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Updated: 03 अप्रिल, 2020 10:32 PM
मृगांक शेखर
मृगांक शेखर
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कोरोना वायरस (Coronavirus) से आयी महामारी से मुकाबले के लिए देश भर में संपूर्ण लॉकडाउन (Lockdown) लागू है, लेकिन अब संकेत ऐसे मिल रहे हैं कि 21 दिन बाद खत्म किया जा सकता है. देश भर के मुख्यमंत्रियों के साथ हुई वीडियो कांफ्रेंसिंग में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) ने लॉकडाउन को लेकर सुझाव मांगे थे- और जरूरत के हिसाब से तैयारी करने को भी कहा था.

प्रधानमंत्री मोदी मुख्यमंत्रियों से जानना चाह रहे थे कि देश को लॉकडाउन से बाहर निकालने का क्या बेहतर तरीका हो सकता है. साथ ही, सामान्य जन जीवन को फिर से पटरी पर लाने की जो भी संभव रणनीति हो तैयार की जाये. वैसे ये भी ध्यान रखा जाना चाहिये कि तब्लीगी जमात (Tablighi Jamaat) जैसे लोग भी हैं जो सारी कवायद को मिट्टी में मिलाने की कोशिशों में कोई कमी नहीं कर रहे.

लॉकडाउन को लेकर कांग्रेस नेताओं का कहना है कि इसे हड़बड़ी में लागू कर दिया गया. बगैर जरूरी तैयारियों के और विपक्ष इसके लिए गरीबों के सामने आ खड़ी चुनौतियों का हवाला दे रहा है. बहरहाल, कांग्रेस में 'हुआ तो हुआ' भी चलता है - लेकिन अब ये सवाल निश्चित तौर पर जरूरी हो गया है कि क्या 21 दिन में लॉकडाउन खत्म करने के लिए देश तैयार है?

यूपी सरकार दे रही है लॉकडाउन खत्म करने के संकेत

यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ (Yogi Adityanath) ने अपने अफसरों को हिदायत दी है कि वे चरणबद्ध तरीके से लॉकडाउन खोलने की रणनीति तैयार करें. मान कर चलना चाहिये कि ये सब प्रधानमंत्री मोदी के साथ हुयी मुख्यमंत्रियों की मीटिंग में तय चीजों के हिसाब से ही आगे बढ़ रहा है.

योगी आदित्यनाथ का कहना है कि अगर 15 अप्रैल से लॉकडाउन खुलता है तो हालात बेहद चुनौतीपूर्ण होंगे - ऐसे में मौजूदा परिस्थिति और भविष्य को ध्यान में रखते हुए रणनीति तैयार की जाये. योगी सरकार मान कर चल रही है कि लॉकडाउन के बाद की परिस्थितियों में सोशल डिस्टैंसिंग को कायम करा पाना बड़ा चैलेंज होगा. सबसे बड़ा चैलेंज तो तब होगा जब आवाजाही शुरू होने पर जो जहां फंसा होगा वहां से मंजिल तक पहुंचने की कोशिश करेगा और नये सिरे से हर तरह की सुविधायें मुहैया करना पाना काफी मुश्किल होगा.

राज्य स्तर पर जो एक्शन प्लान तैयार किया जा रहा है उसमें तय किया जाना है कि स्कूल-कॉलेज, बाजार और मॉल कब और कैसे खोले जाएंगे. मुख्यमंत्री ने हर जिले में कम्युनिटी किचेन चलाने को भी कहा है. तय किया जाना है कि हर कोई भोजन बांटने न निकल पड़े, इसलिए कुछ कलेक्शन सेंटर भी बना लिये जायें.

yogi adityanathयोगी आदित्यनाथ अफसरों के साथ सोशल डिस्टैंसिंग के बीच लॉकडाउन के बाद की तैयारी करते हुए

