'आप' का क्या होगा
अरविंद केजरीवाल पर ये आरोप न सिर्फ केजरीवाल बल्कि दिल्ली सरकार और आम आदमी पार्टी के लिए भी एक बड़ा और अभूतपूर्व संकट है.
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'मेरी आंखों के सामने सत्येंद्र जैन ने केजरीवाल को 2 करोड़ रुपये दिए' कपिल मिश्रा का ये आरोप अरविंद केजरीवाल के लिए सबसे बड़ा राजनीतिक संकट साबित हो सकता है. अभी तक ऐसा नहीं हुआ था कि जब अरविंद केजरीवाल पर सीधे इतने गंभीर आरोप लगे हों. अरविंद केजरीवाल की राजनीतिक बुनियाद ही भ्रष्टाचार विरोध पर टिकी हुई है, ऐसे में उन पर ये आरोप न सिर्फ केजरीवाल बल्कि दिल्ली सरकार और आम आदमी पार्टी के लिए भी एक बड़ा और अभूतपूर्व संकट है.
पहले ही मुश्किलों से घिरे आम आदमी पार्टी के लिए यह किसी सदमे से कम नहीं है. हालांकि, ऐसी संभावनाएं पहले ही जताई जा रही थी कि एमसीडी चुनावों में हार का असर पार्टी में फूट के रूप में दिख सकती, मगर यह इस रूप में सामने आएगी ऐसी उम्मीद किसी को नहीं रही होगी.
आमतौर पर अपने विरोधियों पर तमाम तरह के आरोप लगाने वाले अरविंद केजरीवाल ने यह सपने में भी नहीं सोचा होगा की खुद उन पर इतना बड़ा आरोप उन्ही के खास रहे कपिल मिश्रा द्वारा लगा दिया जाएगा. हालांकि कपिल मिश्रा के आरोप कितने सही हैं यह कह पाना अभी मुश्किल है, क्योकि अरविंद केजरीवाल के राजनीतिक विरोधी भी उनके व्यक्तिगत ईमानदारी पर कम ही सवाल उठाते देखे गए हैं.
मगर कपिल मिश्रा ने अपने आरोपों के पीछे जो तर्क दिए हैं वह वाकई काबिलेगौर है. अरविंद केजरीवाल जो अक्सर राजनीति में सुचिता और पारदर्शिता कि बात करते हैं, उन्होंने सत्येंद्र जैन पर लगे आरोपों पर चुप्पी क्यों साध रखी है.
यह सवाल तो उठेगा ही और अगर केजरीवाल पाक साफ हैं तो फिर वो जनता और मीडिया के सामने आकर खुद सफाई देने से क्यों बच रहे हैं? सवाल तो कपिल मिश्रा से भी पूछा जाना चाहिए की यह खुलासा करने के लिए उन्होंने यही समय क्यों चुना. क्या यह आरोप मंत्री पद से हटाए जाने के बाद बदला लेने के लिए लगाए गए?
पिछले दो सालों में आम आदमी पार्टी कई तरह की विवादों में रही, पार्टी के दर्जन भर विधायक अलग-अलग कारणों से जेल भी गए और पार्टी के कई वरिष्ठ सदस्य भी पार्टी से अलग हो गए. इस दौरान पार्टी को पंजाब, गोवा और दिल्ली नगर निगम के चुनावों में हार का मुंह भी देखना पड़ा. पिछले ही हफ्ते ऐसी ख़बरें आई की आम आदमी पार्टी दो खेमों में बंट सकती और इसका एक खेमा कुमार विश्वास के साथ जा सकता हैं, मगर उस समय पार्टी ने इस फूट को टाल दिया.
मगर लगता है कि आम आदमी पार्टी के लिए अब आगे कि राह और भी कंटीली होने वाली है, क्योंकि इसकी पूरी सम्भावना है कि इन आरोपों के बाद आप के कुछ और नेता भी मिश्रा के आरोपों का साथ देते दिख जाएं और पार्टी कि फूट और बढ़ जाये और अगर ऐसा होता है तो यह संकट न केवल आम आदमी पार्टी का बल्कि दिल्ली सरकार का भी होगा. अब देखना होगा कि खुद संकट में फंसे केजरीवाल खुद को और अपनी पार्टी को कैसे इस संकट से उबार पाते हैं.
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