केजरीवाल के सिंगापुर प्लान का हाल भी ममता के रोम दौरे जैसा ही होना है!
दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल (Delhi CM Arvind Kejriwal) के सिंगापुर दौरे (Singapore Visit) की फाइल को उपराज्यपाल विनय कुमार सक्सेना ने ये कहते हुए वापस किया है कि मेयर स्तर के कार्यक्रम में मुख्यमंत्री का क्या काम है? जिसके बाद अरविंद केजरीवाल अड़ गए हैं कि वे सिंगापुर जरूर जाएंगे. लेकिन, बिना अनुमति मिले ऐसा कर पाना संभव नही है.
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दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के सिंगापुर दौरे की फाइल उपराज्यपाल विनय कुमार सक्सेना ने 'मेयर स्तर' का कार्यक्रम बताकर वापस कर दी है. जिसके बाद आम आदमी पार्टी के मुखिया अरविंद केजरीवाल ने उपराज्यपाल को जबाव दिया है कि 'मैं सिंगापुर जरूर जाऊंगा. और, इसके लिए केंद्र सरकार से हल निकालने को कहें.' बताया जा रहा है कि अरविंद केजरीवाल अब पॉलिटिकल क्लीयरेंस के लिए सीधे विदेश मंत्रालय में आवेदन करेंगे. आसान शब्दों में कहा जाए, तो अरविंद केजरीवाल के सिंगापुर प्लान को लेकर तकरार एक दर्जा और ऊपर चली गई है. उपराज्यपाल वीके सक्सेना का कहना है कि 'मेयर स्तर के कार्यक्रम में मुख्यमंत्री को नहीं जाना चाहिए.' वैसे, अरविंद केजरीवाल के सिंगापुर दौरे में आ रही अड़चनों को देखकर कहा जा सकता है कि केजरीवाल के सिंगापुर प्लान का हाल भी ममता बनर्जी के रोम दौरे जैसा ही होना है!
अरविंद केजरीवाल ने विदेश मंत्रालय में आवेदन किया है. लेकिन, मंजूरी मिलना मुश्किल ही है.
ममता बनर्जी के रोम दौरे पर भी 'स्तर' की बात आई थी
जिस तरह से अरविंद केजरीवाल के सिंगापुर दौरे को लेकर उपराज्यपाल ने आपत्ति जताते हुए कहा है कि मेयर के स्तर के कार्यक्रम में दिल्ली के मुख्यमंत्री का शामिल होना सही नहीं होगा. ठीक वैसी ही आपत्ति पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के रोम दौरे पर भी लगाई गई थी. और, ममता बनर्जी रोम में आयोजित होने वाली वर्ल्ड पीस कॉन्फ्रेंस का हिस्सा नहीं बन पाई थीं. हालांकि, मंजूरी न मिलने पर ममता बनर्जी ने भाजपा और पीएम मोदी पर खूब निशाना साधा था. लेकिन, ये तमाम कोशिशें भी ममता बनर्जी को रोम दौरे की मंजूरी दिलाने के लिए काफी नहीं थीं.
विदेश मंत्रालय से भी नहीं मिली थी इजाजत
अरविंद केजरीवाल ने अपने सिंगापुर दौरे को लेकर विदेश मंत्रालय से क्लीयरेंस लेने के लिए आवेदन करने की बात कही है. लेकिन, माना जा रहा है कि अरविंद केजरीवाल को विदेश मंत्रालय से भी किसी तरह की राहत की उम्मीद नहीं करनी चाहिए. क्योंकि, ममता बनर्जी के रोम दौरे को रद्द करने से पहले दीदी की चीन यात्रा को भी रद्द कर दिया गया था. आसान शब्दों में कहा जाए, तो विदेश मंत्रालय ने ममता बनर्जी के पॉलिटिकल क्लीयरेंस को अंतरराष्ट्रीय संबंधों और भारत के हितों का हवाला देते खारिज कर दिया था. जिसे ममता बनर्जी को स्वीकार करना पड़ा था. माना जा रहा है कि अरविंद केजरीवाल का सिंगापुर प्लान भी लटक ही जाएगा. क्योंकि, सूत्रों के हवाले से कहा जा रहा है कि केजरीवाल के आवेदन में 'सक्षम प्राधिकारी' के अनुमोदन की कमी है. जिसके चलते विदेश मंत्रालय दौरे को मंजूरी नहीं दे सकता है.
