Elon Musk ने खरीदा Twitter तो उपजी ये 10 शंकाएं
ट्विटर (Twitter) पर लगातार 'फ्री स्पीच' (Free Speech) को बढ़ावा देने की बात कहने वाले एलन मस्क (Elon Musk) के कंपनी को खरीदने के बाद से ही यूजर्स ने कई तरह की शंकाएं (Doubts) जताना शुरू कर दी है. ट्विटर का मालिक बन जाने के बाद एलन मस्क का अगला कदम क्या होगा, लोगों को इस बात की चिंता सता रही है.
-
Total Shares
दुनिया के सबसे अमीर शख्स एलन मस्क ने ट्विटर इंक (Twitter) को 44 बिलियन डॉलर (करीब 33800 करोड़ रुपये) में खरीद लिया है. वैसे, एलन मस्क के ट्विटर पर मालिकाना हक पर ट्विटर की ओर से आधिकारिक घोषणा भी की जा चुकी है. क्योंकि, इस खरीद पर ट्विटर बोर्ड की ओर से मुहर लग चुकी है. ट्विटर पर लगातार 'फ्री स्पीच' को बढ़ावा देने की बात कहने वाले एलन मस्क के कंपनी को खरीदने के बाद से ही इस माइक्रोब्लॉगिंग वेबसाइट पर यूजर्स ने कई तरह की शंकाएं जताना शुरू कर दिया है. दरअसल, ट्विटर का मालिक बन जाने के बाद एलन मस्क का अगला कदम क्या होगा, लोगों की इस बात की चिंता सता रही है. आइए जानते हैं क्या हैं ट्विटर की खरीद के बाद उपजी 10 शंकाएं...
एलन मस्क टेस्ला और स्पेसएक्स जैसी कंपनियों के सीईओ हैं.
क्या ट्विटर पर बढ़ जाएगी 'हेट स्पीच'?
एलन मस्क के ट्विटर को खरीदने के बाद से एमनेस्टी इंटरनेशनल जैसे मानवाधिकार समूहों ने चिंता जताई है. दरअसल, ट्विटर की कॉन्टेन्ट को मॉडरेट करने की पॉलिसी को लेकर एलन मस्क मुखर रहे हैं. वैसे, इस तरह की शंका का कारण ट्विटर को खरीदने के बाद एलन मस्क का वो ट्वीट है. जिसमें उन्होंने फ्री स्पीच को काम कर रहे लोकतंत्र का मजबूत आधार बताया है. दरअसल, ट्विटर पर एलन मस्क के एकाधिकार के बाद मानवाधिकार समूहों को लग रहा है कि इसके पॉलिसी, फीचर और एल्गोरिद्म में किया जाने वाले बदलावों से मानवाधिकारों पर बुरा असर पड़ सकता है. एमनेस्टी इंटरनेशनल ने कहा है कि वह एलन मस्क द्वारा लिए जाने वाले ऐसे किसी भी संभावित निर्णय के बारे में चिंतित हैं, जो ट्विटर द्वारा ऑनलाइन हेट स्पीच को मॉडरेट करने के लिए डिजाइन की गई नीतियों और तंत्र को लागू करने के लिए लिया जा सकता है.
??♥️ Yesss!!! ♥️?? pic.twitter.com/0T9HzUHuh6
— Elon Musk (@elonmusk) April 25, 2022
क्यों कहा जा रहा है कि फ्री स्पीच 'पूर्ण अधिकार' नहीं है?
