चक्रव्यूह में कांग्रेस के चाणक्य
कांग्रेस के लिए अहमद पटेल का चयन भी प्रतिष्ठा का सवाल बन गया है. पटेल को कांग्रेस के चाणक्य के रूप में भी जाना जाता है. वो पिछले दो दशक से कांग्रेस की अंदरुनी सत्ता सियासत के सबसे ताकतवर और प्रमुख रणनीतिकार हैं. अगर पटेल राज्य सभा चुनाव में हार जाते हैं तो यह पार्टी के लिए बहुत बड़ा झटका हो सकता है.
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गुजरात में कांग्रेस के लिए मुश्किलें कम होने का नाम नहीं ले रहीं. जहाँ पिछले ही हफ्ते गुजरात कांग्रेस के सबसे बड़े चेहरे माने जाने वाले शंकर सिंह वाघेला ने पार्टी से इस्तीफा दे दिया था, तो वहीं पिछले दो दिनों में कांग्रेस के छह विधायक कांग्रेस का साथ छोड़ चुके हैं. खबरों के अनुसार कम से कम और पांच से दस विधायक अगले कुछ दिनों में पार्टी को अलविदा कह सकते हैं.
राज्य सभा चुनावों के ठीक पहले विधायकों के इस तरह पार्टी छोड़ने से कांग्रेस के लिए नयी मुसीबत खड़ी कर दी है. कांग्रेस ने गुजरात से राज्य सभा की सीट के लिए सोनिया गांधी के राजनीतिक सलाहकार माने जाने वाले अहमद पटेल को उम्मीदवार बनाया है. मगर पिछले कुछ दिनों में विधायकों ने जिस तरह पार्टी को ठेंगा दिखाया है उससे अब अहमद पटेल की जीत पर संकट के बादल मंडराने लगे हैं.
चाणक्य को बचाने के लिए रचा जा रहा चक्रव्यूह
182 सीटों वाली गुजरात विधानसभा में कांग्रेस के 57 विधायक थे, लेकिन 6 विधायकों के पार्टी छोड़ने के बाद यह संख्या 51 हो गई है. हालांकि इस संख्या में भी अहमद पटेल की जीत सुनिश्चित है लेकिन कुछ और विधायकों के कांग्रेस छोड़ने की खबरों और हाल ही संपन्न हुए राष्ट्रपति चुनावों में 11 कांग्रेसी विधायकों के क्रॉस वोटिंग ने अहमद पटेल के राह में रोड़े लगा दिए हैं.
वर्तमान में गुजरात विधानसभा की जो स्थिति है उसके अनुसार राज्य सभा की सीट जीतने के लिए लगभग 45 विधायकों के समर्थन की जरुरत होगी. वैसे अगर कांग्रेस अभी भी अपने कुनबे को सुरक्षित रखने में सफल होती है तो वह आसानी से इस आंकड़े को पा सकती है. हालांकि कांग्रेस के डर का अंदाज़ा इसी बात से लगाया जा सकता है कि पार्टी ने अपने विधायकों को एकजुट रखने के लिए करीब 45-46 विधायकों को कांग्रेस शासित राज्य कर्नाटक भेज रखा है. कांग्रेस किसी भी सूरत में और विधायकों को पार्टी से अलग होने नहीं देना चाहती.
कांग्रेस के लिए अहमद पटेल का चयन भी प्रतिष्ठा का सवाल बन गया है. पटेल को कांग्रेस के चाणक्य के रूप में भी जाना जाता है. इन्हें पार्टी दूसरी बार राज्य सभा के लिए चुनवाना चाहती है. पटेल पिछले दो दशक से कांग्रेस की अंदरुनी सत्ता सियासत के सबसे ताकतवर और प्रमुख रणनीतिकार हैं. अगर पटेल राज्य सभा चुनाव में हार जाते हैं तो यह पार्टी के लिए बहुत बड़ा झटका हो सकता है.
कोई मौका नहीं छोड़ना चाहती कांग्रेस
कांग्रेस पहले ही शंकर सिंह वाघेला के इस्तीफे के बाद बैकफुट पर है. ऐसे में पटेल की हार पार्टी की रणनीतिक हार भी होगी. पटेल की हार भाजपा की रणनीतिक जीत भी मानी जाएगी. साथ ही पटेल की हार कांग्रेस में टूट को और भी हवा दे सकती है और राज्य में पहले से ही खस्ता हाल कांग्रेस को और गर्त में पहुंचा सकती है.
गुजरात में इस वक़्त राज्य सभा की तीन सीटों के लिए चुनाव होने वाले हैं. भारतीय जनता पार्टी ने पार्टी अध्यक्ष अमित शाह, कपड़ा मंत्री स्मृति ईरानी और दो दिन पहले ही कांग्रेस से भाजपा में शामिल हुए बलवंत सिंह राजपूत को अपना तीसरा उम्मीदवार घोषित किया है. भाजपा के लिए दो सीटों पर जीत तय है. हालांकि पार्टी की कोशिश तीसरी सीट पर भी जीत दर्ज कर कांग्रेस को बडा झटका देने की होगी.
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