चुनाव के बाद सब कस्मे-वादे भूल गए मोदी !
एक रैली को सम्बोधित करते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने कहा था 'जब पाकिस्तान हमारे सैनिकों का सिर काट रहे थे, तब हम उनके पीएम को चिकन बिरयानी खिला रहे थे. सरकार में साहस नहीं है'. तो अब यही सवाल देश आज की सरकार से पूछता है.
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सीमा पर पाकिस्तानी सेना द्वारा एक बार फिर से भारतीय शहीदों के साथ बर्बरता की घटना सामने आई है, इससे पाकिस्तानी सेना में आइसिस की छाप साफ दिख रही है. वह शायद 1949 के जिनेवा कन्वेंशन की मूल गाइडलाइन्स को भी भूल गई है. पाकिस्तान ने सोमवार को दो भारतीय जवानों के अंग भी काट डाले. जिसके बाद भारतीय सेना ने प्रेस रिलीज़ जारी करके कहा.
अब बस भी करो मेरे यारों. कब तक सैनिक इसी तरह मारे जाएंगे, याद है दो दिन पहले एक सैनिक ने वीडियो जारी करके क्या कहा था. आप अपने जवान को तो सजा दे सकते हो लेकिन दुश्मन को सजा देने में आपके पांव थरथराने लगते हैं.
याद कीजिये 8 जनवरी, 2013 की वो सुबह जब भारतीय जवान हेमराज और सुधाकर की हत्या कर दी गई थी. पाकिस्तानी रेंजरों के साथ कुछ आतंकवादी भारत में घुसे और हेमराज और सुधाकर का सिर काटकर अपने साथ ले गए. मथुरा के रहने वाले हेमराज आर्मी की राजपूताना राइफल्स में बतौर लांस नायक तैनात थे. सुधाकर मध्य प्रदेश के रहने वाले थे.
आज की सत्तासीन और तब विपक्ष में रही बीजेपी ने संसद से लेकर रोड तक मनमोहन सिंह सरकार को घेरा था. तब आज की विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने संसद में कहा था कि भारत को एक के बदले 10 सिर लाने चाहिए. इसी मुद्दे को वर्तमान प्रधानमंत्री और तब प्रधानमंत्री पद के दावेदार नरेंद्र मोदी ने अपने चुनावी भाषणों में खूब उठाया था. एक रैली को सम्बोधित करते हुए उन्होंने कहा था, 'जब पाकिस्तान हमारे सैनिकों का सिर काट रहे थे, तब हम उनके पीएम को चिकन बिरयानी खिला रहे थे(चिकन बिरयानी से मतलब था कसाब से) सरकार में साहस नहीं है'. तो अब यही सवाल देश आज की सरकार से पूछता है. बीजेपी के वर्तमान अध्यक्ष अमित शाह ने भी कहा था पीएम बने तो पाकिस्तान हमारे जवानों के सिर काटने जैसी हरकतें दोबारा नहीं कर पाएगा. अब किसकी बारी है, फिर एक बार वही बहस शुरू होगी. शायद नहीं और होने भी नहीं चाहिए.
इससे पहले कब कब इस तरह कि घटनाएं सामने आईं
अक्टूबर 28, 2016 : कुपवाड़ा के माछिल सेक्टर में आतंकियों से मुठभेड़ के दौरान सेना के जवान मंजीत सिंह शहीद हो गए. पाकिस्तान से आए आतंकवादियों ने भारतीय सेना के एक शहीद जवान के शव को क्षत-विक्षत कर दिया था.
8 जनवरी 2013 : पाकिस्तान की बॉर्डर ऐक्शन टीम और आतंकवादियों के दल ने पुंछ सीमा में दाखिल होकर लांसनायक हेमराज सिंह और सुधाकर सिंह की नृशंस हत्या कर दी थी. लौटते समय पाकिस्तानी सैनिक हेमराज का सिर भी साथ ले गए थे.
30 जुलाई 2011 : पाकिस्तान की तरफ से कुपवाड़ा के गुगालदार चोटी पर किए गए हमले में राजपूत और कुमाऊं रेजिमेंट के 6 जवान शहीद हुए थे. हमला करने वाला दल 20 कुमाऊं के हवलदार जयपाल सिंह अधिकारी और लांस नायक देवेंदर सिंह का सिर अपने साथ लेकर गया था. इसका बदला लेने के लिए भारतीय सेना ने 'ऑपरेशन जिंजर' चलाया था. इस हमले में कुल 8 पाकिस्तानी सैनिक मारे गए थे, भारतीय टुकड़ी ने इनमें से 3 पाक सैनिकों का सिर काटकर साथ ले आई थी.
जून 2008 : 2/8 गोरखा राइफल का एक जवान अपना रास्ता भूल गया था. इस जवान को पाकिस्तानी बॉर्डर ऐक्शन टीम ने केल सेक्टर में पकड़ लिया था. कुछ दिन बाद शहीद जवान का शरीर बिना सिर के मिला था. इसके बाद एक जवाबी हमले में भारतीय सेना के जवान 4 पाकिस्तानी सैनिकों के सिर काटकर लेकर आए, इस हमले में पाकिस्तान के कुल 8 जवान मारे गए.
1999 : कारगिल में घुसपैठ के दौरान 5 मई 1999 को कैप्टन सौरभ कालिया और उनके 5 साथियों को पाकिस्तानी फौजियों ने बंदी बना लिया था. 20 दिन बाद इन जवानों के शव सीमा पार से वापस आए तब पाकिस्तानी फौजियों की बर्बरता की कहानी सामने आई. इन जवानों के साथ क्रूरता की सारी हदें पार की गई थीं.
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