मोदी की तरह राहुल गांधी के सामने भी खुद को साबित करने की चुनौती
इंडिया टुडे ग्रुप का 'मूड ऑफ द नेशन' ओपिनियन पोल अगर यह दिखाता है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की करिश्माई छवि में कमी आई है तो वहीं, कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी के लिए भी यह एक संकेत है.
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इंडिया टुडे ग्रुप का 'मूड ऑफ द नेशन' ओपिनियन पोल अगर यह दिखाता है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की करिश्माई छवि में कमी आई है तो वहीं, कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी के लिए भी यह एक संकेत है. राहुल के 56 दिनों की छुट्टी से लौटने के बाद उन्हें पूरा राष्ट्र गौर से देख रहा है, लेकिन उनके प्रदर्शन पर जनता अभी साफ-साफ कुछ नहीं कह रही.
इंडिया टुडे ने यह सर्वे इस साल 24 जुलाई से पांच अगस्त के बीच किया. इस सर्वे के तहत 19 राज्यों के 263 विधान सभा सीटों को शामिल किया गया और उनमें 526 स्थानों के 11,820 लोगों के इंटरव्यू लिए गए. यह 19 राज्य हैं- आंध्र प्रदेश, असम, बिहार, गुजरात, हरियाणा, कर्नाटक, केरल, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, ओडिशा, पंजाब, राजस्थान, तमिलनाडु, तेलंगाना, उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल, दिल्ली, झारखंड और छत्तीसगढ़.
इस सर्वे के जरिए ऐसी पांच बातें जरूर सामने आईं जिस पर राहुल गांधी को ध्यान देना चाहिए:
1. मोदी सरकार के खिलाफ राहुल ने जो सबसे बड़ा मुद्दा उठाया वह भूमि अधिग्रहण बिल था. कांग्रेस के अनुसार बीजेपी 2013 में यूपीए सरकार द्वारा पारित बिल में संशोधन करना चाहती है ताकि सरकार उद्योगपतियों की और सहायता कर सके. एक तरह से कहें तो कांग्रेस उपाध्यक्ष ने आम लोगों के बीच यह छवि बनाई कि बिल किसान विरोधी है. उनके लिए अच्छी बात यह रही कि 63 फीसदी लोगों ने बिल को किसान विरोधी बताया. लेकिन 35 फीसदी लोगों का यह भी मानना है कि विकास के लिए यह बिल जरूरी है. केवल 20 फीसदी लोगों का मानना है कि इस बिल से न केवल किसान बुरी तरह प्रभावित होंगे बल्कि यह कॉरपेरेट सेक्टर को भी मदद करेगा. कांग्रेस भले ही संसद में बिल को रोकने में अब तक कामयाब रही है लेकिन एक बड़ा तबका अब भी पार्टी के साथ खड़ा नही है.
2. अगर वोट शेयर में एक फीसदी की उछाल और नौ सीटों की बढ़त कांग्रेस के लिए खुशी की बात है तो राहुल बेशक जश्न मना सकते हैं. जब पिछला सर्वे अप्रैल-2015 में हुआ था, तब से लोक सभा चुनाव के लिए कांग्रेस का वोट शेयर बढ़कर 20 से 21 फीसदी हो गया है. सीटों की संख्या 53 से घट कर 52 हो गई है. पिछले साल हुए आम चुनाव में कांग्रेस पार्टी 44 सीट जीतने में कामयाब रही थी और उसका वोट प्रतिशत 19.3 था. कांग्रेस के लिए खुशी मनाने का एक कारण और है. सर्वे के मुताबिक अगर आज चुनाव होते हैं तो लोक सभा चुनाव में 282 सीट जीतने वाली बीजेपी केवल 243 सीट अपने नाम कर पाएगी. लेकिन राहुल को बीजेपी के हो रहे 39 सीटों के नुकसान पर गौर करने की बजाय यह देखना चाहिए कि कांग्रेस को केवल 8 सीटों का ही फायदा हो रहा है. मतलब, इस बेहद पुरानी पार्टी के लिए दिल्ली अब भी दूर है.
3. राहुल पिछले कुछ महीनों से बेहद बदले तेवर के साथ नजर आ रहे हैं. राहुल में भरोसे की बात करें तो 44 फीसदी लोगों को लगता है कि वह कांग्रेस पार्टी को दोबारा खड़ा कर सकते हैं. राहुल इसे तसल्ली के तौर पर देख सकते हैं. लेकिन वह इन आंकड़ों से भी नजर नहीं चुरा सकते कि 43 फीसदी लोगों का मानना है कि कांग्रेस नेता के तौर पर उनका प्रदर्शन औसत ही रहा है. केवल 25 फीसदी वोटर यह मानते हैं कि राहुल ने अच्छा काम किया.
4. कांग्रेस उपाध्यक्ष के लिए एक और बुरी खबर है. पार्टी भले ही मीडिया का ध्यान आकर्षित करने में कामयाब रही हो लेकिन चुनाव के लिहाज से उसका भविष्य अब भी बहुत उम्मीदें जगाने वाला नहीं है. नए सर्वे के अनुसार केवल 43 फीसदी लोगों को लगता है कि पार्टी अगले पांच सालों में और बेहतर फॉर्म में नजर आएगी.
5. ऐसा भी नहीं है कि राहुल गांधी के लिए सब कुछ बुरा ही नजर आ रहा हो. भावी प्रधानमंत्री के रूप में उनकी दावेदारी बढ़ी है और ज्यादातर लोगों का मानना है कि सरनेम के तौर पर गांधी शब्द कांग्रेस के लिए जरूरी है. इसी साल अप्रैल में हुए सर्वे में 20 फीसदी लोग कांग्रेस की ओर से राहुल गांधी को प्रधानमंत्री उम्मीदवार बनते देखना चाहते थे लेकिन अब यह बढ़कर 30 फीसदी तक जा पहुंची है. राहुल के लिए एक और राहत वाली बात यह है कि 55 फीसदी लोगों को लगता है कि गांधी परिवार के बिना कांग्रेस अच्छा प्रदर्शन नहीं कर सकती. लेकिन एक दूसरा तथ्य राहुल को हैरान करने वाला भी है. देश में प्रधानमंत्री के दावेदारों की तुलना किए जाने पर 37 फीसदी लोग मोदी के पक्ष में हैं. दूसरे नंबर पर दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल हैं जिन्हें 11 फीसदी लोग अपनी पसंद बता रहे हैं. राहुल इस मामले में आठ फीसदी के साथ तीसरे स्थान पर हैं.
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