Coronavirus Lockdown पर कांग्रेस नेतृत्व का नजरिया अचानक लड़खड़ा गया !
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) ने देश के मुख्यमंत्रियों के साथ मीटिंग में कोरोना को लेकर लॉकडाउन (Coronavirus Lockdown) के बाद के हालात की समीक्षा की है - और पहले सपोर्ट कर चुके कांग्रेस नेता (Sonia Gandhi and Rahul Gandhi) फिर से सरकार पर हमलावर हो गये हैं.
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WHO यानी विश्व स्वास्थ्य संगठन ने कोरोना महामारी से जंग में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की कोशिशों की तारीफ की है. WHO ने लॉकडाउन के दौरान मोदी सरकार की तरफ से गरीब और जरूरतमंदों के हित में किये गये उपायों को सही माना है - लेकिन देश की प्रमुख विपक्षी पार्टी की नजर में ये सब नाकाफी है. कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी के साथ साथ राहुल गांधी ने भी लॉकडाउन पर सवाल उठाया है - पहले दोनों ही नेताओं ने लॉकडाउन की घोषणा होने के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को सपोर्ट किया था.
बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा ने कांग्रेस के इस व्यवहार पर आपत्ति जतायी है और देश पर आये संकट की स्थिति में राजनीति न करने की सलाह दी है.
लॉकडाउन के बाद क्या होगा?
देश भर के मुख्यमंत्रियों से वीडियो कांफ्रेंसिंग कर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लॉकडाउन लागू होने के हफ्ते भर बाद हालात की समीक्षा की है. प्रमुख विपक्षी दल कांग्रेस की कार्यकारिणी की मीटिंग भी वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिये ही हुई और वहां भी लॉकडाउन से उपजे हालात पर चर्चा हुई. शुरू में लॉकडाउन लागू करने पर मोदी सरकार का सपोर्ट कर चुकीं सोनिया गांधी और राहुल गांधी दोनों ही नेताओं ने अब सवाल खड़ा किया है.
WHO के प्रमुख टीए गेब्रेयेसस की नजर में लॉकडाउन लागू होने की हालत में सबसे ज्यादा असर समाज के सबसे गरीब और हाशिये पर रह रहे तबकों पर ही होता है. WHO की नजर में भारत में लॉकडाउन के दौरान प्रधानमंत्री मोदी ने ऐसे लोगों के हितों का पूरा ख्याल रखा है - लेकिन कांग्रेस नेता सोनिया 21 दिन के लॉकडाउन को जल्दबाजी में लिया गया फैसला बता रही हैं. मीटिंग के बाद लॉकडाउन को लेकर एक छोटा सा विवाद जरूर सामने आया जब अरुणाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री पेमा खांडू ने एक ट्वीट किया और फिर उसे डिलीट कर नये ट्वीट में सफाई दी. प्रधानमंत्री मोदी के साथ वीडियो बैठक के बाद ट्विटर पर पेमा खांडू ने लिखा, ‘लॉकडाउन 15 अप्रैल को पूरा हो जाएगा, लेकिन इसका मतलब ये नहीं होगा कि लोग सड़कों पर घूमने के लिए स्वतंत्र होंगे. कोरोना वायरस के असर को कम करने के लिए हर किसी को जिम्मेदारी लेनी होगी. लॉकडाउन और सोशल डिस्टेंसिंग इससे लड़ने के ही उपाय हैं.’
अरुणाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री पेमा खांडू का ट्वीट जो बाद में डिलीट कर दिया गया
ये ट्वीट डिलीट करने के बाद मुख्यमंत्री पेमा खांडू ने सफाई देते हुए लिखा, 'लॉकडाउन के समय को लेकर किया गया पिछला ट्वीट एक अफसर ने किया था, जिसकी हिंदी की कम है. इसीलिये ट्वीट को हटा दिया गया.'
