गुजरात में बीजेपी-मोदी चुनाव जीत तो रहे हैं लेकिन 3 सिरदर्द के साथ...
गुजरात चुनाव को इंडिया टुडे-एक्सिस का एग्जिट पोल आ गया है. इस पोल के अनुसार भाजपा यहां छठी बार जीत दर्ज करती हुई दिख रही है. अब तक सिर्फ पश्चिम बंगाल में ही कम्युनिस्ट पार्टी ने लगातार सात चुनाव जीते हैं.
-
Total Shares
गुजरात चुनाव का एग्जिट पोल बीजेपी को फिर से सरकार बनाता हुआ दिख रहा है. सभी न्यूज चैनलों की ओर से कराए गए सर्वे के मुताबिक बीजेपी ही बड़ी आसानी से सरकार बनाने जा रही है. लेकिन, इसका मतलब ये नहीं कि बीजेपी के लिए सिर्फ खुश होने वाली बात है और कांग्रेस और राहुल के लिए मातम का विषय. पहले एग्जिट पोल के नतीजों पर एक नजर डाल लेते हैं :
गुजरात के एग्जिट पोल नतीजे :
पार्टी सीटें
कांग्रेस+ 68 - 82
बीजेपी 99 - 113
अन्य 1-4
पार्टी वोट शेयर %
कांग्रेस+ 42
बीजेपी 47
अन्य 11
----------------------------
गुजरात के 4 प्रमुख इलाकों के नतीजे :
उत्तर गुजरात
कांग्रेस+ 24
भाजपा- 29
अन्य 0
सौराष्ट्र-कच्छ
कांग्रेस+ 30
भाजपा- 23
अन्य 1
मध्य गुजरात
कांग्रेस+ 11
भाजपा- 29
अन्य- 0
दक्षिण गुजरात
कांग्रेस+ 10
भाजपा- 25
अन्य 0
गुजरात चुनाव को लेकर इंडिया टुडे-एक्सिस का एग्जिट पोल यदि सच साबित हुआ तो बीजेपी यहां छठी बार जीत दर्ज करेगी. और अब तक सिर्फ पश्चिम बंगाल में ही कम्युनिस्ट पार्टी ने लगातार सात चुनाव जीते हैं.
भाजपा को गुजरात की कुल 182 सीटों में से 99-113 सीटें मिलती दिख रही हैं, जबकि कांग्रेस को 68-82 सीटें मिल सकती हैं. वहीं अन्य के खाते में 1-4 सीटें आएंगी. अगर वोट हिस्सेदारी की बात करें तो भाजपा को 47 फीसदी वोट, कांग्रेस को 42 फीसदी वोट और अन्य को 11 फीसदी वोट मिलेंगे. आइए जानते हैं इसे लेकर क्या कहते हैं विशेषज्ञ.
सौराष्ट्र और उत्तर गुजरात में राज्य की बीजेपी सरकार के खिलाफ मूड देखा गया है. यहां से कांग्रेस 48 तो बीजेपी 37 सीटें जीतती हुई नजर आ रही है. लेकिन गुजराती प्रधानमंत्री होने की अस्मिता ने दक्षिण, मध्य और अहमदाबाद के क्षेत्रों में सभी मुद्दों को पीछे छोड़ दिया.
एक्सिस एपीएम के एमडी प्रदीप गुप्ता के अनुसार सौराष्ट्र और नॉर्थ गुजरात में कांग्रेस की जीत पक्की है. उनका मानना है कि अगर ऐसा हो जाता है तो यह साफ हो जाता है कि कांग्रेस के पक्ष में एक लहर है. आपको बता दें कि गुजरात को कुल चार हिस्सों में बांटा गया है, साउथ गुजरात, नॉर्थ गुजरात, सेंट्रल गुजरात और सौराष्ट्र. इनमें से दो में कांग्रेस की जीत वाकई काबिले तारीफ होगी.
गुजरात चुनाव : निर्णायक मुस्कान 18 दिसंबर को दिखेगी.
कांग्रेस के चरण सिंह सापरा का मानना है कि भाजपा नहीं जीतने वाली है, बिहार चुनाव में भी एग्जिट पोल आए थे. लेकिन हुआ कुछ और. सूरत में हमें 5 सीटें मिलेंगी, बड़ौदा में 3-4 सीटें मिलेंगी, सौराष्ट्र और नॉर्थ गुजरात में भी अच्छा किया, हम कम से कम 100 सीटें जीतेंगे.
