तमाम वारदातों के बाद सवाल ये है कि एक बार फिर डराने लगा है पंजाब!
कभी ग्रेनेड हमला तो कभी खालिस्तानी आतंकवाद या फिर ब्लास्ट. बीते कुछ वक़्त से पंजाब में ऐसा बहुत कुछ हो रहा है जो ये बताता है कि पंजाब में कुछ बहुत बड़ा पक रहा है जो पंजाब को एक बार फिर से उसी पुराने 90 के दशक में ले जाना चाहता है जिसकी यादें भी इस देश को डरातीं हैं.
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मोहाली में पंजाब खुफिया विभाग के मुख्यालय पर रॉकेट प्रोपेल्ड ग्रेनेड (RPG) से हमला, उसके चार दिन पहले हरियाणा के करनाल से पकड़े गए बब्बर खालसा इंटरनेशनल के 4 आतंकी, इसके कुछ ही दिन पहले पटियाला में खालिस्तान विरोधी मार्च के दौरान खालिस्तानी समर्थकों का हमला, दिसंबर 2021 में लुधियाना कोर्ट में धमाके, नवंबर 2021 में पठानकोट में भारतीय सेना के कैंप के पास ब्लास्ट, सितंबर 2021 को जलालाबाद में मोटरसाइकिल के जरिए ब्लास्ट, सितंबर 2021 में तेल टैंकर उड़ाने की साजिश, 8 अगस्त 2021 में अजलाना में टिफिन बम से तेल टैंकर में धमाका और इसके एक दिन बाद 9 अगस्त में अमृतसर में आईईडी और टिफिन बम बरामद होना...पिछले एक साल में घटीं ये वो घटनाएं हैं जो ये साबित करने के लिए काफी हैं कि पंजाब में कुछ बहुत बड़ा पक रहा है जो पंजाब को एक बार फिर से उसी पुराने 90 के दशक में ले जाना चाहता है जिसकी यादें भी इस देश को डरातीं हैं.
1980 के दशक में पंजाब में शुरू हुआ आंतकवाद का दौर, ऑपरेशन ब्लू स्टार, पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या और उसके बाद हुए खून खराबे ने देश को वो जख्म दिया जो आजतक नहीं भर सका है. बहुत लम्बे समय तक प्रयास के बाद पंजाब आंतकवाद के चंगुल से बाहर निकला, ऐसे में इस तरह की घटनायें परेशान करने वालीं हैं.
सुरक्षा के मद्देनजर जो हाल पंजाब के हैं वो कई मायनों में चिंता में डालने वाले हैं
ऐसा नहीं है कि इससे पहले पंजाब में आतकवादी घटनाएं नहीं घटीं. नवंबर 2018 में अमृतसर के निरंकारी भवन में ब्लास्ट, जनवरी 2017 में सिरसा के मोड़ मंडी में ब्लास्ट, जनवरी 2016 में पठानकोट एयर बेस पर हमला और 2015 में गुरुदासपुर में पुलिस स्टेशन पर भी हमला हुआ, पर पिछले एक साल में जितनी तेजी से ये घटाएं बढ़ीं हैं वो ये बतातीं हैं कि खतरा हमारी समझ से कही बड़ा है.
पाकिस्तान लेना चाहता है बांग्लादेश का बदला
पंजाब को भारत से अलग करने की पाकिस्तान की ख्वाहिश किसी से छिपी नहीं है. पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री ज़ुल्फ़िकार अली भुट्टों के ये शब्दों 'bleed India with a thousand cuts' को इससे जोड़कर देखा जाता रहा है. पाकिस्तानी सेना के बड़े बड़े सैन्य अधिकारी भी अक्सर ये मानते रहें हैं कि खालिस्तान उनकी ही साजिश का हिस्सा रहा है. आज भी पाकिस्तान खालिस्तान लिबरेशन फोर्स के आतंकवादियों के साथ मिलकर भारत में एक बड़ी घटना को अंजाम देने की फिराक में है.
इसमें सबसे अहम भूमिका खूंखार आतंकवादी हरिंदर उर्फ रिंदा की बताई जा रही है. जो इस समय पाकिस्तान में बताया जा रहा है. ख़ुफ़िया एजेंसियों का कहना है कि रिंदा इस समय पंजाब के भोले भाले नौजवानों को बहला-फुसलाकर अपने नापाक इरादों में शामिल करना चाहता है. वह इस कोशिश में है कि किसी तरह देश के खिलाफ खालिस्तान की मुहिम चलाने के लिए नौजवानों को तैयार कर ले.
किसान आंदोलन में भी लगा था खालिस्तानी हाथ होने का आरोप
लगभग एक साल तक चले किसान आंदोलन पर भी खालिस्तान के हाथ होने का बार बार आरोप लगता रहा. किसान आंदोलन के दौरान हुए प्रदर्शनों में भी कई बार खालिस्तानी झंडे लहराने के आरोप भी लगे थे. कांग्रेस के सांसद रवनीत बिट्टू ने किसान आंदोलन में खालिस्तान आंदोलन से जुड़े लोगों के शामिल होने का आरोप लगाया था.
अमेरिका के वॉशिंगटन डीसी में कृषि कानूनों के खिलाफ प्रदर्शन के दौरान कुछ प्रदर्शनकारियों ने भारतीय दूतावास के पास महात्मा गांधी की मूर्ति में तोड़फोड़ की. इन लोगों ने भारत विरोधी पोस्टरों और बैनरों के साथ खालिस्तानी झंडे लिए हुई थे कई बैनरों पर ‘खालिस्तान गणराज्य’ लिखा हुआ था. इस समूह ने भारत विरोधी और खालिस्तान के समर्थन में नारे भी लगाए थे.
