केजरीवाल vs मजीठिया : 'तारीख पे तारीख' से बेहतर है 'आई एम सॉरी'
दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने मानहानि के मामले में शिरोमणि अकाली दल के नेता बिक्रम सिंह मजीठिया से लिखित में माफ़ी मांगी है. इस माफ़ी का कारण बस इतना है कि केजरीवाल जानते हैं कि अदालत में काम धाम कैसे होता है.
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उत्तर से लेकर दक्षिण, पूरब से लेकर पश्चिम तक. प्रशांत, हिंद महासागर से लेकर सहारा या लेह स्पीती के दुर्गम मरुस्थल तक, जहां जहां इंसान रहता होगा वो दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को ज़रूर जानता होगा. व्यक्ति इन्हें नहीं भी जानता होगा तो कम से कम उसने उनका नाम अवश्य सुना होगा. 24 घंटे में भले ही 15 सेकंड के लिए ही क्यों न हो, मगर दिन में एक बार हम न्यूज़ चैनल्स पर अरविंद केजरीवाल का नाम सुन ही लेते हैं. कहा जा सकता है कि दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल आज किसी परिचय के मोहताज नहीं हैं.
एक बात और है जो केजरीवाल को खास बनाती है वो है उनके ऊपर चलने वाले मानहानि के मुक़दमे. आज आम आदमी के पास उतने बीघे जमीने नहीं हैं जितने मानहानि के मुक़दमे सिर्फ अकेले केजरीवाल पर चल रहे हैं. पंजाब चुनावों के दौरान अरविंद केजरीवाल ने शिरोमणि अकाली दल के नेता और पंजाब सरकार के पूर्व मंत्री बिक्रम सिंह मजीठिया को खूब लेफ्ट राइट सेंटर लिया था. और तो और जब इससे भी केजरीवाल का दिल नहीं भरा तो केजरीवाल ने मजीठिया को ड्रग्स माफिया बता दिया.
शायद ही कोई ऐसा दिन हो जब दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल चर्चा का केंद्र न बनें
इस बात से मजीठिया क्या, कोई भी आहत हो जाता और उसका खून जल उठता. मजीठिया ने बात का जवाब अदालत में देना उचित समझा. उन्होंने न आव देखा न ताव मामला लेकर कोर्ट का दरवाजा खटखटाया. ध्यान रहे कि केजरीवाल ने अपनी हर चुनावी रैली में पंजाब में नशे का मुद्दा उठाया था. मुद्दा गलत भी नहीं है. लेकिन तत्कालीन सत्ताधारी पार्टी के नेता बिक्रम मजीठिया को जिम्मेदार ठहराया तो मामला बढ़ गया. अपनी रैलियों उन्होंने यहां तक कहा था कि यदि पंजाब में आम आदमी पार्टी की सरकार बनी तो बिक्रम मजीठिया जेल में होंगे.
आपको बताते चलें कि बिक्रम मजीठिया ने केजरीवाल की टिप्पणी पर उनके खिलाफ अमृतसर की कोर्ट में मानहानि का मुकदमा दाखिल कर दिया था. गौरतलब है कि पंजाब में चुनाव प्रचार के दौरान आप की ओर से लगातार कहा गया था कि बिक्रम सिंह मजीठिया ने पंजाब में हजारों युवाओं का जीवन बर्बाद कर दिया है. मजीठिया ने केजरीवाल के साथ-साथ आशीष खेतान और संजय सिंह के खिलाफ भी मानहानि का मामला दर्ज किया था.अब पंजाब में नई सरकार बनने के ठीक एक साल के बाद केजरीवाल ने अपने बयान पर माफी मांग ली है और इसके लिए एक लिखित चिट्ठी भी जारी की है.
CM @ArvindKejriwal has tendered an apology to me in the court,for all the baseless&false allegations he & his party levelled against me in drug https://t.co/Fl679yeKHW mother suffered the most due to all this&this apology is vindication of her faith in Waheguru’s power of justice pic.twitter.com/YXs3f710eu
— Bikram Majithia (@bsmajithia) March 15, 2018
तो क्यों लिखी चिट्ठी किसलिए माफ़ी मांग मांग के मामला सुलटा रहे हैं केजरीवाल
आज कई राजनेता इस बात से सहमत हैं केजरीवाल का कोई भी मूव बिना तैयारी के नहीं होता. अब यदि इस बात को इस माफ़ी और इस चिट्ठी से जोड़ते हुए देखें तो मिलता है कि इसमें भी केजरीवाल की प्लानिंग है. हमारे आपके अलावा दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल भी देश की न्यायव्यवस्था से परिचित हैं. वो भली प्रकार ये जानते हैं कि आज भी दीवानी से लेकर फौजदारी तक लाखों मुक़दमे देश की अदालतों में लंबित पड़े हैं. लोग तारीख पर आते हैं और अगली तारीख लेकर चले जाते हैं.
इसे ऐसे भी समझा जा सकता है कि देश में हत्या जैसे मामलों में भी इंसाफ व्यक्ति को 15 या 20 साल बाद ही मिलता है. यानी एक जवान इंसान को अदालत जब इंसाफ देती है तब तक उसके चेहरे में झुर्रियां पड़ जाती हैं और वो बूढ़ा हो जाता है. केजरीवाल की उम्र आज 49 साल है और शायद ये कहना गलत न हो कि यदि वो अपनी हरकतों के चलते कोर्ट कचहरी के लपेटे में आ गए तो उनकी जिंदगी निश्चित तौर पर नर्क बन जाएगी.
