Kazakhstan: पेट्रोल की बढ़ी कीमतों के कारण दुनिया में कहीं एक सरकार निपट गई!
कजाकिस्तान सरकार (Kazakhstan Government) ने पेट्रोलियम उत्पादों पर लगाए प्राइस कैप को हटाया था. जिसके बाद पूरे देश में हिंसक प्रदर्शन (Violent Protests) होने लगे. कजाकिस्तान में पेट्रोल-डीजल की कीमतों (Petrol Diesel Price Hike) में अचानक हुए इजाफे ने वहां राष्ट्रीय संकट पैदा कर दिया.
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भारत में बीते साल पेट्रोल-डीजल की बढ़ती कीमतों को लेकर विपक्षी दलों ने खूब हो-हल्ला मचाया था. लेकिन, मोदी सरकार के पेट्रोल-डीजल से एक्साइज ड्यूटी घटाने के मास्टरस्ट्रोक और भाजपा शासित राज्यों के वैट कम करने के बाद मजबूरन गैर-भाजपा शासित राज्यों को भी वैट घटाना पड़ा था. वैसे, पेट्रोल के दाम अभी भी 90 रुपये से ज्यादा हैं, लेकिन कहीं भी विरोध-प्रदर्शन नही हो रहे हैं. महंगे पेट्रोल-डीजल पर विरोध-प्रदर्शन होना बहुत आम लगता है. वैसे, विरोध-प्रदर्शन वाली ये परेशानी केवल महंगा पेट्रोल-डीजल देने वाले देशों में नहीं है. तेल संपदा से भरपूर और दुनियाभर को पेट्रोल-डीजल देने वाले देश कजाकिस्तान का हाल भी जान लीजिए. कजाकिस्तान में पेट्रोल-डीजल की कीमतों में अचानक हुए इजाफे ने वहां राष्ट्रीय संकट पैदा कर दिया. हालात इस कदर बिगड़ गए कि पेट्रोल-डीजल की बढ़ी कीमतों की वजह से कजाकिस्तान की सरकार ही निपट गई.
कजाकिस्तान में गैसोलीन के दाम आधे डॉलर से भी कम थे.
दोगुने हो गए थे पेट्रोल-डीजल के दाम
दुनिया में सस्ता पेट्रोल-डीजल देने के मामले में 6वां स्थान रखने वाले कजाकिस्तान में पेट्रोल, डीजल और पेट्रोलियम गैस की बढ़ती कीमतों के विरोध में हिंसक प्रदर्शन शुरू हो गए थे. दरअसल, कजाकिस्तान की सरकार ने बीते साल पेट्रोलियम पदार्थों की कीमत से प्राइस कैप हटा दिया था. जिसकी वजह से कजाकिस्तान में पेट्रोल, डीजल और पेट्रोलियम गैस की कीमतें दोगुनी से ज्यादा हो गई थीं. और, लोगों का गुस्सा भड़क गया था. मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, अब तक 200 से ज्यादा लोगों को हिंसक प्रदर्शनों के कारण हिरासत में लिया गया है. वैसे, बढ़ी हुई कीमतों की वजह से लोगों में गुस्सा भड़कना स्वाभाविक कहा जा सकता है. लेकिन, उससे पहले ये भी जान लीजिए कि कजाकिस्तान में गैसोलीन की प्राइस कितनी है? Tradingeconomics.com के अनुसार, कजाकिस्तान में बीते साल दिसंबर में गैसोलीन की कीमत .47 डॉलर यानी आधे डॉलर से भी कम थी. भारतीय रुपयों के हिसाब से ये कीमत करीब 35 रुपये कही जा सकती है.