मुख्यमंत्रियों के साथ मीटिंग में लॉकडाउन के दौरान और उसके बाद पैदा होने वाले संभावित हालात पर तो चर्चा हुई लेकिन प्रधानमंत्री ने इसे बढ़ाये जाने या खत्म किये जाने का कोई संकेत नहीं दिया है. प्रधानमंत्री मोदी कोरोना महामारी को लेकर मुख्यमंत्रियों से करीब दो हफ्ते के अंतराल पर बात कर रहे थे. इससे पहले 20 मार्च को भी प्रधानमंत्री मोदी ने मुख्यमंत्रियों से कोरोना पर चर्चा की थी, जिसके दो दिन बाद जनता कर्फ्यू और उसके तीन दिन बाद लॉकडाउन लागू किया गया.
बहरहाल, प्रधानमंत्री मोदी ने ये जरूर कहा है कि लॉकडाउन खत्म होने के बाद लोगों के घर से बाहर निकलने को लेकर राज्यों और केंद्र को एक रणनीति तैयार करनी चाहिये. साथ ही, कोरोना को लेकर सभी आंकड़े मान्यता प्राप्त लैब से ही लिये जाने चाहिये क्योंकि ऐसा करने पर ही जिला, राज्य और केंद्रीय स्तर पर आंकड़ों में एकरूपता आएगी.
महामारी के खिलाफ समन्वित प्रयास की जरूरत पर जोर देते हुए ने कहा है कि जिला स्तर पर आपदा प्रबंधन समूह बनाया जाना चाहिये और इसकी निगरानी की जिम्मेदारी के लिए अफसरों को तैनात किया जाना चाहिये.
हाल ही में लॉकडाउन को तीन महीने तक बढ़ाये जाने तक की संभावना कुछ मीडिया रिपोर्ट में जतायी जा रही थी. तभी कैबिनेट सचिव राजीव गौबा की तरफ से ऐसी संभावनाओं को खारिज कर दिया गया. मुख्यमंत्रियों की बैठक में भी लॉकडाउन पर काफी चर्चा हुई और उसके बाद के हालात को लेकर भी.
सोचने और समझने वाली बात ये है कि संपूर्ण लॉकडाउन लागू रहने की स्थिति में जब हद से ज्यादा लापरवाही बरती जा रही है तो उसके बाद की स्थिति की कल्पना भर की जा सकती है. भारत सहित दुनिया के 27 देशों में फिलहाल लॉकडाउन आंशिक रूप से या पूरी तरह लागू है - लेकिन स्वीडन एक ऐसा देश है जहां कोरोना वायरस की वजह से काफी मौतों के बाद भी लॉकडाउन नहीं लागू किया गया है - और वहां के लोग चारों तरफ बड़े आराम से घूम फिर रहे हैं.
दरअसल, स्वीडन में बगैर लॉकडाउन के भी कोरोना से मुकाबले की हिम्मत है - और ये हिम्मत लोगों की समझ के चलते ही आयी है. स्वीडन के लोग सरकार की तरफ से जारी गाइडलाइन को मानते हैं और जरूरी सतर्कता भी बरतते हैं. सरकार को अपने लोगों पर और लोगों को अपनी सरकार पर भरोसा है - तभी तो मजे से जिंदगी जी रहे हैं.
देश में तो आलम ये है कि लॉकडाउन के बीच कहीं मेडिकल टीम पर तो कहीं पुलिस वालों पर हमला हो जा रहा है. पिटाई और पत्थरबाजी से लेकर फायरिंग तक लोग कर डाल रहे हैं. तब्लीगी जमात ने तो अलग से ही बखेड़ा खड़ा कर रखा है - देश के ज्यादातर राज्यों में प्रशासनिक व्यवस्था बीमारों के इलाज और जरूरतमंदों की मदद पर फोकस करने की जगह पूरी मशीनरी और ताकत कोरोना भगोड़ों को पकड़ने में जाया हो रही है.
