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Updated: 11 जून, 2015 05:14 PM
मृगांक शेखर
मृगांक शेखर
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ट्विटर पर #INDIANARMYROCKS खूब ट्रेंड किया. देशवासियों ने आगे बढ़कर भारतीय सेना को सैल्यूट किया. सेना को हर तरफ से शाबाशी और बधाई मिली. सेना की ये कार्रवाई मणिपुर में घात लगाकर हुए आतंकी हमले के जवाब में थी जिसमें 18 सैनिकों की मौत हो गई थी. घटना 4 जून की है.

वाकई सेना ने शानदार काम किया है. म्यांमार की सीमा में घुसकर आतंकवादी कैंपों को नेस्तनाबूद कर दिया. ऐसे ऑपरेशन हुए तो पहले भी हैं, लेकिन कभी इस तरह प्रचारित नहीं किया गया. कुछ एक्सपर्ट ने भी इस पर आपत्ति जताई है.

कैसे संभव हुआ ऑपरेशनये ऑपरेशन इसलिए संभव हो पाया क्योंकि इसमें म्यांमार की सेना ने भारतीय फौज को हर तरह का सहयोग दिया. म्यांमार सरकार भी इसके लिए सहमत थी. भारतीय सेना के पास पक्की खुफिया जानकारी थी. विदेश मंत्रालय ने इसके लिए बैकग्राउंड तैयार किया और फिर राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोभाल ने इसकी खास रणनीति बनाई. आखिरकार ऑपरेशन को सफलतापूर्वक अंजाम दिया जा सका.

एबटाबाद और म्यांमार में फर्कएबटाबाद में अमेरिकी कार्रवाई के बारे में पाकिस्तान को तब भनक लगी जब ऑपरेशन को अंजाम दिया जा चुका था. म्यांमार में भारतीय सेना की कार्रवाई म्यांमार सरकार और वहां की सेना की सहमति से संभव हो पाई. जिस तरह से अमेरिकी कमांडो की टीम ने पाकिस्तान में घुस कर ओसामा बिन लादेन को मार गिराया उस तरह के ऑपरेशन के लिए इजरायली एजेंसी मोसाद चर्चित रही है.

क्या पाकिस्तान में भी संभव हैजब केंद्रीय मंत्री राज्यवर्धन सिंह राठौड़ से पूछा गया कि क्या ऐसी कार्रवाई पाकिस्तान के खिलाफ भी संभव है, तो उनका जवाब था, "यह पाकिस्तान समेत सभी देशों और संगठनों के लिए एक संदेश है जो भारत के खिलाफ आतंक को बढावा देते हैं."लेकिन म्यांमार जैसी कार्रवाई पाकिस्तान में कैसे संभव है? क्या पाकिस्तान कभी इसके लिए सहमति देगा? जो पाकिस्तान तमाम सबूत सौंपने के बावजूद मुंबई हमले के गुनहगारों पर कार्रवाई करने को तैयार नहीं है. जो पाकिस्तान दाऊद इब्राहिम को सौंपना तो दूर उसके अपने यहां होने से इनकार करता रहा है. उस पाकिस्तान से ऐसी किसी कार्रवाई में सहयोग की उम्मीद करना समझादारी की बात कैसे हो सकती है?हां, अगर भारत वैसी कार्रवाई करना चाहे जैसा अमेरिका ने एबटाबाद में किया. जैसी कार्रवाई के लिए मोसाद दुनिया भर में जाना जाता है. तो बात अलग है. चुनावों से पहले इस तरह के ऑपरेशन की बात चलने पर तब बीजेपी के पीएम उम्मीदवार रहे नरेंद्र मोदी ने सवाल खड़े कर दिए थे. उस वक्त मोदी ने पूछा था कि मीडिया को बता कर सर्जिकल ऑपरेशन किए जाते हैं क्या?तो क्या मोदी के मंत्री ही अब उनकी बात भूल चुके हैं? अरे, पाकिस्तान क्या जिस किसी के खिलाफ कार्रवाई करनी हो कीजिए ना साहब. वाहवाही और तारीफें सुनते सुनते आप थक जाएंगे. मगर ढिंढोरा पीटने की नासमझी तो मत दिखाइए, प्लीज़.

#मणिपुर हमला, #म्यांमार, #सेना, Myanmar, Indian Army, Surgical Operations

लेखक

मृगांक शेखर मृगांक शेखर @mstalkieshindi

जीने के लिए खुशी - और जीने देने के लिए पत्रकारिता बेमिसाल लगे, सो - अपना लिया - एक रोटी तो दूसरा रोजी बन गया. तभी से शब्दों को महसूस कर सकूं और सही मायने में तरतीबवार रख पाऊं - बस, इतनी सी कोशिश रहती है.

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