सापरा के तर्कों की काट करते हुए बीजेपी के अमन सिन्हा दावा कर रहे हैं कि भाजपा इस बार भी जीत रही है. अगर 22 सालों के बाद भी लगातार 6वीं बार लोग भाजपा को पसंद करते हैं तो भाजपा के काम से खुश हैं.
- पुरुषों में कांग्रेस और बीजेपी के वोटरों का अंतर 6 प्रतिशत है, जबकि महिलाओं के मामले में यह अंतर 9 प्रतिशत है. और दोनों ही खाते में बीजेपी को फायदा है. महिलाओं के मामले में ये कहा जा रहा है कि मोदी की साफ छवि और उज्ज्वला योजना, मुफ्त एलईडी बल्ब बांटने जैसी लोकलुभावन योजनाएं बीजेपी को फायदा पहुंचा रही हैं.
- अनुसूचित जाति और मुस्लिम ने ज्यादातर कांग्रेस का साथ दिया है. मुस्लिम महिला और पुरुषों के वोटिंग पैटर्न में कोई खास बात नहीं देखी गई है.
- ओबीसी, सवर्णों ने बीजेपी को ही वोट दिया है, लेकिन कोली, ठाकोर और पटेल वोट बंट गए हैं.
कुछ बातें बीजेपी और मोदी के लिए...
- बीजेपी ने शुरुआत गुजरात में 150 सीट जीतने के नारे से की थी. लेकिन वह 100 या 100+ सीटों के आसपास सिमट दिख रही है. जबकि कांग्रेस जिसके पास पिछले चुनाव में 60 सीटें थी, जिनमें से 15 कांग्रेस विधायक छिटक कर चले गए. लेकिन उसके बावजूद कांग्रेस 60-80 सीटें जीत रही है तो यह बीजेपी के लिए चिंता की बात है.
- जिस गुजरात के विकास मॉडल की बात मोदी देश और दुनियाभर में करते थे, उन्होंने उस मुद्दे को एक तरफ रखकर चुनाव के आखिर में राम मंदिर, हिंदुत्व और पाकिस्तान को मुद्दा बनाया. यानी यह साबित हो गया कि चुनाव जीतने के लिए राष्ट्रवाद, धर्म और संस्कृति बीजेपी के प्रमुख हथियार हैं.
- यदि बीजेपी चुनाव जीत भी रही है तो उसके सामने कुछ मुद्दे सिरदर्द बनकर खड़े होंगे. जिनमें रोजगार, पटेल आरक्षण, किसानों की समस्या शामिल है.
कुछ बातें कांग्रेस और राहुल गांधी के लिए...
- राहुल गांधी का 'गब्बर सिंह टैक्स' वाला जुमला उसे वोट नहीं दिला पाया. लोगों ने इस जुमले को सुना तो खूब लेकिन इस समस्या के समाधान के लिए नरेंद्र मोदी की ओर ही मुंह किया. नोटबंदी का गुस्सा भी किसी तरह से एग्जिट पोल में दिखाई नहीं दे रहा है.
- कांग्रेस के पिछड़ने की एक बड़ी वजह है राहुल गांधी का देरी से प्रचार के लिए सक्रिय होना. कहा जा रहा है कि यदि हार्दिक पटेल, जिग्नेश मेवाणी और अल्पेश ठाकुर के साथ कांग्रेस का तालमेल यदि छह महीने पहले जनता के बीच पहुंच गया होता तो तस्वीर कुछ और होती.
- मंदिर-मंदिर घूम रहे राहुल गांधी का 18 से 35 वर्ष के बीच के मतदातओं ने साथ दिया है. यह बीजेपी के लिए चिंता का विषय होगा. जो कि रोजगार के मुद्दे की ओर इशारा कर रहा है.
- जफर सारेशवाला मानते हैं कि राहुल गांधी ने अगर कहीं पर कुछ अच्छा किया तो यह पीएम मोदी पर एक डेंट होगा. नोटबंदी और जीएसटी के बावजूद अभी भी मोदी एक ब्रांड हैं. लोगों में भरोसा नहीं है कि कांग्रेस इसे ठीक कर पाएगी. सरेशवाला ये भी कहते हैं कि इस चुनाव ने गुजरात को एक नया नेता दिया है, हार्दिक पटेल. जो पटेल कम्युनिटी से आगे जाकर लोगों को अपनी मुहिम में शामिल करना चाहता है. उम्मीद है वह इस चुनाव के बाद भी सक्रिय रहेगा.
आपकी राय