...तो कांग्रेस के भीतर जम्मू-कश्मीर में धारा 370 दोबारा लागू कराने वाला धड़ा मौजूद है!
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता दिग्विजय सिंह का एक क्लब हाउस चैट सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है. जिसमें दिग्विजय सिंह कह रहे हैं कि अगर कांग्रेस सत्ता में आती है तो जम्मू-कश्मीर में आर्टिकल 370 को फिर से बहाल करने पर विचार करेंगे. भाजपा के आईटी सेल के चीफ अमित मालवीय ने इस क्लब हाउस चैट को जारी किया है.
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जम्मू-कश्मीर से आर्टिकल 370 को हटाए जाने के बाद लगाए गए प्रतिबंध समाप्त हो चुके हैं. जम्मू-कश्मीर के हालातों में लगातार सुधार हो रहा है. जम्मू-कश्मीर से आर्टिकल 370 (Article 370 in Jammu and Kashmir) हटाए जाने के बाद से ही पाकिस्तान (Pakistan) ने तमाम अंतरराष्ट्रीय मंचों पर भारत को घेरने की कोशिश की थी. लेकिन, UNSC से लेकर G7 तक हर जगह पाकिस्तान को मुंह की खानी पड़ी थी. सभी अंतरराष्ट्रीय मंचों ने इसे भारत का आंतरिक मामला बताकर पाकिस्तान की मांग को खारिज कर दिया था. हाल ही में पाकिस्तानी सेना प्रमुख जनरल कमर बाजवा ने कश्मीर मसले को किनारे रखते हुए भारत के साथ संबंध सुधारने की वकालत की थी. हालांकि, पाकिस्तान में इसका काफी विरोध हुआ था.
इन सबके बीच एक बार फिर से जम्मू-कश्मीर और आर्टिकल 370 चर्चा में आ गया है. दरअसल, कांग्रेस के वरिष्ठ नेता दिग्विजय सिंह का एक क्लब हाउस चैट (Digvijaya Singh club house chat) सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है. जिसमें दिग्विजय सिंह कह रहे हैं कि अगर कांग्रेस सत्ता में आती है तो जम्मू-कश्मीर में आर्टिकल 370 को फिर से बहाल करने पर विचार करेंगे. भाजपा के आईटी सेल के चीफ अमित मालवीय (Amit Malviya) ने इस क्लब हाउस चैट को जारी किया है. अमित मालवीय ने दावा किया है कि इस चैट में एक पाकिस्तानी पत्रकार भी मौजूद था. अमित मालवीय ने इस चैट का को ट्विटर पर शेयर करते हुए लिखा कि क्लब हाउस चैट में राहुल गांधी के शीर्ष सहयोगी दिग्विजय सिंह एक पाकिस्तानी पत्रकार से कहते हैं कि अगर कांग्रेस सत्ता में आती है, तो वे अनुच्छेद 370 को निरस्त करने के फैसले पर पुनर्विचार करेंगे. वास्तव में? यही तो पाकिस्तान चाहता है.
In a Club House chat, Rahul Gandhi’s top aide Digvijaya Singh tells a Pakistani journalist that if Congress comes to power they will reconsider the decision of abrogating Article 370…Really? यही तो पाकिस्तान चाहता है… pic.twitter.com/x08yDH8JqF
— Amit Malviya (@amitmalviya) June 12, 2021
जम्मू-कश्मीर हमेशा से ही भारत का अभिन्न अंग रहा है. अंतरराष्ट्रीय संस्थाएं और समितियां इस मामले को भारत का आंतरिक मामला बताती रही हैं. लेकिन, इसके बावजूद कांग्रेस नेताओं की ओर से जम्मू-कश्मीर को लेकर विवादित बयान दिए जाते रहे हैं. भारत के सबसे पुराने राजनीतिक दल ने जम्मू-कश्मीर के मुद्दे को हमेशा से ही वोटबैंक पॉलिटिक्स के रूप में इस्तेमाल करने की कोशिश करती रही है. इस प्रयास में कांग्रेस ये भी नहीं सोचती है कि वह इस तरह की बयानबाजी से पाकिस्तान के करीब खड़ी हो जाती है. इस स्थिति में सवाल उठना लाजिमी है कि क्या कांग्रेस के भीतर जम्मू-कश्मीर में धारा 370 दोबारा लागू कराने वाला धड़ा मौजूद है? क्या अपने बयानों से कांग्रेस को पाकिस्तान के साथ खड़ा होने में कोई ऐतराज नही है?
विवाद पर दिग्विजय सिंह की सफाई
क्लब हाउस चैट लीक होने पर भाजपा के निशाने पर आए दिग्विजय सिंह ने इस बातचीत को शब्दों के हेर-फेर के जरिये उलझाने का आरोप लगाया. दिग्विजय ने ट्वीट करते हुए लिखा कि अनपढ़ लोगों की जमात को Shall और Consider में फर्क शायद समझ में नहीं आता. दिग्विजय सिंह के इस ट्वीट से एक बात तो तय हो जाती है कि उन्होंने इस ऑडियो क्लिप की सत्यता पर मुहर लगा दी है. उनका ऐतराज सिर्फ इस बात पर है कि उनके बयान में shall और consider शब्दों के बीच फर्क को समझा नहीं जा रहा है. उनकी सफाई से ये स्पष्ट है कि एक तरह से वे कहना चाह रहे थे कि यदि कांग्रेस सत्ता में आई, तो धारा 370 दोबारा लागू करने पर विचार किया जाएगा. उन्होंने ये नहीं कहा कि ऐसा करेंगे ही. हालांकि, दिग्विजय सिंह ये बताना भूल गए कि उन्हें एक पाकिस्तानी पत्रकार के साथ भारत के आंतरिक मामलों पर चर्चा करने की जरूरत क्यों पड़ गई? वह शायद ये भूल गए कि इस तरह ही बयानबाजी को ही आधार बनाकर पाकिस्तान हमेशा से भारत के खिलाफ साजिशें रचता रहा है.