तो कहा जा सकता है कि केजरीवाल नहीं चाहते थे कि उनका जीवन सिर्फ इसलिए बर्बाद हो क्योंकि वो कोर्ट कचहरी के चक्कर में फंसे हैं. शायद ये कहना अतिश्योक्ति न होगा कि केजरीवाल ने वही करने का प्रयास किया जो एक समझदार आदमी करता है. उन्होंने बिक्रम सिंह मजीठिया से माफ़ी मांग ली और वो भी लिखित में है.
कह सकते हैं कि केजरीवाल खुद अपने ही जाल में फंसते चले जा रहे हैं
मजीठिया को कैसे केजरीवाल ने कहा है "आई एम सॉरी"
केजरीवाल ने मजीठिया को लिखे अपने माफीनामें में लिखा है कि , मैंने जनसभाओं, प्रिंट व इलेक्ट्रॉनिक मीडिया और सोशल मीडिया पर जो आरोप लगाए थे उसको लेकर आपने मुझ पर अमृतसर की अदालत में मानहानि का मुकदमा दायर किया है. मैं आप पर लगाए गए सभी आरोपों को वापस लेता हूं. मेरे आरोपों के कारण आपके परिवार, दोस्तों और समर्थकों की भावनाओं को जो ठेस पहुंची है उसके लिए मैं माफ़ी मांगता हूं.
बिक्रम सिंह मजीठिया ने भी दिखाया अपने को "बड़े दिल" वाला
अब इसे राजनीति की अपनी मजबूरियां कहें या कुछ और बिक्रम सिंह मजीठिया, दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को माफ कर चुके हैं. मजीठिया ने अपने ऑफिशियल ट्विटर अकाउंट से ट्वीट कर लिखा है कि, 'मुख्यमंत्री @अरविंद केजरीवाल ने मुझसे उन सभी निराधार और झूठे आरोपों के लिए कोर्ट में माफी मांगी है जो उन्होंने और उनकी पार्टी ने मुझपर ड्रग को लेकर लगाए थे. इन आरोपों के कारण मेरी मां को काफी तकलीफ पहुंची थी और यह माफी उनका वाहेगुरु के न्याय में अटूट विश्वास का प्रमाण है.
केजरीवाल इस लिए भी माफ़ी मांग रहे हैं क्योंकि वो जानते हैं कि कोर्ट में काम धाम कैसा होता है
जिन पर कभी आरोप लगाए थे अब उनसे माफ़ी की खुशामद कर रहे हैं केजरीवाल
न सिर्फ मजीठिया, बल्कि वो तमाम लोग. जिनपर कभी केजरीवाल ने एक से एक अनोखे आरोप लगाए थे उनसे अब केजरीवाल माफ़ी मांग मामला खत्म करने के प्रयत्नशील दिख रहे हैं. इस सिलसिले को आगे बढ़ाते हुए मुख्यमंत्री केजरीवाल लगातार लोगों से मिल रहे हैं, उनसे बात कर रहे हैं और उनसे अपनी भूल को माफ करने को कह रहे हैं. यहां ये बताना दिलचस्प है कि पूर्व में, वित्त मंत्री अरुण जेटली, नितिन गडकरी, कपिल सिब्बल के बेटे अमित सिब्बल, शीला दीक्षित के निजी सचिव रहे पवन खेड़ा, डीडीसीए के चेतन चौहान, और बीजेपी सांसद रमेश विधूड़ी ने भी अपने ऊपर लगे बेबुनियाद आरोपों से आहत होकर केजरीवाल पर मानहानि का मुकदमा किया था.
केजरीवाल से नाराज हो गए हैं "आप" के अपने भगवंत मान
इस बीच खबर ये भी है कि मुख्यमंत्री केजरीवाल की इस माफ़ी से अगर कोई सबसे ज्यादा दुखी हुआ है तो वो हैं भगवंत मान. बताया जा रहा है कि भगवंत मान केजरीवाल की इस हरकत से इतना आहत हो गए हैं कि उन्होंने ये कहते हुए अपना पद छोड़ दिया है कि नशे के खिलाफ उनकी लड़ाई बदस्तूर जारी रहेगी.
अंत में हम ये कहते हुए अपनी बात खत्म करेंगे कि, केजरीवाल इस बात से परिचित हैं कि किसी भी व्यक्ति पर लगाए गए उनके एक भी आरोप सिद्ध नहीं हो रहे और फर्जी फजीहत से बचने का एकमात्र तरीका माफ़ी ही है. अतः उन्होंने आजकल माफ़ी मांग कर अपनी खुली फाइलें बंद करना शुरू कर दिया है. कहीं न कहीं केजरीवाल इस बात को मानते हैं कि अगर वक़्त रहते उन्होंने अपने आप को नहीं बदला तो अदालत और तारीखें उनका जीवन और राजनीतिक भविष्य दोनों बुरी तरह प्रभावित कर देंगी.
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