सेना प्रमुख का फिटनेस फॉर्मूला, 10 किलोमीटर दौड़ो रोज
सेना में मोटापा घर कर रहा है. जबकि उसी सेना का प्रमुख आज भी रोज सुबह कैंटोनमेंट के मैदान में यूं दौड़ते दिख जाएगा मानो कुछ दिनों में उस जवान को सेना में भर्ती होने का टेस्ट देना हो.
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आराम की नौकरी और ठाठ-बाट आमतौर पर ओबेसिटी या मोटापे का कारण बन बैठती है. खास तौर पर इसने ठाठ-बाट देख लिए तो घर करने के लिए ये सेना और पुलिस के जवान तक को नहीं छोड़ती. अब पुलिस और मोटापा तो धीरे-धीरे पर्यायवाची बनते जा रहे हैं लेकिन गंभीर समस्या तब खड़ी हो जाती है जब पता चले कि सेना के अफसर और जवान भी तेजी से मोटापे का शिकार हो रहे हैं. ऐसा ठाठ-बाट और आरामतलबी के ही चलते तो देखने को मिल रहा है. जबकि उसी सेना का प्रमुख आज भी प्रति दिन सुबह कैंटोनमेंट के मैदान में यूं दौड़ते दिख जाएगा मानो कुछ दिनों में उस जवान को सेना में भर्ती होने का टेस्ट देना हो.
आज भी ‘जवान’ हैं जनरल सुहाग
जनरल दलबीर सिंह सुहाग, जुलाई 2014 से सेना प्रमुख हैं. उनकी दिनचर्या आज भी मिलिट्री अकेडमी के किसी जवान जैसी है. सुबह 4.30 बजे उठना. नब्बे मिनट तक ट्रेडमिल पर पसीना बहाना. कैंटोनमेंट के मैदान पर 5 किलोमीटर दौड़ना. वही शनिवार और इतवार रहने पर यह दौड़ सीधे 10 किलोमीटर की हो जाती है.
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इस जी तोड़ मेहनत का नतीजा है कि वह देश के अब तक के सबसे फिट सेना प्रमुख माने जाते हैं. ऐसी कड़ी मेहनत पर सवाल करना जनरल सुहाग को अपने करियर का वह शुरुआती दौर याद दिला देता है जब युद्ध पोत पर उनकी ड्यूटी बतौर नैविगेटर रहती थी और केबिन में सिर्फ एक कुर्सी रखी जाती थी जिसपर सिर्फ और सिर्फ युद्ध पोत का कप्तान ही बैठ सकता था.
अपने इस एक्सपीरिएंस से प्रेरणा लेते हुए जनरल सुहाग आज भी सेना भवन के अपने ऑफिस में कभी बैठे हुए नहीं पाए जाते. जनरल सुहाग का मानना है कि खड़े होकर काम करने का सबसे बड़ा फायदा उन्हें ये मिलता है कि आगन्तुक बिना समय खराब किए सीधे मुद्दे की बात करते हैं.
जनरल दलबीर सिंह सुहाग |
सभी कमांड को जनरल का संदेश
सेना के अधिकारियों में मोटापे की समस्या पर गहन सोच विचार के बाद सेना भवन से हाल ही में सभी कमांड को जनरल सुहाग की तरफ से संदेश भेजा गया है. सेना भवन का मानना है कि सेना में मोटापा घर कर जाना एक गंभीर समस्या है. इसका जल्द से जल्द निदान किया जाना चाहिए.
लिहाजा अब सेना के सभी अधिकारियों और जवानों को मोटापे के मापदंड पर खरा उतरा होगा. जिन अधिकारियों और जवानों में मोटापे के लक्षण पाए जाते हैं उनकी एक ताजी तस्वीर (जो सामने और साइड से खींची जाएगी) उनकी रिपोर्ट में लगाई जाएगी.
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इसके साथ ही मोटापे का शिकार हो चुके अधिकारियों और जवानों को जल्द से जल्द फॉर्म में लौटने की अपील की गई है. सभी को हिदायत दी गई है कि जब तक वह अपने फॉर्म में नहीं आ जाते तब तक उन्हें विदेश की पोस्टिंग, करियर कोर्स और देश के ए क्लास शहरों की पोस्टिंग के लिए नहीं चुना जाएगा. इसके अलावा मोटे हो चुके अधिकारियों और जवानों को सेना से बाहर नौकरी की लिए संस्तुती नहीं दी जाएगी और सेना में उनका कोई प्रमोशन नहीं किया जाएगा.
अब फिट रहने का ‘जनरल’ फॉर्मूला
इकोनॉमिक टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक सेना भवन में सूत्रों का दावा है कि फौज को दुरुस्त करने का यह फॉर्मूला सीधे जनरल दलबीर सिंह सुहाग का तैयार किया है. अपने आप में फिटनेस फ्रीक जनरल सुहाग का निर्देश है कि सभी अधिकारियों और जवानों को प्रतिदिन 10 किलोमीटर की दौड़ लगानी होगी. जनरल का मानना है कि मोटापे के खतरे से न सिर्फ सेना की युद्ध लड़ने की क्षमता पर असर पड़ता है बल्कि सेना के मोटे अधिकारी और जवान अपनी खूबसूरत वर्दी में भी बदसूरत लगते हैं.
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