ह्यूमन राइट्स वॉच की वकील डेब्रा ब्राउन ने इंटरनेशनल न्यूज एजेंसी रॉयटर्स से बातचीत में कहा है कि 'अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता यानी फ्री स्पीच एक पूर्ण अधिकार नहीं है. यही कारण है कि ट्विटर को अपने सबसे कमजोर यूजर्स को प्लेटफॉर्म पर सुरक्षित रखने की कोशिशों को बढ़ावा देने की जरूरत है.' मानवाधिकार समूहों की ओर से फ्री स्पीच को पूर्ण अधिकार न बताया जाना, चौंकाने वाला बयान है. क्योंकि, ये मानवाधिकार समूह लंबे समय तक ट्विटर पर फ्री स्पीच के नाम पर ही लोगों के बीच खुलकर अपनी बात रखते रहे हैं. वहीं, अब ये समूह फ्री स्पीच को एक पूर्ण अधिकार मानने से कतरा रहे हैं. आसान शब्दों में कहा जाए, तो फ्री स्पीच की बात करने वाले मानवाधिकार समूहों को एलन मस्क के ट्विटर खरीदने के बाद से उन पर सवाल खड़े करने वालों का डर सताने लगा है. क्योंकि, खुद को 'फ्री स्पीच एब्सोल्यूटिस्ट' कहने वाले एलन मस्क इन लोगों को भी ट्विटर पर जगह दे सकते हैं.
I hope that even my worst critics remain on Twitter, because that is what free speech means
— Elon Musk (@elonmusk) April 25, 2022
क्या ट्विटर का इस्तेमाल व्यवसायिक हितों के लिए होगा?
एलन मस्क कई बड़ी कंपनियों के मालिक हैं. जिनका कारोबार दुनिया भर में फैला हुआ है. ट्विटर को खरीदने के बाद सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर यूजर्स शंका जाहिर कर रहे हैं कि टेस्ला और स्पेसएक्स जैसी कंपनियों के सीईओ एलन मस्क अब इस कंपनी के मालिक हैं. तो, शंकाएं जताई जा रही हैं कि एलन मस्क अपने व्यवसायिक हितों को ध्यान में रखते हुए ट्विटर का इस्तेमाल अपने कारोबार को बढ़ाने के लिए कर सकते हैं. उदाहरण के तौर पर भारत जैसे देश में एलन मस्क ने बीते साल टेस्ला के इलेक्ट्रिक व्हीकल्स पर मोदी सरकार से इंपोर्ट ड्यूटी घटाने की मांग की थी. लेकिन, मोदी सरकार ने इसे भारत में ही उत्पादन न करने के कारण नकार दिया था. लोग शंका जाहिर कर रहे हैं कि अपने व्यवसायिक हितों को साधने के लिए एलन मस्क ट्विटर की पॉलिसी को लचीला बना सकते हैं. जिससे सीधे तौर पर कई देशों की सरकारों को अपने पाले में करने के लिए ट्विटर यानी एलन मस्क माइक्रोब्लॉगिंग वेबसाइट की पॉलिसी को टूल के तौर पर इस्तेमाल कर सकते हैं.
चीन को मिलेगी अमेरिका पर बढ़त?
दुनिया के दूसरे सबसे अमीर कारोबारी अमेजन (Amazon) के मालिक जेफ बेजोस (Jeff Bezos) ने न्यूयॉर्क टाइम्स के एक रिपोर्टर ट्वीट को रीट्वीट करते हुए एलन मस्क पर सवाल खड़े किए हैं. जेफ बेजोस ने ट्वीट में लिखा है कि रोचक सवाल है. क्या चीनी सरकार को टाउन स्क्वायर पर थोड़ी रियायत मिलेगी? दरअसल, जिस ट्वीट को जेफ बेजोस ने रिट्वीट किया है, उसमें बताया गया है कि अमेरिका के बाद चीन टेस्ला का दूसरा सबसे बड़ा बाजार है. टेस्ला के इलेक्ट्रिक वाहनों की बैट्री का सबसे बड़ा सप्लायर चीन है. 2009 में चीन के ट्विटर को बैन करने के बाद चीनी सरकार को प्लेटफॉर्म पर कोई रियायत नहीं दी गई थी. लेकिन, अब ये बदल सकता है. हालांकि, जेफ बेजोस ने साफ किया कि इस सवाल का मेरा अपना जवाब है शायद नहीं. लेकिन, हम देखेंगे. मस्क इस तरह की जटिलता से निपटने में काफी बेहतर हैं
Interesting question. Did the Chinese government just gain a bit of leverage over the town square? https://t.co/jTiEnabP6T
— Jeff Bezos (@JeffBezos) April 25, 2022
'फ्री स्पीच एब्सोल्यूटिस्ट' वाली एप्रोच कितनी सही?
