Rafale deal में 'दलाली' का नया खुलासा, मोदी सरकार की नई मुसीबत!
मीडियापार्ट के अनुसार, फ्रांसीसी कंपनी दसॉ एविएशन ने 2016 में राफेल सौदे के ठीक बाद भारत के एक बिचौलिये को एक मिलियन यूरो देने को तैयार हुई थी. इस रकम को राफेल विमान के 50 रेप्लिका मॉडल बनाने के नाम पर दिया गया था. एक रेप्लिका मॉडल के लिए 20,357 यूरो के हिसाब से कुल रकम करीब 1.1 मिलियन यूरो होती है.
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भारत और फ्रांस के बीच हुआ राफेल लड़ाकू विमान सौदा मोदी सरकार के लिए एक बड़ा सिरदर्द बन चुका है. फ्रांस की एंटी करप्शन एजेंसी AFA द्वारा दसॉ एविएशन कंपनी के खातों के ऑडिट रिपोर्ट के आधार पर 'मीडियापार्ट' पब्लिकेशन ने राफेल सौदे में 'दलाली' को लेकर बड़ा खुलासा किया है. मीडियापार्ट की रिपोर्ट में दावा किया गया है कि भारत-फ्रांस के बीच हुई राफेल डील में दसॉ कंपनी ने भारत में एक बिचौलिये को एक मिलियन यूरो की रकम 'गिफ्ट' के तौर पर दी थी. रिपोर्ट के अनुसार, 50 रेप्लिका मॉडल्स (Replica models) बनाने के लिए दी गई यह रकम एक भारतीय रक्षा कंपनी को दी गई थी. यह कंपनी पहले से ही भ्रष्टाचार के आरोपों में घिरी हुई है. राफेल डील में हुई 'दलाली' को लेकर इस रिपोर्ट में किए गए खुलासे से एक बार फिर से मोदी सरकार मुसीबत में फंसती नजर आ रही है. आइए जानते हैं इस रिपोर्ट में क्या दावा किया गया है और ये दावे मोदी सरकार के लिए क्या मुसीबत पैदा कर सकते हैं?
2018 में फ्रांस की Parquet National Financier (PNF) नाम की एक एजेंसी ने राफेल डील पर सवाल उठाए थे. जिसके बाद एंटी करप्शन एजेंसी AFA द्वारा दसॉ एविएशन कंपनी के खातों का ऑडिट किया था. इस ऑडिट रिपोर्ट के आधार पर फ्रांस के ही 'मीडियापार्ट' पब्लिकेशन ने दावा किया है कि राफेल डील में काफी गड़बड़ियां हुई हैं. इंडिया टुडे से बातचीत में इस रिपोर्ट को लिखने वाले यान फिलिपन ने कहा है कि राफेल डील पर जारी की गई यह रिपोर्ट तीन हिस्सों की रिपोर्ट का केवल पहला हिस्सा है. सबसे बड़ा खुलासा तीसरी रिपोर्ट में होगा. इस स्थिति में कहा जा सकता है कि मोदी सरकार के लिए आने वाला समय बहुत मुश्किलों भर हो सकता है.
भारतीय कंपनी को रेप्लिका मॉडल बनाने का ऑर्डर क्यों दिया?
मीडियापार्ट के अनुसार, फ्रांसीसी कंपनी दसॉ एविएशन ने 2016 में राफेल सौदे के ठीक बाद भारत के एक बिचौलिये को एक मिलियन यूरो देने को तैयार हुई थी. इस रकम को राफेल विमान के 50 रेप्लिका मॉडल बनाने के नाम पर दिया गया था. एक रेप्लिका मॉडल के लिए 20,357 यूरो के हिसाब से कुल रकम करीब 1.1 मिलियन यूरो होती है. इसमें से 5,08,925 यूरो की रकम दसॉ कंपनी ने 'गिफ्ट' के तौर पर दर्शाई थी. इस रिपोर्ट में दावा किया गया है कि ऑडिट के दौरान दसॉ कंपनी से इस बाबत जानकारी ली गई, तो उसने भारतीय कंपनी Defsys Solutions की एक इनवॉयस पेश की थी. रेप्लिका मॉडल बनकर तैयार हुए या नहीं, इसे लेकर दसॉ कंपनी कोई सुबूत पेश नहीं कर सकी. सवाल उठना लाजिमी है कि भारतीय कंपनी Defsys Solutions को रेप्लिका मॉडल बनाने का ऑर्डर क्यों दिया गया? अगर यह ऑर्डर दिया भी गया, तो इसे 'गिफ्ट' के तौर पर क्यों दर्शाया गया?
