौर में एक रैली में उन्होंने कहा, 'मुजफ़्फ़रनगर में जो आग लगी है. ऐसे 10-15 लड़के हैं, मुसलमान लड़के हैं, जिनके भाई-बहनों को मारा गया है. पाकिस्तान के लोग उनसे बात कर रहे हैं. पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी के लोग उन लड़कों से बात करना शुरू कर रहे हैं और मैं उनसे बात कर रहा हूं, कह रहा हूं कि इनके बहकावे में मत आओ.'
दलितों को ऊपर उठाने का नुस्खा
9 अक्टूबर, 2013 को दिल्ली के विज्ञान भवन में आयोजित दलित अधिकार सम्मेलन में दलितों के उत्थान पर राहुल गांधी ने एक नया सिद्धान्त देते हुए कहा कि दलितों को ऊपर उठने के लिए धरती से कई गुना ज्यादा बृहस्पति ग्रह की 'इस्केप वेलोसिटी' जैसी ताकत की जरूरत है.
ये भी पढ़ें- सियासत के बिस्तर पर नेता की बेटी !
खून की दलाली...
पहले सर्जिकल स्ट्राइक के मुद्दे पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सराहना करने वाले राहुल गांधी ने अचानक से अपना सुर बदला तो खुद के साथ कांग्रेस की भी किरकिरी करा दी. किसान यात्रा की समापन रैली में राहुल ने कहा, 'हमारे जवानों ने जम्मू-कश्मीर में अपना खून दिया है. उन्होंने हिन्दुस्तान के लिए सर्जिकल स्ट्राइक किए हैं. उनके खून के पीछे आप (मोदी) छिपे हैं. उनकी आप दलाली कर रहे हो. ये गलत है.'
आपकी राय