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Updated: 13 अक्टूबर, 2016 07:19 PM
आर.के.सिन्हा
आर.के.सिन्हा
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पाठकों को यह तो पता होगा ही कि पहले पाकिस्तानी गायक अदनान सामी भारत की नागरिकता ले चुके हैं. सामी और अपने ही देश के कुछ नामवर फिल्मी हस्तियों के बीच के अंतर को समझने की जरूरत है. भारतीय सेना के आजाद कश्मीर में घुसकर आतंकियों का नाश करने वाले ‘’सर्जिकल स्ट्राइक’’ का अदनान सामी स्वागत करते हैं. वहीं, भारतीय सेना के एक्शन की अपने ही देश की कुछ कथित नामवर हस्तियां मीन-मेख निकाल रही हैं. ये अपनी ग़ैर-ज़िम्मेदाराना बयानबाज़ियों से सेना की शहादत का अपमान कर रही हैं. अदनान सामी का कहना है कि आतंकवाद की कोई सीमा नहीं होती. उनके इस बाबत किए ट्वीट की पाकिस्तान में खासी निंदा हुई. उन्होंने कहा कि, उनकी प्रतिक्रिया साफ तौर पर दर्शाती है कि पाकिस्तानी आतंकवादियों और पाकिस्तान’ के बीच के फर्क को नहीं समझते.

अदनान साहब ने कहा, “हमें यह देखना चाहिए कि स्ट्राइक क्यों हुई और किसके खिलाफ हुई? यह किसी भूमि पर कब्जा करने के उद्देश्य से की गई ‘’स्ट्राइक’’ नहीं थी, बल्कि एक अनुचित हमले का सही जवाब था. स्ट्राइक आतंकवादी शिविरों को निशाना बनाकर की गई थी.” उन्होंने कहा, “आतंकवाद की कोई सीमा नहीं होती. आतंकवादी मुंबई, पेशावर और पेरिस सभी को निशाना बनाते हैं.”

अब जरा सुन लें कि अभिनेता ओम पुरी ने क्या कहा. एक टीवी चैनल के साथ इंटरव्यू के दौरान ओम पुरी ने भारतीय सेना की शहादत का मजाक उड़ाया. एंकर ने जब ओम पुरी से पाकिस्तानी कलाकारों के भारत में काम करने को लेकर सवाल किया तो ओम पुरी अपना आपा खो बैठे और उन्होंने पाकिस्तानी एक्टरों का पक्ष लेते हुए कहा “क्या देश में 15-20 लोग भी ऐसे हैं, जिन्हें बम बांधकर पाक भेजा जा सके? कौन जबरदस्ती लोगों को फौज में भेजता है. किसने उनसे कहा कि वे फौज में जाएं?”

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ओम पुरी के बयान का सिलसिला यहीं नहीं रुका. उन्होंने कहा कि भारत और पाकिस्तान को इजरायल और फिलिस्तीन न बनाएं. जाहिर है, जहां अदनान सामी जैसा शख्स पाकिस्तान की हरकतों को कोस रहा है, वहीं ओमपुरी अपने जवानों की शहादत का मजाक बना रहे हैं.

सीखें नाना पाटेकर से

ओम पुरी जैसे गैर-जिम्मेदार इंसान को नाना पाटेकर से भी कुछ सीखना चाहिए. नाना पाटेकर ने भारतीय सेना की तारीफ करते हुए कहा कि, “पहले मेरा देश. देश के अलावा मैं किसी को नहीं जानता. न जानना चाहता हूं. कलाकार देश के सामने खटमल की तरह हैं.” नाना ने यह बयान सलमान खान के बयान के ऊपर अपनी प्रतिक्रिया में दिया था, जिसमें उन्होंने बॉलीवुड में पाकिस्तानी कलाकारों के काम करने पर बैन लगाने की मांग भी की थी.

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 दोनों ने एक-एक सवाल उठाया और फर्क जवाब नहीं सवालों से पता चला!

आगे बढ़ने से पहले

बता दें कि अदनान सामी के पिता फ्लाइट लेफ्टिनेंट अरशद सामी खान पाकिस्तान एयरफोर्स में थे. वे 1965 तथा 1971 के युद्धों में पाकिस्तान एयरफोर्स की तरफ से भारतीय फ़ौज से लड़े भी थे. फ्लाइट लेफ्टिनेंट अरशद सामी खान एयरफोर्स से रिटायर होने के बाद भी पाकिस्तान के सार्वजनिक जीवन में सक्रिय रहे. वे डेनमार्क और नार्वे में पाकिस्तान के राजदूत भी रहे. वे पाकिस्तान के राष्ट्रपतियों क्रमश: गुलाम इसहाक खान, फारूख लगहरी और प्रधानमंत्रियों बेनजीर भुट्टो, गुलाम मुस्तफा जोतोई और नवाज शरीफ के निजी स्टाफ में भी रहे. यानी कि उनका पाकिस्तान में एक अहम रुतबा था. उस शख्स का पुत्र है अदनान सामी. वह अब भारतीय बनकर गौरवान्वित है. भरत की नागरिकता ले चुका है. कोई बात तो जरूर ही होगी तब ही तो उसने भारतीय नागरिकता ली. उसने भारतीय सेना के आजाद कश्मीर में घुसकर आतंकियों का नाश करने की कार्रवाई को ठीक बताया.

और जरा देखिए कि अपने कुछ एहसान फरामोश भारतीय कलाकार ही  सेना के जवानों को अपमान कर रहे हैं.

