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Updated: 13 सितम्बर, 2022 04:08 PM
देवेश त्रिपाठी
देवेश त्रिपाठी
  @devesh.r.tripathi
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काशी के विश्वनाथ मंदिर परिसर में बने विवादित ज्ञानवापी मस्जिद के ढांचे में श्रृंगार गौरी की पूजा को लेकर दायर की गई याचिका को जिला कोर्ट ने सुनवाई योग्य मानने का फैसला सुनाया है. खैर, विवादित ज्ञानवापी मस्जिद के ढांचे को लेकर आगे स्थानीय कोर्ट से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक में क्या फैसला आएगा, ये बाद का विषय है. यहां अहम बात ये है कि प्लेसेज ऑफ वर्सिप एक्ट का पिटारा खुल गया. दरअसल, काशी विश्वनाथ मंदिर के परिसर में मौजूद ज्ञानवापी मस्जिद के वजूखाने में एक शिवलिंग की आकृति पाई गई थी. जिसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने मस्जिद को सील करते हुए केवल 15 नमाजियों को ही जाने की अनुमति दी थी. वहीं, हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने प्लेसेज ऑफ वर्शिप एक्ट को असंवैधानिक बताने वाली याचिकाओं की सुनवाई करते हुए कहा था कि काशी और मथुरा में चल रहे मामलों की सुनवाई जारी रहेगी. प्लेसेज ऑफ वर्शिप एक्ट की वजह से सुनवाई पर रोक नहीं लगाई जा सकती है.

Places of worship Act Gyanvapi Mosque Vishwanath Templeप्लेसेज ऑफ वर्शिप एक्ट से केवल हिंदुओं नहीं बौद्धों और जैनों को भी राहत मिलेगी.

तीर्थस्थल राज्य का विषय, तो केंद्र सरकार ने कैसे बना दिया कानून?

काशी में ज्ञानवापी और मथुरा में श्रीकृष्ण जन्मभूमि मामले की सुनवाई के साथ सुप्रीम कोर्ट में प्लेसेज ऑफ वर्शिप एक्ट के खिलाफ लगाई गई कई याचिकाओं पर सुनवाई चल रही है. अगली सुनवाई 11 अक्टूबर को होनी है. वहीं, सुप्रीम कोर्ट ने प्लेसेज ऑफ वर्शिप एक्ट के खिलाफ आई याचिकाओं पर केंद्र सरकार को नोटिस जारी करते हुए दो हफ्ते में हलफनामा दाखिल करने के लिए भी कहा है. बता दें कि तमाम याचिकाओं में प्लेसेज ऑफ वर्शिप एक्ट की वैधता पर सवाल खड़े किए गए हैं. याचिकाओं में कहा गया है कि भारत के संविधान में तीर्थस्थल और पब्लिक ऑर्डर राज्य का विषय हैं, तो केंद्र सरकार ने कानून कैसे बना दिया?

वहीं, ज्ञानवापी मस्जिद के विवादित ढांचे के खिलाफ लगे मामलों पर मुस्लिम पक्ष पहले से ही हाईकोर्ट जा चुका है. मुस्लिम पक्ष ने ज्ञानवापी मस्जिद में होने वाले वीडियो सर्वे को रोकने की मांग की थी. जिसे हाईकोर्ट ने नकार दिया था. वहीं, मथुरा मामले में भी सुनवाई तेजी के साथ चल रही है. और, वहां भी जल्द ही श्रीकृष्ण जन्मभूमि को लेकर कोई बड़ा फैसला आ सकता है. देखा जाए, तो इस पूरे मामले पर गेंद केंद्र सरकार के ही पाले में है. अगर सुप्रीम कोर्ट की ओर से जारी किए गए नोटिस पर केंद्र सरकार हलफनामे में एक्ट को गलत मानती है. तो, भारत के कई पुराने मंदिरों पर हुए कब्जों को हटाने की मांग की जा सकती है.

हिंदुओं के साथ बौद्ध और जैन समुदायों को भी मिलेगी राहत

1192 से शुरू हुए मुस्लिम शासन के बाद अंग्रेजों ने 1947 तक भारत में शासन किया. इस दौरान कई धार्मिक स्थलों का चरित्र बदला गया था. बल्कि, कई जमीनों पर जबरन कब्जा कर अन्य धार्मिक स्थल भी बना दिए गए थे. अयोध्या में राम मंदिर के पक्ष में आया फैसला इसी का एक उदाहरण भर है. वैसे, इस दौरान केवल हिंदुओं के ही नहीं बौद्धों और जैनों के हजारों मंदिरों व तीर्थस्थलों का भी विध्वंस कर उन्हें मस्जिदों में तब्दील कर दिया गया था. अगर प्लेसेज ऑफ वर्शिप एक्ट के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट की ओर से फैसला आ जाता है. तो, हिंदुओं के साथ ही बौद्धों और जैन समुदाय के लोगों के बहुत से तीर्थस्थल कब्जा मुक्त हो जाएंगे. 

लेखक

देवेश त्रिपाठी देवेश त्रिपाठी @devesh.r.tripathi

लेखक इंडिया टुडे डिजिटल में पत्रकार हैं. राजनीतिक और समसामयिक मुद्दों पर लिखने का शौक है.

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