भारत-पाक की कुंडली में ‘69 का योग’ ! जानिए इसका मतलब...
पड़ोसी देशों के बीच 69 का योग आम तौर पर तब दिखाई देता है जब वह विपरीत दिशा में एक दूसरे की तरफ बढ़ रहे होते हैं.
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भारत और पाकिस्तान को देश (आजाद मुल्क) बने अभी कुल जमा 69 साल हुए हैं. दुनिया में दो-तीन सौ साल पुराने-पुराने देश हैं. देश मतलब समझे- क्या हैं आपके अधिकार? पाकिस्तान तो वो पूर्ण अधिकार वाली सेना है जो धरम-करम के नाम पर अलग खड़ा हो गया है. इंडिया दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र बन गया. अब जनसंख्या इतनी है कि इस तमगे से तो कोई रोक ही नहीं पाया. और अधिकार? बस, धीरे से मुस्कुरा दीजिए, इज्जत बनी रहेगी.
अधिकार के लिए गला फाड़ के चिल्लाया तो रेते भले न जाओ, जेल तो जाना तय है. कहीं गलती से अधिकार जता दिया तो कक्षा 11 के उस स्कूली लड़के की तरह पिटोगे जो मुजफ्फरपुर के सीनीयर सेंक्रेड्री स्कूल का वीडियो दिखा रहा है. वहीं पाकिस्तान में अधिकार की बात तो करो ही नहीं. जिन्होंने पाकिस्तान बनाया वह आज भी वहां अधिकारविहीन हैं.
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ऐसी स्थिति में दोनों जुड़वा देशों की कुंडली मिलाने पर भी कुछ अच्छा नहीं दिखाई दे रहा है. एक प्रकांड ज्योतिष के मुताबिक, दोनों देशों के बीच बेहद खतरनाक योग चल रहा है. ऐसा योग प्राय: मोहल्ले में लड़ाई करने वाले उन दो लोगों के बीच दिखाई देता है जहां मार-पिटाई की पूरी संभावना रहती है. इस योग को 69 का योग कहा जाता है.
लोकतंत्र की शक्ति ही प्रदर्शन और प्रदर्शनी में है! |
पड़ोसी देशों के बीच 69 का योग आम तौर पर तब दिखाई देता है जब वह विपरीत दिशा में एक दूसरे की तरफ बढ़ रहे होते हैं. यानी टकराव की स्थिति की ओर. हालांकि दोनों किसी लड़ते हुए जानवर की तरह मुंह और दांत लड़ाने की पोश्चरिंग करते हैं लेकिन मौका मिलते ही दुम के नीचे वार कर दुश्मन को असहाय करने की कोशिश में रहते हैं. अब बना न 69 का योग.
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69 के योग का ही असर है कि जहां कभी पाकिस्तान अपने अधिकारों के लिए अमेरिका में लगी स्टैच्य़ू ऑफ लिबर्टी से दुआ करने में नहीं कतराता था, वह आज चीन और रूस के साथ कामरेड वाला लाल-सलाम लाल सलाम खेलने के लिए तैयार है. इसी 60 के असर से ही प्रधानमंत्री मोदी की सीधी मुलाकात चीन के राष्ट्रपति शी जिंनपिंग और रूस के राष्ट्रपति ब्लादिमीर पूतिन से संभव हुई है (गोवा के समुद्री रेसॉर्ट में).
इन्हें किस धर्म की रक्षा करनी है? |
गौरतलब है, कि दोनों देशों को महज 69 साल हुए हैं. लड़ इसलिए रहे हैं कि बीते इतने सालों से अलग-अलग रहना इनकों आया नहीं. आजादी से पहले जब ये गुलाम थे तो गाहे-बगाहे 69 के योग का साया पड़ता रहता था. उसे झेल लेते थे. लेकिन जबसे इन्होंने उम्मीद लगाई कि अंग्रेजों के लोकतंत्र का सहारा लेकर और वैसी-वैसी अदालत, संसद, असेंब्ली बनाकर ये भी अधिकारों का वितरण कर देंगे, मुसीबतें है कि खत्म होने का नाम ही नहीं लेती.
प्रकांड ज्योत्षियों का मानना है कि दोनों देशों के बीच 69 का योग समाप्त करने के लिए जल्द से जल्द हवन आयोजित किया जाना चाहिए. क्या आप इस सलाह को मानकर हवन करेंगे? कुछ नहीं तो गाना ही सुन लीजिए, हवन करेंगे, हवन करेंगे!
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