इज्जत सिर्फ मायावती की ही नहीं बल्कि दूसरी महिलाओं की भी है...
मायावती के लिए जिन शब्दों का प्रयोग किया गया उसकी आलोचना सभी ने की. लेकिन इसके बाद BSP के कार्यकर्ताओं ने दयाशंकर सिंह की पत्नी और बेटी को लेकर जैसा रवैया अपनाया, वो क्या जायज था? इस पर जवाब कौन देगा..
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अभी तो सही से उत्तर प्रदेश चुनाव की शुरुआत भी नहीं हुई है और क्या-क्या हो रहा है. ये तो यूपी चुनाव का ट्रेलर नहीं बल्कि सिर्फ टीज़र मात्र है. अभी तो और क्या-क्या देखना बाकी है, ये तो चुनाव नजदीक आने के साथ आपके सामने आता ही जाएगा.
दयाशंकर सिंह ने मायावती को गाली दी. बहुत ही ग़लत हुआ. सारे देश ने इसकी निंदा की. यहां तक कि राजनाथ सिंह ने तो संसद में माफी भी मांगी. बीजेपी ने दयाशंकर को अपनी पार्टी से 6 साल के लिये निष्कासित भी कर दिया. FIR भी हो गई. मगर BSP कार्यकर्ता सिर्फ इससे मानने वाले नहीं थे. लिहाज़ा, BSP ने लखनऊ में एक बड़ा भारी प्रदर्शन किया. यहां तक भी ठीक था.
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मगर बात तो तब बिगड़ी जब बीएसपी कार्यकर्ताओं ने कहा, 'दयाशंकर की बीवी-बेटी को पेश करो'. वाह...क्या यही BSP का जवाब था? जब स्वाति सिंह (दयाशंकर सिंह की पत्नी) ने इसके खिलाफ आवाज़ उठाई तब मायावती को समझ आया की हां गलती हुई है. लेकिन बीएसपी के नेता ये मानने को तैयार ही नहीं हैं.
मायावती के खिलाफ शिकायत दर्ज कराने के बाद दयाशंकर सिंह का परिवार |
टीवी चैनलों की बहस में BSP नेता बोल रहे हैं कि 'दलित महिला की इज्जत होती है समाज में. मायावती समाज की इतनी बड़ी नेता है, उनका अपमान करने की हिम्मत कैसे हुई'. जवाब में स्वाति सिंह ने सवाल किया कि 'क्या सिर्फ मायावती की ही इजज्त है ? क्या वो नेता हैं इसलिये उनकी इज्जत और मेरी बेटी और मैं क्या रोड छाप है? यानी जो महिला नेता हैं उनकी इज्जत और हमारी समाज में कोई इज्जत नहीं'. स्वाति सिंह ने अपना पक्ष साफ रखा है कि हां मेरे पति ने से गलती हुई है मगर कानून जो मेरे पति के साथ करेगा वो मायावती और उनके साथियों के साथ भी हो.
आज देश में जिस तरह की राजनीति हो रही है वो बहुत खतरनाक है. क्योंकि ये एक समाज-वर्ग को बांटने का काम करती है. अगर हर पार्टी एक विशेष वर्ग की ही राजनीति करेगी तो ज़रा सोचिए ये देश किस दिशा में जाएगा? सच तो ये ही है कि जिन पार्टीयों की कोई दिशा आज तक तय नहीं हो पाई वो क्या इस देश की दिशा तय करेंगे.
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अब सवाल देश के सामने यही है कि क्या कुछ पार्टियों ने अपने वोट बैंक के लिये एक विशेष वर्ग को बांट लिया है? कोई मुसलमानों की राजनीति करने में व्यस्त है तो कोई पार्टी दलित राजनीति से जुड़े किसी मुद्दे को छोड़ना नहीं चाहती. मगर आज इन राजनीतिक पार्टियों की वजह से उस महिला, उस बेटी, उस पत्नी या फिर उस मां की इज्ज़त को सरे आम गंदी राजनीती का शिकार होना पड़ा है जो इस समाज और देश के लिये बेहद खतरनाक है.
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