एलन मस्क ने ट्विटर को खरीदने के बाद ट्वीट कर कहा है कि 'मैं आशा करता हूं कि मेरे सबसे बुरे आलोचक भी ट्विटर पर बने रहेंगे. क्योंकि, फ्री स्पीच का यही मतलब है.' कई यूजर्स का मानना है कि एलन मस्क की 'फ्री स्पीच एब्सोल्यूटिस्ट' वाली एप्रोच की वजह से ट्विटर पर पॉलिसी के उल्लंघन के चलते बंद हुए अकाउंट्स को फिर से शुरू किया जा सकता है. इन अकाउंट्स में सबसे बड़ा नाम अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप का है. हालांकि, दुनिया भर के कई यूजर ट्विटर की पॉलिसी की वजह से ब्लॉक किए जा चुके हैं. इस स्थिति में देखना दिलचस्प होगा कि एलन मस्क 'फ्री स्पीच' को ट्विटर पर खुलकर लागू करने के लिए क्या फैसला लेने वाले हैं? 'फ्री स्पीच एब्सोल्यूटिस्ट' वाली एप्रोच को लेकर शंका जताई जा रही है कि डोनाल्ड ट्रंप की तरह ही तमाम ऐसे लोगों की ट्विटर पर वापसी हो सकती है.
Human rights groups including the ACLU and Amnesty International raised concerns about hate speech on Twitter and the power that Elon Musk, a self-described 'free speech absolutist,' would have after his acquisition https://t.co/U3h2usxiKp pic.twitter.com/mlhwzzF9OJ
— Reuters (@Reuters) April 25, 2022
क्या पॉलिटिकल एजेंडा भी तय करेगा ट्विटर?
माइक्रोब्लॉगिंग वेबसाइट ट्विटर भले ही सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म के तौर पर जाना जाता हो. लेकिन, ट्विटर को दुनियाभर में राजनीतिक और मीडिया का एजेंडा तय करने वाला प्लेटफॉर्म माना जाता है. तकरीबन हर देश के राजनेताओं से लेकर मीडिया के धुरंधर तक ट्विटर पर अपनी मौजूदगी दर्ज कराते हैं. वहीं, एलन मस्क द्वारा ट्विटर को खरीदने के बाद शंका जताई जा रही है कि माइक्रोब्लॉगिंग वेबसाइट पर राजनीतिक एजेंडा तय करने वालों को बढ़ावा दिया जा सकता है. जिससे एकतरफा राजनीतिक झुकाव बढ़ने की संभावना पैदा हो सकती है. बता दें कि ट्विटर राजनीतिक एजेंडा सेट करने का आरोप अमेरिका के राष्ट्रपति चुनाव के दौरान डोनाल्ड ट्रंप के कई ट्वीट्स पर चेतावनी का लेबल लगाना शुरू कर दिया था. जिससे इस बात की बहस बढ़ गई कि एक सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म के अधिकार क्या इतने असीमित हो सकते हैं कि वह दुनिया की महाशक्ति कहलाने वाले देश अमेरिका के ही राष्ट्रपति के ट्वीट को मैनिपुलेटेड का लेबल देने लगे.
ट्विटर अब नहीं रहेगा जवाबदेह?
भारत में ट्विटर की नीतियों पर लंबे समय से सवाल उठाया जा रहा है. एलन मस्क द्वारा खरीदे जाने से पहले ट्विटर एक सार्वजनिक कंपनी के तौर पर पहचान रखती थी. जिस पर सभी लोगों के प्रति जवाबदेही थी. लेकिन, अब ट्विटर एक प्राइवेट कंपनी बन चुकी है. क्योंकि, इसमें एलन मस्क सीधे तौर पर सबसे बड़े शेयरहोल्डर बन गए हैं. माइक्रोब्लॉगिंग वेबसाइट ट्विटर को लेकर शंका जताई जा रही है कि अब इस कंपनी की लोगों के प्रति जवाबदेही तय नहीं होगी. क्योंकि, एलन मस्क इसे अपने हिसाब से चलाएंगे.