How #FuelPricesHike turned into #burning police cars in #Kazakhstan#Kazakhstan 's president imposed states of #emergency in the largest city #Almaty and an oil-rich western region #Wednesday after unprecedented #protests.#Fire #Blast #Kazachstan pic.twitter.com/6FxJrasemd
— Chaudhary Parvez (@ChaudharyParvez) January 5, 2022
आपातकाल लगाने के बाद भी नहीं सुधर रहे हैं हालात
कजाकिस्तान में पेट्रोल-डीजल के दाम बढ़ने की वजह से वहां की सरकार को इस्तीफा देना पड़ा. कजाकिस्तान के राष्ट्रपति कासिम-जोमार्ट तोकायव ने सरकार का इस्तीफा स्वीकार करने के बाद कार्यवाहक कैबिनेट सदस्यों से एलपीजी की कीमतों को नियंत्रित करने का आदेश दिया. लेकिन, कासिम-जोमार्ट तोकायव का ये कदम भी हिंसक प्रदर्शनों को रोकने में कामयाब नहीं हो सका. प्रदर्शन कर रहे लोगों ने सरकारी बिल्डिंगों और पुलिस की गाड़ियों के साथ आगजनी जारी रखी हुई है. जिसके बाद हिंसक प्रदर्शन को देखते हुए राष्ट्रपति तोकायव ने अल्माटी और मंगिस्टाऊ में दो हफ्ते के आपातकाल का ऐलान किया है.
Kazakhstan ?? They want the government to resign ? pic.twitter.com/jAOIXKPkTf
— The Juggernaut (@TheJuggernaut88) January 4, 2022
आपातकाल की स्थिति के दौरान हथियारों, गोला-बारूद और शराब की बिक्री प्रतिबंधित कर दी गयी है. आम लोगों से घरों में रहने की अपील की गई है और वाहनों की आवाजाही पर रोक लगा दी गयी है. राष्ट्रपति तोकायव ने अलीखान स्मेलोव को कार्यकारी प्रधानमंत्री बनाया है. एक टीवी प्रसारण में राष्ट्रपति तोकायव ने कजाकिस्तान के लोगों को आश्वासन दिया है कि देश को स्थिर करने के लिए जल्द ही एलपीजी के दामों को प्राइस कैप लगाकर आधा कर दिया जाएगा. तोकायव ने कैबिनेट मंत्रियों को सामाजिक रूप से महत्वपूर्ण उपभोक्ता वस्तुओं की कीमतों को नियंत्रण में करने के आदेश दिए हैं.
Almaty, Kazakhstan Government on fire… pic.twitter.com/K3HLifzHIg
— ian bremmer (@ianbremmer) January 5, 2022
प्रदर्शनकारियों की क्या थी मांग?
दरअसल, कजाकिस्तान में एलपीजी गैस का इस्तेमाल वाहनों में किया जाता है. कजाकिस्तान सरकार द्वारा गैसोलीन पर लगा प्राइस कैप हटाने से इसके दाम दोगुने हो गए. मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, सबसे पहले हिंसक प्रदर्शन Zhanaozen शहर में हुए थे. इसके बाद अल्माटी और मंगिस्टाऊ के साथ पूरे देश के कई शहरों में भी हिंसक प्रदर्शन होने लगे. यहां लोगों ने पुलिस की गाड़ियों और सरकारी बिल्डिंगों को निशाना बनाना शुरू कर दिया. प्रदर्शनकारियों की मांग थी कि कजाकिस्तान की सरकार इस्तीफा दे और एलपीजी के दामों को कम किया जाए. 2011 में Zhanaozen शहर में ही पुलिस की गोली से 16 ऑयल वर्कर्स की मौत हुई थी, जो काम करने की खराब स्थितियों को लेकर प्रदर्शन कर रहे थे. प्रदर्शनकारियों का कहना है कि पेट्रोलियम पदार्थों की कीमत बढ़ने से खाने के दाम बढ़ जाएंगे और कोरोना महामारी की वजह से लोगों के बीच आई आय असमानता भी बढ़ जाएगी.
WHAT'S UP WITH KAZAKHSTAN? ?? - a thread ?.Please RT and read!pic.twitter.com/nFfdrmfFbY
— eddie (@EggieStudySesh) January 5, 2022
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