देखा जाये तो प्रधानमंत्री मोदी के संपूर्ण लॉकडाउन की घोषणा से पहले ही कई राज्य सरकारों ने आंशिक तौर पर या पूरी तरह लॉक डाउन का ऐलान कर दिया था. यूपी की योगी सरकार ने जनता कर्फ्यू के बीच 22 मार्च को ही कई जिलों में लॉकडाउन लागू कर दिया था. फिर 24 मार्च को तीन दिन के लिए यानी 27 मार्च तक पूरे राज्य में लॉकडाउन को बढ़ा दिया गया. 24 मार्च की ही शाम को प्रधानमंत्री रात 12 बजे से 21 दिन के लिए संपूर्ण लॉकडाउन लागू किये जाने की घोषणा की थी - जो 14 अप्रैल को खत्म हो रहा है.

देश में सबसे पहले राजस्थान की अशोक गहलोत सरकार ने लॉकडाउन लागू करने की घोषणा की थी और उसके बाद दूसरी कांग्रेस सरकार के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने पंजाब में लागू कर दिया था. दिल्ली में अरविंद केजरीवाल ने 23 मार्च को सुबह 6 बजे से 31 मार्च रात 12 बजे तक के लिए लॉकडाउन लागू करने की घोषणा की थी.

अरुणाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री पेमा खांडू ने तो ट्वीट कर बता ही दिया था कि 21 दिन बाद लॉकडाउन खत्म हो जाएगा. फिर एक अफसर पर हिंदी की नासमझी का ठीकर फोड़ कर ट्वीट डिलीट कर दिया था. लेकिन हिंदी को लेकर न तो योगी आदित्यनाथ को कोई समस्या है और न ही उनके अफसरों में , लिहाजा यूपी सरकार ने 24 घंटे के भीतर ही लॉकडाउन को लेकर भविष्य की तस्वीर तकरीबन साफ कर दी है.

कदम कदम पर जोखिम ही तो है

लॉकडाउन 21 दिन के लिए लागू है - और 20वें दिन की स्थिति को लेकर एक अध्ययन भी सामने आया है. यूपी की शिव नादर यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों का दावा है कि 20वें दिन कोरोना संक्रमित लोगों की संख्या में 83 फीसदी की कमी आ जाने की संभावना है. वैज्ञानिकों का तर्क है कि ऐसा इसलिए संभव हो सकता है क्योंकि देश की 80 से 90 फीसदी आबादी सोशल डिस्टैंसिंग का पालन कर रही है.

ये वैज्ञानिक दावा कर रहे हैं कि अगर संपूर्ण लॉकडाउन नहीं लागू हुआ होता तो देश में कोरोना वायरस से संक्रमित लोगों की तादाद पौने तीन लाख पहुंच सकती थी - और तब के हालात में मौतों का आंकड़ा साढ़े पांच हजार के करीब पहुंच सकता था.

ये तो नहीं पता चल सका है कि इन वैज्ञानिकों के अध्ययन में तब्लीगी जमात के उत्पात को शामिल किया गया है या नहीं, लेकिन इतना तो मालूम हो ही गया है कि देश में कोरोना संक्रमित लोगों की संख्या में तेजी लाने के मामले में इनका कोई सानी नहीं है.

तब्लीगी जमात के मौलाना साद को दिल्ली पुलिस खोज रही है - और शक ये भी है कि वो भी कोरोना वायरस के संक्रमण के शिकार हो सकते हैं. सरकार की तरफ से बताया गया है कि देश भर में अब तक कोरोना संक्रमित जो लोग हैं उनमें 647 तब्लीगी जमात के सदस्यों की वजह से शिकार हुए हैं और ये देश के 14 राज्यों में फैले हुए हैं. ध्यान रहे इनमें मौलाना साद और वे लोग नहीं शामिल हैं जिन तक प्रशासन की पहुंच कायम नहीं हो सकी है.