ये वही अदनान हैं जिन्होंने  “तेरी ऊंची शान है मौला”... और “भीगी-भीगी रातों में”जैसे मशहूर गीत गाए हैं. अदनान सामी करीब डेढ़ दशक से भी ज्यादा वक्त से भारत में रह रहे हैं. यहां पर गीत-संगीत की दुनिया में अपने लिए एक ऊँचा मुकाम बना भी चुके है. मतलब यह कि अदनान सामी अब हमारे हैं.

कुल मिलाकर ये अफसोसजनक है कि उरी की घटना के बाद कि पाकिस्तानी कलाकारों के भारत में काम करने या न करने के सवाल पर हमारा बॉलीवुड बंट गया. हालांकि फिल्म निर्माताओं के संगठन इम्पा ने पाकिस्तानी कलाकारों के बॉलीवुड में काम करने पर रोक लगा दी. पाकिस्तानी कलाकारों पर इस बैन से कोई फर्क पड़े न पड़े लेकिन बॉलीवुड इनकी वजह से बंटता नजर आया. सलमान खान समेत बॉलीवुड के कई कलाकार पाकिस्तानी कलाकारों के बॉलीवुड में काम करने का समर्थन कर रहे, वहीं कुछ कलाकारों की नजर में पाक कलाकारों पर लगा बैन बिलकुल वाजिब है. बेहतर होता कि इस मसले पर सारा बॉलीवुड एक साथ खड़ा होता. आखिर  बॉलीवुड में काम करने वाले पाकिस्तानी एक्टर पाकिस्तान में चलने वाली आतंकवाद की फैक्ट्री के खिलाफ क्यों चुप रहे? आतंकवाद के खिलाफ दो शब्द बोलने में उन्हें इतना कष्ट क्यों हुआ?

मैं समझता हूं कि अनुपम खेर ने सही कहा कि “हमने हमेशा से पाकिस्तानी कलाकारों को अपनी अच्छाई और मित्रता दिखाई है. पाकिस्तान के कई लोग बहुत अच्छे हैं,लेकिन जब बात मेरे देश और मेरे देश के जवानों की हो तो मैं कूटनीतिज्ञों की भांति मीठे-मीठे गोल-गोल बातें तो नहीं कर सकता. मेरा रुझान तो स्पष्ट रूप से मेरे देश की तरफ ही है.”

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अनुपम खेर से मिली-जुलती प्रतिक्रिया नाना पाटेकर की भी रही. नाना पाटेकर ने कहा कि 'पाकिस्तानी कलाकार बाद में, पहले मेरा देश. देश के अलावा मैं किसी को नहीं जानता और ना जानना चाहूंगा. जवानों से बड़ा हीरो कोई नहीं हो सकता. हम एक्टर तो बहुत मामूली लोग हैं. हमारे असल हीरो हमारे जवान ही हैं.'

अफसोस है कि बॉलीवुड में लंबे समय से कुछेक संदिग्ध चरित्र वाले कलाकार भी  रहे हैं. इन छुपे रुस्तमों में से अनेको के मुंबई बम धमाकों के गुनाहगार दाऊद इब्राहीम से घनिष्ठ संबंध भी रहे हैं. ये दाऊद की पार्टियों में बिरयानी उड़ाते थे और बेशर्मी से कुछ चांदी के सिक्कों के लिए ठुमके भी लगाते थे.

दाऊद पाकिस्तान में है और यह सर्वविदित है कि उसका सिक्का अब भी मुम्बई में चलता है. फिल्मजगत का एक गुट उसी के बल पर फिल्मउद्योग में पांव जमाये है. दाऊद का अपना समधी और कभी पाकिस्तान क्रिकेट टीम का कप्तान जावेद मियांदाद तो खुलकर भारत के खिलाफ जहर उगल रहा है. कभी-कभी लगता है कि बॉलीवुड के बहुत से कलाकार इसलिए पाकिस्तान के विरुद्ध बोलने की हिम्मत नहीं जुटाते कि इससे कहीं दाऊद खफा न हो जाए. यही कारण समझ आता है कुछ फ़िल्मी कलाकारों के पाकिस्तान परस्त होने का.

इन विवादों के बीच इस सदी के महानायक अमिताभ बच्चन ने 11 अक्टूबर को अपने 74वें जन्मदिन पर यह कहकर विवादों पर पूर्ण विराम लगाने की कोशिश की है कि “यह वक्त सैनिकों के साथ खड़े रहने का और उनके साथ एकजुटता प्रदर्शित करने का है. हमारे देश की सीमाओं पर जो घटनाएँ हो रही हैं उससे देश में भारी आक्रोश है और जनता बेहद नाराज है. यह सचमुच उन सैनिकों के साथ खड़े होने का है जो सीमाओं की रक्षा और आतंकवादियों की चाल को असफल करने में अपने जीवन की क़ुरबानी दे रहे हैं.    

खैर, भारतीय सेना के “सर्जिकल स्ट्राइक” के सवाल पर सारा देश एक साथ खड़ा है. सिरफिरे ओम पुरी से लेकर सर्जिकल अटैक के सुबूत मांगने वाले अरविंद केजरीवाल तक को देश वक्त आने पर जरूर सही सबक सीखायेगा.

लेखक

आर.के.सिन्हा आर.के.सिन्हा @rksinha.official

लेखक वरिष्ठ संपादक, स्तभकार और पूर्व सांसद हैं.

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