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Updated: 20 अप्रिल, 2020 08:15 PM
मशाहिद अब्बास
मशाहिद अब्बास
  @masahid.abbas
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कोरोना (Coronavirus) का हाहाकार पूरे विश्व भर में है. कोरोना वायरस के फैलने को लेकर तमाम तरह के तर्क दिए जा रहे हैं. विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने इसे महामारी घोषित कर रखा है. आरोप प्रत्यारोप का सिलसिला भी खूब चल पड़ा है. इन आरोपों पर अगर ध्यान दिया जाए तो कई सवाल खड़े होते हैं जो शक पैदा करते हैं. अमेरिका (America) ने इस वायरस के लिए जहां चीन को कठघरे में खड़ा किया है, वहीं चीन (China) इसके लिए अमेरिका को ज़िम्मेदार ठहरा रहा है. इन आरोप-प्रत्यारोप के बीच जो सवाल सामने आ रहे हैं वह शक को मजबूती प्रदान करते है. सबसे पहले चीन की बात करते हैं, चीन ने दावा किया कि उसके देश में कुल 50 हज़ार से ज्यादा केस मिले थे. जिनमें 38 सौ लोगों की मौत हुई और अब कोरोना से पूरी तरह निजात पा गया है. लेकिन कुछ ही दिनों बाद चीन ने अपने आंकड़े बदल दिए और कहा कि गलती से कुछ लोगों की संख्या को नहीं जोड़ा जा सका था जिसे अब जोड़ दिया गया है. यह नया आंकड़ा जारी करते हुए चीन ने कहा कि करीब 83 हज़ार केस पाए गए थे, जिनमें 46 सौ लोगों की जान गई है जबकि 77 हजार मरीज़ सही हुए हैं.

ये चीन का आंकड़ा था जहाँ से यह संक्रमण पूरे विश्व में फैला है, अब बात अमेरिका के आंकड़ों की करते हैं, अमेरिका के अनुसार उसके देश में 7 लाख से अधिक मरीज मिले हैं जिनमें 34 हज़ार लोगों की मौत हो गई है, जबकि ठीक होने वाले मरीजों की संख्या 66 हजार है. दुनिया भर में कोरोना के लगभग 23 लाख मामले सामने आए हैं, इनमें सबसे ज़्यादा 7.39 लाख केस केवल अमेरिका मे मिले हैं.

हैरानी इस बात की है कि इस लिस्ट में दूसरे नंबर पर स्पेन का नाम आता है जहां 1.95 लाख केस सामने आए हैं, वहीं तीसरे नंबर पर 1.75 लाख केस के साथ इटली है, और जहां से यह संक्रमण पूरे विश्व में फैला यानी चीन. वह आंकड़ों के हिसाब से 82 हज़ार मामलों के साथ सातवें पायदान पर है.

अब दो सवाल खड़े होते हैं, पहला जहां से यह संक्रमण पूरे विश्व में फैला वहाँ का आंकड़ा सिर्फ 82 हज़ार क्यों रह गया? और दूसरा चीन से इतनी दूर बसे अमेरिका में यह संक्रमण इतना कैसे फैल गया? अमेरिका की हालत यह है कि दुसरे, तीसरे और चौथे पायदान पर रहने वाले स्पेन, इटली और फ्रांस के कुल मामलों से भी बड़ी संख्या अमेरीका कि खुद है.

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यह आंकड़ा शक पैदा करने के लिए काफी है. एक तरफ जहां चीन में जन्मा यह वायरस दुनिया भर में कोहराम मचा रहा है और हर संभव कोशिशों के बाद भी यह संख्या तेज़ी के साथ बढ़ती जा रही है तो चीन ने आखिर अमेरिका और स्पेन जैसे देशों से कम संख्या में कैसे कंट्रोल कर लिया ?