एक तरफ यूपी में लॉकडाउन खत्म करने की तैयारियों के संकेत मिल रहे हैं और दूसरी तरफ ओडिशा सरकार 48 घंटे के लिए दो शहरों में संपूर्ण शटडाउन करने जा रही है. ये शटडाउन 3 अप्रैल को रात 8 बजे से लेकर 5 अप्रैल रात 8 बजे तक लागू रहेगा. ओडिशा सरकार को ये फैसला विशेष परिस्थितियों में लेना पड़ा है.

ओडिशा के मुख्य सचिव असित त्रिपाठी के मुताबिक 48 घंटे का संपूर्ण शटडाउन राजधानी भुवनेश्वर के साथ साथ भद्रक शहर में भी लागू रहेगा. दरअसल, ओडिशा में एक ऐसा मरीज पाया गया है जो न तो कभी विदेश गया और न ही कभी देश के किसी अन्य राज्य में गया - फिर भी वो कोरोना वायरस से संक्रमित पाया गया है.

असल में ओडिशा सरकार को कम्युनिटी ट्रांसमिशन के खतरे की आशंका है इसीलिए संपूर्ण शटडाउन का फैसला लिया गया है. ऐसा ही एक केस छत्तीसगढ़ में भी आया था.

बाकी मामले तो अपनी जगह है ही कम से कम दो वाकये ऐसे हैं जिनको लेकर सही रिपोर्ट काफी मायने रखती है - एक, तब्लीगी जमात के सभी लोगों की रिपोर्ट और दूसरी, विदेशों से आये लोगों की जांच की स्टेटस रिपोर्ट बहुत महत्वपूर्ण है. निजामुद्दीन के मरकज में हुए आयोजन में शामिल सभी लोगों की जांच पूरी होने को लेकर अभी पूरी रिपोर्ट नहीं मालूम है. इसी तरह, विदेशों से आये लोगों को लेकर कैबिनेट सचिव राजीव गौबा ने राज्य सरकारों को जो पत्र लिखे थे, उन सभी लोगों को खोज लिया गया और उनकी जांच हो गयी ये भी बहुत महत्वपूर्ण है. इन्हें लेकर न तो कोई खबर दिखी है और न ही सरकार की तरफ से कोई जानकारी ही दी गयी है - जब तक ये काम खत्म नहीं होता जोखिम भी बना रहेगा.

अगर ऐसे कुछ लोग भी जिनके कोरोना वायरस से किसी न किसी वजह से संक्रमित होने की आशंका बनती हो और वे मनमर्जी कर रहे हों, सोशल डिस्टैंसिंग को फॉलो न कर रहे हों - सभी के लिए खतरनाक हो सकते हैं. ऐसे लोग ही कम्युनिटी ट्रांसमिशन को बढ़ावा दे सकते हैं.

जब तक ये पक्का यकीन नहीं हो जाता कि कोई ऐसा शख्स जो कोरोना वायरस के संक्रमण का शिकार हो और वो सोशल डिस्टैंसिंग जैसी सावधानी नहीं बरत रहा होगा लॉकडाउन खत्म किया जाना कहीं ज्यादा खतरनाक हो सकता है. अगर एक बार लॉकडाउन खत्म करने पर मालूम होता है कि नये केस आ रहे हैं तो ये भी खतरे वाली बात होगी. चीन में ऐसा हो चुका है - तीन दिन बाद नये सिरे से कोरोना संक्रमण के मामले सामने आ चुके हैं.

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लेखक

मृगांक शेखर मृगांक शेखर @mstalkieshindi

जीने के लिए खुशी - और जीने देने के लिए पत्रकारिता बेमिसाल लगे, सो - अपना लिया - एक रोटी तो दूसरा रोजी बन गया. तभी से शब्दों को महसूस कर सकूं और सही मायने में तरतीबवार रख पाऊं - बस, इतनी सी कोशिश रहती है.

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