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Updated: 10 अप्रिल, 2015 09:53 AM
शहजाद पूनावाला
शहजाद पूनावाला
  @shehzadpoonawalla
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गुजरात की भाजपा सरकार ने विवादास्पद गुजरात कंट्रोल टेरेरिज्म एंड ऑरगेनाइज्ड क्राइम बिल (GCTOC) पारित कर दिया है. न्याय के बुनियादी सिद्धांतों का उल्लंघन करने वाले इस बिल को दो राष्ट्रपतियों (राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम और राष्ट्रपति प्रतिभा पाटिल) ने पहले भी तीन बार अस्वीकार कर दिया था. बिल में साफ उद्देश्य का अभाव दिखता है. मैं इस पक्षपातपूर्ण बिल पर बुद्धिमान टिप्पणीकारों और विशेष रूप से मीडिया के लोगों के साथ बहस की उम्मीद कर सकता हूँ. हालांकि इस पर सवाल उठाने वालों की देशभक्ति पर ही सवाल खड़े किए जा सकते हैं. इस पर समय दिए जाने की जरूरत है. इस विधेयक में बड़ी खामियां हैं. इन खामियों को "अल्पसंख्यक तुष्टीकरण" या "आतंकवादियों के साथ" या फिर "आतंकवाद पर नरम" के तौर पर नहीं देखा जाना चाहिए. इसका सांप्रदायिक या राजनीतिकरण असली मुद्दों को अंधेरे में ढकेल देगा.

पक्षपातपूर्ण बिल की जड़ में जाने से पहले 2004 पर नजर डालते हैं. अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार ने गुजरात सरकार से इस बिल को वापस लेने की बात कहते हुए इसमें "बड़े बदलाव" के लिए पूछा था. इसके बाद कांग्रेस नेतृत्व वाली संप्रग सरकार ने भी एनडीए वाले रुख को इस मामले में बरकरार रखा. यह बिल मोदी के लिए फायदेमंद है. मोदी ने मुख्यमंत्री के रूप में इस कानून को बनाने का बीड़ा ही नहीं उठाया बल्कि गुजरात सरकार ने 12 साल में चार बार यानी 2004, 2008, 2009 और 2015 में इस कानून को पारित भी किया.

यह विधेयक क्यों है विवादित?यह विधेयक पुलिस को इस तरह की शक्ति प्रदान करता है कि वह खंड 16 के तहत किसी को भी मनमाने ढंग से गिरफ्तार कर सकती है. वह हिरासत में कबूलिया बयान के बाद या खंड 14 के अनुरूप मोबाइल कॉल को ट्रेस कर गिरफ्तारी कर सकती है. पूछताछ की अवधि का विस्तार कर सकती है. यह विधेयक इन अपराधों को गैर जमानती बनाता है.

मोदी का यह कानून पुलिस अधिकारियों को प्रोत्साहित करेगा. साथ ही राजनीतिक प्रतिद्वंद्वियों और असंतुष्टों को बयानों के आधार पर राष्ट्र विरोधी मामलों से जोड़कर उन्हें यातना देने के काम भी आएगा. "सुरक्षा चिंता' के नाम पर स्नूपिंग और फोन टेपिंग का अंधाधुंध उपयोग करने के लिए उन्हें प्रोत्साहित करेगा. जबकि अनुच्छेद 20 द्वारा अवैध फोन टेपिंग, गोपनीयता और निजि सुरक्षा की गारंटी दी जाती है. अनुच्छेद 21 मनमाने ढंग से गिरफ्तारी से सुरक्षा देता है. उसमें कहा गया है कि केवल कानून द्वारा स्थापित प्रक्रिया को छोड़कर, किसी भी व्यक्ति को अपने जीवन या व्यक्तिगत स्वतंत्रता से वंचित नहीं किया जाएगा.

हमें झूठे विकल्पों से खबरदार रहना होगा. "हमें आतंक से हमारे लोगों की रक्षा करनी होगी और अपने सिद्धांतों की रक्षा भी करनी होगी." हम अनिवार्य रूप से इस विधेयक पर कोई समझौता नहीं करना है. यह विधेयक पोटा या टाडा की शक्ल में भगवा लिपस्टिक की एक प्रतिकृति है. हम अपने अधिकारों और हमारी सुरक्षा के लिए एक कानून पर समझौता नहीं करना है. हम उसे स्वीकार कर सकते हैं जो दोनों रूप में सुरक्षा दे सकता हो. यह विधेयक एक दुर्भाग्य है.

, गुजरात, भाजपा, सरकार

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