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Updated: 24 मार्च, 2017 04:28 PM
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क्यों शशिकला गुट ने हाथ आया ऑटो मना कर दिया. क्यों हैट पर जोर दिया. आखिरकार हैट ही क्यों...जबकि चुनाव आयोग को सौंपे पत्र में पहली प्राथमिकता ऑटो रिक्शा, दूसरी बैट और तीसरी कैप यानी Hat था. आयोग के साथ साढ़े दस बजे शुरू हुई मीटिंग में चिट्ठी आगे बढाई गई. आयोग ने पहली प्राथमिकता पर सही का निशान लगाकर मंजूरी दे दी.

प्रशासनिक काम पूरा होने के बाद शुरू हुआ राजनीतिक खेल. चेन्नई में मौजूद पार्टी के नेताओं ने फोन कर कहा कि ऑटो को मना किया जाए और हैट के लिए जोर दिया जाए. राजनीतिक गलियारों में चर्चा गरम है कि फ्री में सामान बांटने के लिए कुख्यात AIADMK को कुछ लोकप्रियता हासिल करने वाली चीजें बांटने का शौक है. अब ऑटो तो बांटा नहीं जा सकता. लेकिन धूप और तेज हवा वाले समुद्र तटीय राज्य तमिलनाडु में हैट पर नेता की तस्वीर और साथ में अन्य सामान भी दिया जा सकता है. पार्टी के प्रचार के सस्ता सुलभ और मजबूत व टिकाऊ औजार तो हैट ही है, ऑटो नहीं. फिलहाल तो कहा जा रहा है कि उपचुनाव में पार्टी विभिन्न परियोजनाओं के तहत सोने के सिक्के बांट रही है.

दूसरी ओर ओपीएस गुट ने बिजली का खंबा यानी स्ट्रीट लाइट का निशान मांगा उसे तत्काल मिल गया. इस निशान के पीछे गुट के नेताओं का मानना है कि ये दो पत्ती जैसा दिखता है. दोनों ओर दो लाइट और खंबा. लाइट बड़ी कर दो तो दो पत्तियों जैसा आभास. बस निशान पर भी हो गया खेल. जिसकी जैसी भावना उसे मिल गया वैसा ही सियासी खिलौना.

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रही बात नाम की, तो पहले अन्ना और अब अम्मा. इनके बगैर इस पार्टी की कैसी यूएसपी. नेता हों या जनता इसकी कल्पना करना ही मुमकिन नहीं. पहले तो राजनीतिक गलियारों में ये चर्चा थी कि शशिकला गुट को`AIADMK चिन्नम्मा और ओपीएस गुट को AIADMK अम्मा का नाम दे दिया जाय तो झंझट ही खत्म.

लेकिन ये तो हुई कल्पना के कनकउए उड़ाने की बात. अब सही में पतंग उड़ी तो अम्मा के नाम की ही. शशिकला गुट ने नाम लिया AIADMK अम्मा और ओपीएस गुट ने रखा AIADMK पुरच्ची तलैवी अम्मा यानी क्रांतिकारी नेता अम्मा. दोनों खुश.. दोनों के दावे.. हम ही जीतेंगे.. इतिहास के कन्नी काटते हुए.. अगर इतिहास फिर अपने को दोहराने रास्ते में अड़ गया तो... क्योंकि 30 साल पहले हुई घटना और मौजूदा परिस्थितियों में काफी समानता है. जनता में लोकप्रियता, विधायकों सांसदों के समर्थन की असमानता, और जनता में करिश्मा. फिलहाल तो बस देखना ही होगा भविष्य की ओर भी और आयोग की ओर भी.

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लेखक

संजय शर्मा संजय शर्मा @sanjaysharmaa.aajtak

लेखक आज तक में सीनियर स्पेशल कॉरस्पोंडेंट हैं.

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