बढ़ेगा वोक VS अनवोक का ट्विटर वॉर?
अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के नाम पर ट्विटर का इस्तेमाल करने वाले वोक यानी किसी भी धर्म, जाति, पंथ समेत सामाजिक मुद्दों पर खुलकर अपनी राय रखने वाले यूजर्स अब ट्विटर के भविष्य पर सवाल उठा रहे हैं. दरअसल, ये कथित वोक यूजर्स आमतौर पर ट्रोलर्स के निशाने पर रहते हैं. एलन मस्क के ट्विटर को खरीदने के बाद इस बात की शंका जताई जा रही है कि फ्री स्पीच के नाम पर अपनी राय रखने वालों को ट्रोल करने वालों पर शायद कार्रवाई नहीं होगी. क्योंकि, फ्री स्पीच के नाम पर एलन मस्क सभी तरह के लोगों को ट्विटर पर बराबर जगह देने के पक्षधर नजर आते हैं. क्योंकि, वह ट्विटर की कॉन्टेन्ट को मॉडरेट करने की पॉलिसी के खिलाफ लगातार बोलते रहे हैं. शंका जताई जा रही है कि इससे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर वोक VS अनवोक का ट्विटर वॉर बढ़ेगा.
क्या ट्विटर का भविष्य अंधकार में है?
ट्विटर के सीईओ पराग अग्रवाल (Parag Agrawal) ने एलन मस्क द्वारा कंपनी को खरीदने की इस डील पर एक मीटिंग में कर्मचारियों से कहा है कि मस्क की लीडरशिप में ट्विटर का फ्यूचर अब अंधकार में है. इसका अंदाजा लगाना मुश्किल है कि एलन मस्क के नेतृत्व में कंपनी अब किस दिशा में जाने वाली है. दरअसल, पराग अग्रवाल को ट्विटर के पूर्व सीईओ जैक डॉर्सी का करीबी माना जाता है. एलन मस्क के ट्विटर को खरीदने के बाद से ही शंका जताई जाने लगी है कि पराग अग्रवाल को कंपनी से निकाला जा सकता है. बहुत हद तक संभावना है कि पराग अग्रवाल का ये बयान इसी संदर्भ में दिया गया हो.
जैक डॉर्सी vs एलन मस्क के नेतृत्व में क्या होगा अंतर?
ट्विटर के पूर्व सीईओ जैक डॉर्सी घोषित तौर पर खुद को वामपंथी विचारधारा का समर्थक बताते थे. हालांकि, जैक डॉर्सी का दावा था कि उनकी विचारधारा का ट्विटर की नीतियों पर कोई असर नहीं पड़ता है. लेकिन, दक्षिणपंथी विचारधारा के यूजर्स का हमेशा से ही कहना रहा है कि ट्विटर पर विरोधी विचारधारा की आवाज को दबाया जाता है. दावा किया जाता है कि दक्षिणपंथी विचारों के तर्कों को दबाने के लिए ट्विटर अपनी नीतियों में बदलाव करता रहा है. यहां तक कि ट्विटर पर दक्षिणपंथी विचारधारा के खिलाफ प्रोपेगेंडा को भी बढ़ावा दिया जाता है. ट्विटर जानबूझकर ऐसे लोगों को प्रमोट करता है, जो दक्षिणपंथी विचारधारा के खिलाफ लिखते हैं. वहीं, एलन मस्क के ट्विटर को खरीदने के बाद शंका जताई जा रही है कि फ्री स्पीच की हिमायत के नाम पर दक्षिणपंथी विचारधारा के लोगों को ट्विटर पर बिना रोक-टोक के अपनी बात कहने का प्लेटफॉर्म मिल सकता है. जबकि, इससे पहले आमतौर पर ऐसे यूजर्स को रिपोर्ट करने पर ट्विटर अपनी नीतियों के तहत उन पर कार्रवाई करता था.
आपकी राय