दिल्ली में भाजपा की जमीन खिसकी, 15 दिनों के अंदर चौथी हार
छात्रसंघ चुनाव के नतीजे आरएसएस समर्थित छात्र संगठन अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद् यानि की एबीवीपी और बीजेपी दोनों के लिए ही चिंता का विषय है.
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दिल्ली विश्वविद्यालय के छात्रसंघ चुनाव में कांग्रेस के छात्र संगठन एनएसयूआई ने सबको चौंकाते हुए अध्यक्ष और उपाध्यक्ष पद पर जीत दर्ज कर ली है. वहीं एबीवीपी ने सचिव और संयुक्त सचिव का पद अपने नाम किया. लेकिन मौजूदा माहौल में हम इसे दो-दो सीटों की जीत के साथ बराबरी की बात भी नहीं कह सकते क्योंकि एक ओर जहां एनएसयूआई ने दोनों वरिष्ठ पदों पर जीत मिली है तो वहीं एबीवीपी ने निचले क्रम के दोनों पदों पर जीत का परचम लहराया. बता दें कि पिछले साल एनएसयूआई को महज एक सीट से संतोष करना पड़ा था. लेकिन इस बार के उनके प्रदर्शन ने सबको चौका दिया है.
जीत का जश्नचार साल के अंतराल के बाद एनएसयूआई को दिल्ली विश्वविद्यालय छात्रसंघ पर काबिज होने में सफलता मिली है. यह न सिर्फ इस संगठन के लिए एक महत्वपूर्ण उपलब्धि है, बल्कि इससे खुद कांग्रेस पार्टी को भी काफी बल मिला है. जो इस जीत के बाद कांग्रेस नेताओं के बधाई संदेशों से साफ़ झलकता है.
Congratulations @nsui on a stellar performance & Pres win in DUSU! Thank students of DU for reposing faith in Congress ideology #NSUIWinsDU https://t.co/amUF6owutt
— Office of RG (@OfficeOfRG) September 13, 2017
Congratulations @nsui on an outstanding performance in #DUSUelection2017. A triumph for liberal values on campus. #NSUIwinsDU Proud of you!
— Shashi Tharoor (@ShashiTharoor) September 13, 2017
#DUSUelection2017 NSUI wins #ABVP dumped...gen next reject faux nationalism, #RohithVemula #Najeeb have won https://t.co/DgLTGw7F9F
— Shehzad Poonawalla (@Shehzad_Ind) September 13, 2017
छात्रसंघ चुनाव के नतीजे आरएसएस समर्थित छात्र संगठन अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद् यानी एबीवीपी और बीजेपी दोनों के लिए ही चिंता का विषय है. क्योंकि पार्टी और संगठन ने जीत के लिए एड़ी चोटी का जोर लगा दिया था. संगठन को दिल्ली विश्वविद्यालय में जीत की पूरी उम्मीद थी. ऐसा नहीं है कि पार्टी और उसके संगठन के लिए दिल्ली में ये पहली हार है, इससे ठीक पहले अभी हाल ही दूसरे चुनावों में भी पार्टी को हार से दो चार होना पड़ा था. आईये जानते है बीजेपी के लिए चिंता का विषय बने इस तरह के कुछ परिणामों के बारे में.
दिल्ली विश्वविद्यालय में अभी हाल ही में हुए शिक्षक संघ चुनाव नतीजों में भी बीजेपी को हार का मुंह देखना पड़ा था. दिल्ली विश्वविद्यालय शिक्षक संघ यानी डूटा चुनाव में वामपंथी शिक्षक संगठन डेमोक्रेटिक टीचर फ्रंट यानी डीटीएफ ने एक बार फिर से जीत दर्ज कर इतिहास रच दिया. संगठन के अध्यक्ष पद के उम्मीदवार ने लगातार चौथी बार जीत हासिल की. उन्होंने इस पद के लिए भाजपा समर्थक नेशनल डेमोक्रेटिक टीचर्स फ्रंट यानी एनडीटीएफ के उमीदवार को बड़े अंतर से हराया.
वहीं दिल्ली स्थित जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय यानी जेएनयू की बात करें तो वहां एक बार फिर से लेफ्ट ने अपने जीत के सिलसिले को जारी रखा है. विश्वविद्यालय में हुए छात्रसंघ चुनाव की चारों सीटों पर यूनाइटेड लेफ्ट पैनल (आईसा, एसएफआई और डीएसएफ) ने बाजी मारी. वाम प्रत्याशियों ने यहां एबीवीपी के अधिकतर उम्मीदवारों को बड़े अंतर से हराया. इस हार से एक बार फिर बीजेपी विरोधियों को पार्टी पर हमला करने का मौका मिल गया क्योंकि पिछले साल जेएनयू काफी चर्चाओं में रहा था.
शिक्षण संस्थानों से इतर दिल्ली में हुई हाल कि राजनीतिक गतिविधि को देखें तो उसमें हाल का बवाना विधानसभा का उपचुनाव काफी दिलचस्प था. जो दिल्ली के मुख्यमंत्री केजरीवाल के लिए साख बचाने जैसा साबित हुआ. इसमें आप पार्टी के उमीदवार ने बीजेपी के प्रत्याशी को भारी अंतर से मात दी. यह हार कल्पना से परे थी. क्योंकि कुछ महीनों पहले ही एमसीडी में बीजेपी ने आप को बुरी तरह से हराया था. कह सकते हैं कि राजधानी दिल्ली से हाल के आये नतीजे बीजेपी के लिए काफी निराशाजनक हैं और पार्टी को इसके बारे में सोचना होगा कि आखिर चूक कहां हुई.
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