क्या पीएम मोदी से टकराव दौरे पर रोक की वजह है?
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ ममता बनर्जी और अरविंद केजरीवाल की तकरार कोई नई बात नही है. इन नेताओं के बीच कई बार टकराव शब्दों की सीमा तक को लांघ चुका है. और, ऐसे करने में ममता बनर्जी और अरविंद केजरीवाल ही आगे रहे हैं. लेकिन, ममता बनर्जी और अरविंद केजरीवाल के विदेश दौरे को पॉलिटिकल क्लीयरेंस न मिलने की वजह पीएम नरेंद्र मोदी से इन नेताओं की तकरार नही है. दरअसल, अरविंद केजरीवाल ने उपराज्यपाल को दिए जवाब में संविधान की तीन अनुसूचियों का जिक्र किया है. और, कहा है कि अगर संविधान की तीन अनुसूचियों में बंधे रहेंगे, तो पीएम भी विदेश यात्राएं नहीं कर पाएंगे. सवाल उठना लाजिमी है कि आखिर ये तीन अनुसूचियां क्या हैं?
तो, इनके बारे में आसान शब्दों में बता देते हैं कि संघ और राज्य में टकराव की स्थिति से बचने के लिए संविधान में शक्तियों का अलग-अलग वितरण किया गया है. इसे संघ, राज्य और समवर्ती सूची में बांटा गया है. संघ सूची में शामिल विषयों पर केवल केंद्र सरकार के पास ही शक्तियां हैं. वहीं, राज्य सूची में शामिल विषयों पर केवल राज्य सरकार के पास कानून बनाने की शक्तिया हैं. हालांकि, समवर्ती सूची के विषयों पर केंद्र और राज्य सरकार दोनों ही कानून बना सकते हैं. लेकिन, दिल्ली एक केंद्र शासित राज्य है. तो, उसकी शक्तियां मुख्यमंत्री से ज्यादा उपराज्यपाल के पास हैं. इतना ही नहीं, इसी साल केंद्र सरकार ने जीएनसीटीडी बिल में संशोधन कर दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल की शक्तियों को और कम कर दिया था.
बीते कुछ सालों में केंद्र और राज्य सरकारों के बीच खींचतान काफी बढ़ गई है. लेकिन, संवैधानिक तौर पर इसे गलत भी नहीं ठहराया जा सकता. क्योंकि, विदेशी मामले पूरी तरह से केंद्र सरकार के हिस्से में आने वाली संघ सूची का विषय है. और, अगर दिल्ली के उपराज्यपाल वीके सक्सेना की ओर से अरविंद केजरीवाल को हरी झंडी नही मिलती है. तो, उनके सिंगापुर प्लान का हाल भी ममता बनर्जी के रोम दौरे की तरह ही हो जाएगा.
वैसे, हाल ही में पीएम नरेंद्र मोदी ने बुंदेलखंड एक्सप्रेसवे के उद्घाटन के मौके पर अरविंद केजरीवाल पर परोक्ष रूप से निशाना साधते हुए कहा था कि 'रेवड़ी कल्चर वालों को लगता है कि जनता-जनार्दन को मुफ्त की रेवड़ी बांटकर उन्हें खरीद लेंगे. हमें उनकी इस सोच को हराना है.' जिसके बाद अरविंद केजरीवाल ने पीएम मोदी के बयान के जवाब में कहा था कि 'हमनें जनता में जो फ्री की रेवड़ी बांटी है. वो भगवान का प्रसाद है. जनता को रेवड़ी बांटने से श्रीलंका जैसे हालात नहीं बनते हैं. दोस्तों को रेवड़ियां बांटने से बनते हैं.'
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