केजरीवाल पर निर्णायक हमले की तैयारी में अमित शाह !
अब केंद्र की मोदी सरकार से लगातार दो-दो हाथ करने का केजरीवाल का दांव उल्टा पड़ने वाला है. दिल्ली बीजेपी केजरीवाल के ही दांव से उन्हें शिकस्त देने में जुटी गयी है. वैसे केजरीवाल के खिलाफ बीजेपी की तैयारियों में तेजी भी कम हैरान करने वाली नहीं है.
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अरविंद केजरीवाल की पार्टी आप के विधायक और सांसद राष्ट्रपति चुनाव में मीरा कुमार को सपोर्ट कर रहे हैं. आम आदमी पार्टी की राजनीतिक मामलों की समिति में ये फैसला हुआ और आप नेता संजय सिंह ने औपचारिक तौर पर इसकी सूचना दी.
मीरा कुमार घूम घूम कर अंतरात्मा की आवाज पर वोट देने की अपील कर रही हैं. वैसे आप को ये फैसला सिर्फ अपील पर नहीं किया, बल्कि मीरा कुमार की ओर से फोन पर गुजारिश के बाद किया. जहां तक राष्ट्रपति चुनाव में हिस्सेदारी का सवाल है आप के पास विकल्प बचे भी नहीं थे. सत्ता पक्ष से आमने सामने की लड़ाई के चलते एनडीए उम्मीदवार रामनाथ कोविंद को वोट देने के बारे में सोचना भी मुनासिब नहीं था - और 17 विपक्षी दलों में कांग्रेस की जिद के चलते आप को नो एंट्री का सिग्नल दिखा दिया गया था. यहां तक कि उपराष्ट्रपति चुनाव में भी विपक्षी खेमे का 18वां दल जेडीयू बना, आप नहीं.
लेकिन अब केंद्र की मोदी सरकार से लगातार दो-दो हाथ करने का केजरीवाल का दांव उल्टा पड़ने वाला है. दिल्ली बीजेपी केजरीवाल के ही दांव से उन्हें शिकस्त देने में जुटी गयी है. वैसे केजरीवाल के खिलाफ बीजेपी की तैयारियों में तेजी भी कम हैरान करने वाली नहीं है.
सबसे तेज बीजेपी
दिल्ली बीजेपी में 24 घंटे के भीतर 121 पदाधिकारियों की नियुक्ति की गयी है. पहले सांध्य टाइम्स ने खबर दी थी कि किसी न किसी वजह से कोई पद न पाने वाले नेताओं को खपाने के लिए बीजेपी जल्द ही 29 विभागों में नियुक्ति करने जा रही है - बाद में पता चला कि बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह के कार्यक्रम से पहले ही ये सारी नियुक्तियां कर दी गयीं.
दि्ल्ली में भी स्वर्णकाल पर जोर...
इन थोक नियुक्तियों को लेकर हैरानी तो हर किसी को है, बड़े ताज्जुब की बात ये है कि इनमें से ज्यादातर नेता करीब साल भर से खाली बैठे हुए थे. दिल्ली बीजेपी अध्यक्ष मनोज तिवारी की ओर से की गयी इन नियुक्तियों में कई पूर्व मेयर, पूर्व विधायक, पूर्व पार्षदों को जगह मिली है. नियुक्तियों में ही नहीं बल्कि अमित शाह के दो दिन के दिल्ली बीजेपी के कार्यक्रम में भी 16 मीटिंग रखी गयी हैं जिनमें वो तमाम पदाधिकारियों से मिलने वाले हैं.
दिल्ली में भी स्वर्णकाल!
बीजेपी को दिल्ली सत्ता से बेदखल हुए बीस साल हो चुके हैं. 1998 के बाद से बीजेपी को लगातार शिकस्त खानी पड़ी है. 2013 के विधानसभा चुनावों में बीजेपी सबसे बड़ी पार्टी बन कर उभरी जरूर लेकिन उसने जोड़ तोड़ से सरकार न बनाने की घोषणा की. बीजेपी को कुछ बड़े की उम्मीद रही होगी लेकिन अगले ही चुनाव में आप की आंधी में उसे महज तीन सीटें ही मिल पाईं. इस बार राजौरी गार्डन उपचुनाव जीतने के बाद बीजेपी विधायकों की संख्या चार हो गयी है.
शाह के दो दिन के तूफानी कार्यक्रम के दौरान कई तरह की रिपोर्ट और प्रजेंटेशन भी दी जाएगी. मेल टुडे की रिपोर्ट में एक सीनियर नेता के हवाले से बताया गया है कि एक बड़ी रिपोर्ट तैयार की गयी है जिसमें स्लम बस्तियों में रहने वालों और जातीय समीकरणों से लेकर राजनीतिक समीकरणों के बारे में विस्तृत ब्योरा है.
दिल्ली में भी बीजेपी उसी रास्ते आगे बढ़ रही है जिसकी मंजिल देश में पार्टी के स्वर्ण काल की कल्पना की गयी है. 2019 में अमित शाह का जोर देश की उन सीटों पर है जहां बीजेपी जीत से महरूम रही है. ठीक उसी पैटर्न पर बीजेपी ने दिल्ली में भी 15 विधानसभा सीटों की पैमाइश की है जहां वो कभी जीत नहीं पायी. इन सीटों में खास बात ये है कि पांच ऐसी सीटें हैं जहां मुस्लिम बहुल आबादी है और पांच जो सुरक्षित हैं. अगले चुनाव में बीजेपी इन पर जीत पक्की करना चाहती है.
जैसे को तैसा
दिल्ली में जब से अरविंद केजरीवाल ने मुख्यमंत्री की कुर्सी संभाली है अक्सर उन्हें उपराज्यपाल और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ हल्ला बोल मोड में ही देखने को मिला है. पूर्व उपराज्यपाल नजीब जंग से तो केजरीवाल की जंग रूटीन का हिस्सा बन चुकी थी, नये एलजी अनिल बैजल से भी जब तब भिड़ंत हो ही जा रही है. लगता है दिल्ली में अब उल्टी गंगा बहने वाली है.
एक प्रेस कांफ्रेंस में तिवारी का आरोप था, "केजरीवाल ने दिल्ली वासियों को धमकी दी थी कि अगर वे नगर निगम चुनाव में भाजपा को वोट देते हैं, तो उन्हें इसका खामियाजा भुगतना होगा - और अब वो अनुदान रोककर नगर निगम का कार्य बाधित कर रहे हैं." तिवारी ने फिर कहा, "जब भी हमारे पार्षद समस्याएं बताने के लिए मुख्यमंत्री से मिलने उनके कार्यालय गए, उन्होंने उनसे मिलने की बजाय उनका अपमान किया."
देखें तो दिल्ली बीजेपी प्रमुख मनोज तिवारी ने भी अब केजरीवाल के खिलाफ वैसा ही हमलावर रुख अख्तियार कर लिया है. वैसे भी एमसीडी चुनाव जीतने के बाद तिवारी का सीना चौड़ा हो चुका है. अब तक केजरीवाल पोस्टर लगवाते रहे - वो परेशान करते रहे, हम काम करते रहे. अब तिवारी केजरीवाल को परेशान करने के लिए वही फंडा अपना रहे हैं.
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