लॉकडाउन पर कांग्रेस का बदलता नजरिया
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के लॉकडाउन लागू करने की घोषणा करते ही कांग्रेस नेता पी. चिदंबरम उनके सबसे बड़े फैन जैसा व्यवहार करने लगे थे - लेकिन पांच दिन बीतते ही फिर से वो अपने पुराने रवैया पर आ गये. राहुल गांधी भी लगातार हमले कर रहे थे, लेकिन लॉकडाउन के बाद सरकार के साथ खड़े होने की बात करने लगे. सोनिया गांधी ने तो पत्र भी लिखा और सरकार के समर्थन की बात कही थी - लेकिन अचानक ऐसा क्या हो गया कि सब के सब पीछे हट गये.
CWC की मीटिंग से राहुल गांधी की जो बातें बाहर आयी हैं उसमें पता चला है कि सरकार के फैसले से खफा हैं. राहुल गांधी का कहना है कि दुनिया का कोई ऐसा देश नहीं है, जो मजदूरों के रहने, खाने और उनके राशन की व्यवस्था किए बगैर ही लॉकडाउन का ऐलान कर देता है.
आखिर राहुल गांधी ने ये सवाल लॉकडाउन लागू किये जाने के बाद क्यों नहीं उठाया और अब ऐसा क्यों कह रहे हैं?
सोनिया गांधी भी कह रही हैं कि लॉकडाउन लागू करने से पहले सरकार को एक विस्तृत रणनीति तैयार कर लेनी चाहिये थी - लेकिन ये सवाल अब क्यों उठाया जा रहा है?
19 मार्च को पी. चिदंबरम ने एक के बाद एक कई ट्वीट किये और हर ट्वीट में एक ही चीज का जिक्र रहा - लॉकडाउन. चिदंबरम का एक ही सवाल रहा - सरकार लॉकडाउन क्यों नहीं लागू कर रही है?
After WHO Director General’s statement yesterday, there should be no hesitation in ordering an immediate lockdown of all our towns and cities for 2-4 weeks.
— P. Chidambaram (@PChidambaram_IN) March 19, 2020
Even after we have witnessed what is happening in Italy, Iran and Spain, why is the government refusing to take the logical step of a lockdown?
— P. Chidambaram (@PChidambaram_IN) March 19, 2020
Since ICMR’s random sample testing has revealed that there is no community transmission (Stage 3) so far, this is the moment to announce a temporary lockdown and contain the disease at Stage 2. @narendramodi @PMOIndia @uddhavthackeray @CMOTamilNadu @EPSTamilNadu
— P. Chidambaram (@PChidambaram_IN) March 19, 2020
और जरा याद कीजिये लॉकडाउन लागू होते ही चिदंबरम क्या बोले - ऐतिहासिक कदम. इतना ही नहीं और भी बोले थे, 'कोरोना वायरस से जंग में प्रधानमंत्री मोदी सेनापति और जनता पैदल सेना है.'
My statement on the current lockdown and how the Government can help make it better. @PMOIndia @narendramodi @nsitharaman @nsitharamanoffc @FinMinIndia #STAYHOMEINDIA pic.twitter.com/0sQJwG0HAD
— P. Chidambaram (@PChidambaram_IN) March 25, 2020
लेकिन फिर अचानक उनको गुस्सा आ गया. कहने लगे - 21 दिनों के लॉकडाउन के कारण आम जनमानस को दिक्कतें हो रही हैं और गरीब सबसे ज्यादा प्रभावित हो रहे हैं. ये भी कहने लगे कि लॉकडाउन बगैर किसी तैयारी के लागू कर दिया गया - और अब ऐसी ही बातें राहुल गांधी और सोनिया गांधी भी कर रहे हैं.
समझ में एक ही बात नहीं आ रही है - आखिर लॉकडाउन पर कांग्रेस नेताओं का नजरिया अचानक लड़खड़ाने क्यों लगा है?
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