अनपढ़ लोगों की जमात को Shall और Consider में फ़र्क़ शायद समझ में नहीं आता।
— digvijaya singh (@digvijaya_28) June 12, 2021
जम्मू-कश्मीर से आर्टिकल 370 हटाए जाने के बाद पाकिस्तान ने यूनाइटेड नेशंस (united nations) को लिखे एक पत्र में कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी (rahul gandhi) के हवाले से कश्मीर में हिंसा और मानवाधिकार उल्लंघन के आरोप लगाए थे. दरअसल, राहुल गांधी ने एक बयान में कहा था कि कश्मीर को लेकर जो जानकारी मिल रही है, उसके हिसाब से वहां गलत हो रहा है और लोग मारे जा रहे हैं. राहुल गांधी आमतौर पर अपने बयानों की वजह से पाकिस्तान के पोस्टर ब्वॉय बनते रहे हैं. इस लिस्ट में कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पी चिदंबरम भी शामिल हैं. पी चिदंबरम ने जम्मू-कश्मीर के विशेष दर्जे की बहाली के लिए राज्य के राजनीतिक दलों के गठबंधन बनाने को स्वागतयोग्य कदम बताया था. कांग्रेस नेता मणिशंकर अय्यर तो मोदी सरकार को हटाने के लिए पाकिस्तान से मदद करने तक की मांग कर चुके हैं.
Reports of unrest are emanating from J&K where the Govt. has imposed a media & communications black out.I urge the Govt. to take urgent steps to ensure the safety of every citizen in J&K and to lift the veil of secrecy. pic.twitter.com/hZCHyhSXkW
— Rahul Gandhi (@RahulGandhi) August 10, 2019
2019 का चुनावी घोषणा पत्र
कांग्रेस ने 2019 के लोकसभा चुनाव में भी सत्ता में वापसी के लिए जम्मू-कश्मीर और अल्पसंख्यक कार्ड खेला था. कांग्रेस ने अपने घोषणा पत्र में सरकार बनने पर जम्मू-कश्मीर से धारा 370 नहीं हटाने की बात कही थी. इसके साथ ही कांग्रेस ने राज्य में लागू AFSPA एक्ट में संसोधन कर सेना के अधिकारों को कम करने की बात कही थी. दरअसल, जम्मू-कश्मीर की बात कर बहुत आसानी से मुस्लिम वोटों को अपने पक्ष में किया जा सकता है. कांग्रेस हमेशा से ही इस तरह की राजनीति में माहिर रही है. कांग्रेस इस तरह के विवादों को बनाए रखते हुए लंबे समय तक सत्ता में रही है, जिसकी वजह से पार्टी में एक आम धारणा बन चुकी है कि विवादों को जितना खींचा जाएगा, सत्ता उतने समय तक ही कायम रहेगी. इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि यूपीए सरकार के दौरान जम्मू-कश्मीर में अलगाववादी नेताओं को सुरक्षा कवर दिया जाता रहा है. देश को तोड़ने की बात करने वाले नेताओं को सरकार की ओर से सुरक्षा देना कांग्रेस की किस राजनीति का हिस्सा रहा है, ये आजतक नहीं बताया गया. कांग्रेस जानती है कि खुद को मुस्लिमों का हितैषी दिखाने के लिए कांग्रेस जम्मू-कश्मीर में धारा 370 की बहाली की बात करने से नहीं चूकती है.
कांग्रेस को सहन नही हो रही सत्ता से दूरी
मोदी सरकार का दूसरा कार्यकाल शुरू होने के बाद दो साल बीत चुके हैं, लेकिन अभी तक कांग्रेस के हाथ एक भी ऐसा मुद्दा नहीं लगा है, जिसके सहारे वह सत्ता में वापसी के ख्वाब देख सके. वहीं, देश के राज्यों में भी कांग्रेस लगातार सिकुड़ती जा रही है. पंजाब और राजस्थान में कांग्रेस अंदरूनी बगावत से जूझ रही है. कमोबेश अन्य राज्यों में भी आपसी खींचतान का यही हाल है. सिंधिया और जितिन प्रसाद जैसे राहुल गांधी के करीबी नेता पार्टी छोड़ भाजपा का दामन थाम चुके हैं. असम में पूर्व कांग्रेसी नेता हिमंता बिस्व सरमा भाजपा में शामिल होकर सीएम पद तक पहुंच गए हैं. दरअसल, कांग्रेस को सत्ता से दूरी अब सहन नहीं हो रही है. मोदी सरकार को सत्ता से बेदखल करने की चाहत में कांग्रेस पाकिस्तान के हितों को साधने वाले बयान देने से भी कोताही नहीं कर रही है. ऐसे बयानों के जरिये ही पाकिस्तान दुनियाभर में भारत की छवि को धूमिल करने का भरपूर प्रयास करता है. कांग्रेस की ओर से आमतौर पर ऐसे बयान सामने आते रहते हैं, जिनका इस्तेमाल पाकिस्तान भारत के खिलाफ हथियार के तौर पर करता है. कहना गलत नहीं होगा कि कांग्रेस में हमेशा से ही एक बड़ा धड़ा रहा है, जो आर्टिकल 370 को दोबारा बहाल करने के पक्ष में है.
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