यही नहीं, आतंकवादी एवं सिख फॉर जस्टिस संगठन का संस्थापक गुरपतवंत सिंह पन्नू किसान आंदोलन में शुरू से ही लोगों को तोड़फोड़ के लिए उकसा रहा था. अमेरिका में रहने वाला पन्नू ने गणतंत्र दिवस पर हुए उपद्रव में घायल और आंदोलन के विभिन्न चरणों में जान गंवाने वाले किसानों का विवरण देने की बात कही भी कही थी.
लाल किले पर खालिस्तानी झंड़े लगाने के लिए ईनाम देने की घोषणा
26 जनवरी 2021 को दिल्ली में किसान संगठनों द्वारा आयोजित ट्रैक्टर रैली में जो उपद्रव देखने को मिला, उसके पीछे भी खालिस्तानी संगठन सिख फॉर जस्टिस का हाथ बताया जा रहा है. इसके चीफ आतंकवादी गुरपतवंत सिंह पन्नू ने लालकिला पर झंडा फहराने वाले को 2.5 लाख अमेरिकी डॉलर देने का एलान किया था. जिसके लिए उसने बाकायदा दो हफ्ते पहले से ही मैसेज जारी किया था. यह मामला बाद में उच्चस्तरीय बैठक में भी उठा था और इसको लेकर सुरक्षा एजेंसियों से जवाब भी मांगा गया था.
सिख फॉर जस्टिस के आतंकवादियों ने पंजाब के फतेहगढ़, रूपनगर ,धनौला और राजपुरा में रेफरेंडम 2020 के पोस्टर और होर्डिंग्स लगाए थे और भारतीय जनता पार्टी को धमकी देते हुए कहा कि अगर उनकी होर्डिंग्स हटाने की कोशिश की गई तो दुष्परिणाम भुगतने होंगे. सिख फॉर जस्टिस ने लंदन के ट्राफाल्गर स्क्वेयर में रेफरेंडम 2020 की रैली आयोजित की थी, जिसके बाद केंद्रीय एजेंसियों की नींद उड़ गई थी.
अमृतसर पुलिस ने सिख फॉर जस्टिस के दो आतंकवादियों सुखराज सिंह उर्फ राजू और मलकीत सिंह उर्फ नीतू को गिरफ्तार किया था जो रेफरेंडम 2020 के पोस्टर और बैनर टांग रहे थे. पुलिस जांच में सामने आया था कि सिख फॉर जस्टिस ने इन दोनों को आतंकवाद फैलाने के लिए हवाला से दो लाख रुपये भिजवाए थे.
'खालिस्तान : ए प्रोजेक्ट ऑफ पाकिस्तान' रिपोर्ट में खुलासा
किसान आंदोलन शुरू होने के तीन महीने पहले सितम्बर 2020 में कनाडा के एक प्रमुख थिंक टैंक 'एमएल इंस्टीट्यूट' के अंतर्गत वरिष्ठ पत्रकार टेरी मिलेवक्सी ने अपनी रिपोर्ट 'खालिस्तान: ए प्रॉजेक्ट ऑफ पाकिस्तान' में खुलासा किया था कि खालिस्तानी आतंकी नवंबर 2020 में स्वतंत्र खालिस्तान के लिए जनमत संग्रह कराना चाहते हैं. हालांकि, कनाडा सरकार ने कहा था कि वह इसकी मान्यता नहीं देगी लेकिन रिपोर्ट में चेतावनी दी गई थी कि जनमत संग्रह से अतिवादी विचारधारा को ऑक्सिजन मिल सकती है.
जनमत संग्रह से कनाडा के सिख युवाओं को कट्टरवाद की ओर मोड़ा जा सकता है. रिपोर्ट में ये भी कहा गया था कि पाकिस्तान, भारत के खिलाफ खालिस्तानी आतंकियों को मदद मुहैया करा रहा है और खालिस्तान आंदोलन कनाडा और भारत दोनों की ही सुरक्षा के लिए बड़ा खतरा बन गया है. टेरी ने अपनी इस रिपोर्ट में कहा था कि भले ही भारत में खालिस्तान को लेकर बहुत समर्थन नहीं है, लेकिन पाकिस्तान लगातार खालिस्तानी आंदोलन को जिंदा करने की कोशिशों में जुटा है.
पंजाब में बढ़ती खालिस्तानी गतिविधियों और षड्यंत्रों को बहुत गंभीरता से लेने की ज़रूरत है. अगर कोई संगठन देश की एकता व अखंडता को तोड़ने की कोशिश करता है, तो उसके खिलाफ सुरक्षा एजेंसियों को सख्त होना होगा. जो लोग पंजाब में तबाही का सपना देख रहे हैं, उनसे नागरिकों को सचेत करना होगा.
इसके अलावा सरकार को अमेरिकी सरकार पर दबाव डलवाकर आतकवादी पन्नू पर लगाम लगाने और देश में उसके गुर्गों को पकड़ने की ज़रूरत है. पंजाब सरकार को केंद्र सरकार के साथ मिलकर युवाओं पर ध्यान देना होगा और उन्हें किसी भी तरह बहकने से बचाना होगा, ताकि पंजाब को इनके नापाक मंसूबों से बचाया जा सके.
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