और दूसरा शक अमेरिका पर पैदा होता है कि अमेरिका के मुकाबले अन्य देशों में यह संख्या कैसे अमेरिका से इतनी कम है. अमेरिका ने इटली जैसी लापरवाही भी नहीं की. ऐसा भी नहीं है कि अमेरिकी सरकार या अमेरिकी एजेंसी को कोरोना के खतरे का अंदाजा नहीं था. अगर आप अमेरिका और चीन के बीच हालिया बयानबाजी पर गौर करें तो आपको लगेगा कि मामला बड़ा पेचीदा है.

दरअसल अमेरिका यह मानता है कि यह वायरस चीन ने ही फैलाया है और इसीलिए वह विश्व स्वास्थ्य संगठन से माँग करता रहा है कि इस वायरस को वुहान वायरस के नाम से जाना जाए. अमेरिका को इस पर किसी भी देश का साथ नहीं मिला और WHO ने इसे कोविड-19 का नाम दिया. तभी से अमेरिका ने विश्व स्वास्थ्य संगठन को चीन का एजेंट कहना शुरू कर दिया. वहीं दूसरी ओर चीन अमेरिका को इसका कसूरवार कहता रहा है, चीन का दावा है कि वुहान में अमेरिकी सैनिकों के जाने के बाद से ही चीन में यह सब देखने को मिला है यह अमेरिका की चाल हो सकती है.

दोनों ही देशों के अपने-अपने दावे हैं. अमेरिका में 7 लाख से अधिक मरीज़ हैं, ये वही अमेरिका है जो अपने 1-1 नागरिकों की सुरक्षा के लिए जाना जाता है. वही अमेरिका के राष्ट्रपति 7 लाख मरीज होने के बावजूद लॅाकडाउन खोलने के पक्ष में खड़े हैं जो किसी को भी हज़म नहीं हो रहा है. अमेरिकी राष्ट्रपति ने कहा है कि अगर इस वायरस के चलते उनके देश में 1 लाख से कम मौत होती है तो यह अमेरिका की कामयाबी होगी. यह दावा हैरान करता है अमेरिका जैसा देश इतनी जल्दी इतना संक्रमित कैसे हो सकता है, जबकि वह पहले से ही अलर्ट था. और दूसरी ओर चीन में यह आंकड़ा 83 हज़ार के पास ही क्यों है, जबकि जो तस्वीरें सामने आई थी उनमें चीन बेकाबू हालात में दिखाई दे रहा था. इन आंकड़ों की गहराई में अगर उतरा जाए तो तीन बातें सामने आंएगी. 

1- अमेरिका झूठ बोल रहा है, वह अपने आंकड़ो को इसलिए बढ़ा-चढ़ा कर पेश कर रहा है ताकि चीन को अंतराष्ट्रीय स्तर पर घेरा जा सके.

2- चीन झूठ बोल रहा है, वहाँ संक्रमित मरीजों की संख्या बहुत कम बताई गई. जिस देश से यह संक्रमण फैला उस देश में इतनी कम संख्या हजम नही होती है. अब जब हर देश में आंकड़े तेज़ी के साथ बढ़ रहे हैं तो उसे भी अपने आंकड़े बढ़ाने पड़ रहे हैं. इसी दबाव मे ही चीन ने आंकड़े सुधारने के नाम पर 30 हजार से अधिक मरीजों को शामिल किया है. ताकि वह अंतराष्ट्रिय स्तर पर साबित कर सके कि उसका नुकसान भी अधिक हुआ है.

3- दोनो ही देश गलत आंकड़े पेश कर रहे हैं. वास्तविक स्थिति को दोनो ही देश छिपा रहे हैं ताकि कोरोना से निजात पाने के बाद एक-दूसरे को कठघरे में खड़ा किया जा सके.

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लेखक

मशाहिद अब्बास मशाहिद अब्बास @masahid.abbas

लेखक स्वतंत्र पत्रकार हैं और समसामयिक मुद्दों पर लिखते हैं

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