मीडियापार्ट के अनुसार, ऑडिट रिपोर्ट में रेप्लिका मॉडल के बनाने के खर्च को 'असंगत' कहा गया है.
फ्रांस के राजनेताओं और न्याय व्यवस्था की मिलीभगत
मीडियापार्ट के अनुसार, ऑडिट रिपोर्ट में रेप्लिका मॉडल के बनाने के खर्च को 'असंगत' कहा गया है. यह खर्च किसी भी तरह से अन्य खर्चों से मेल नहीं खा रहा था. मीडियापार्ट ने दावा किया है कि करप्शन एजेंसी ने इस भुगतान के मामले पर अभियोजन अधिकारियों को कोई खास सूचना नहीं दी. एंटी करप्शन एजेंसी के डायरेक्टर चार्ल्स दुसेन (Charles Duchaine) ने भुगतान के मामले पर कोई कानूनी कार्रवाई नहीं करने का फैसला लिया. एयरक्राफ्ट के रेप्लिका मॉडल मामले को ऑडिट रिपोर्ट में दो 'छोटे पैराग्राफ' में दर्शाया गया. मीडियापार्ट के अनुसार, यह सीधे तौर पर फ्रांस के राजनेताओं और न्याय व्यवस्था पर सवाल खड़े करता है.
अगस्ता वेस्टलैंड डील से भी जुड़ रहे हैं तार?
भारतीय कंपनी Defsys Solutions राफेल विमान सौदे में दसॉ कंपनी की सबकॉन्ट्रैक्टर (subcontractor) है. मीडियापार्ट के अनुसार, यह कंपनी लंबे समय से रक्षा उद्योगों के लिए दलाली करने वाले गुप्ता परिवार की है. इसी परिवार का एक सदस्य और अमेरिकी नागरिक सुशेन मोहन गुप्ता अगस्ता वेस्टलैंड हेलीकॉप्टर मनी लॉड्रिंग मामले में आरोपी है. अगस्ता वेस्टलैंड मामले में बिचौलिये सुशेन गुप्ता को अदालत से जमानत मिल चुकी है. अगस्ता वेस्टलैंड मामले में ईडी ने दावा किया था कि भारत के राजनेताओं और नौकरशाहों को रिश्वत देने के लिए सुशेन मोहन गुप्ता ने फर्जी कंपनियां बनाई थीं. अगर अगस्ता वेस्टलैंड मामले में ईडी द्वारा लगाए गए आरोपों को सही माना जाए, तो सवाल खड़े होते हैं कि Defsys Solutions के जरिये किन राजनेताओं और नौकरशाहों को रिश्वत दी गई?
2016 में भारत और फ्रांस के बीच करीब 60 हजार करोड़ में हुई राफेल डील पर शुरूआत से ही आरोपों का साया रहा है. राफेल डील के मामले में कांग्रेस हमेशा से ही मोदी सरकार पर हमलावर रही है. हालांकि, राफेल डील में किसी भी तरह के भ्रष्टाचार के आरोपों को मोदी सरकार हमेशा से ही नकारती रही है. सुप्रीम कोर्ट ने भी राफेल विमान सौदे में हुए भ्रष्टाचार के आरोपों वाली याचिका को खारिज कर दिया था. मीडियापार्ट के रिपोर्टर पहले ही कह चुके हैं कि तीन हिस्सों वाली इस रिपोर्ट में आगे और बड़े खुलासे होंगे. इस स्थिति में कहा जा सकता है कि राफेल डील में हुए इस नये और भविष्य में होने वाले खुलासों से मोदी सरकार की मुसीबत बढ़ सकती हैं.
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