Handwara में शहादत और देश के कोरोना वारियर्स को सैल्यूट - बेमिसाल है भारतीय सेना!
सेना और उसके जवान (Indian Army), जिन्हें पूरा देश बारहों महीने सैल्यूट करता है वे देश भर में कोरोना वॉरियर्स (Corona Warriors) को सलाम कर रहे थे - और उनके कुछ साथी हंदवाड़ा में आतंकियों से (Handwara Encounter) मोर्चा ले रहे थे - एक तरफ सीने पर गोली और दूसरी तरफ देश भर में फूल बरसाते देखना ऐतिहासिक तो रहा ही बेमिसाल भी है.
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जब सेना (Indian Army) के फाइटर प्लेन कोरोना वॉरियर्स (Corona Warriors) को सैल्यूट कर रहे थे और हेलीकॉप्टर कोरोना वॉरियर्स पर फूल बरसा रहे थे, तभी जम्मू-कश्मीर (Handwara Encounter) से दो अफसरों सहित पांच बहादुरों की शहादत की भी खबर आयी - एक तरफ सीने पर गोली चल रही थी और दूसरी तरफ वे लोग ही फूल बरसा रहे थे.
भला ऐसी मिसाल देखी है! देश जिन्हें सैल्यूट करता है, कोरोना वॉरियर्स को उनकी सलामी बेमिसाल है!
जैसे भारत रत्न हो!
जिस तरह सेना देश के दुश्मनों से लड़ रही है, इन दिनों स्वास्थ्यकर्मी और बाकी कई और लोग खुद की जान जोखिम में डालकर ड्यूटी पर डटे हुए हैं - ताकि जो लोग कोरोना वायरस के चलते घरों में कैद हैं वो सुरक्षित रहें. कोरोना वॉरियर्स भी फौजी की तरह ही ड्यूटी पर कोरोना वायरस से जंग में मोर्चा संभाले हुए हैं.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अपील पर देश कोरोना के इन कर्मवीरों के लिए कभी ताली और थाली बजाता है तो कभी दीया भी जलता है. अब ये काम सेना ने अपने हाथ में ले लिया और घूम घूम कर पूरे देश में फूल बरसाये.
देश की सेना. सेना मतलब तीनों सेनाएं. वो सेना जिसे पूरा देश सैल्यूट करता है. वही सेना देश भर में जान जोखिम में डाल कर कोरोना वायरस से लड़ रहे कर्मवीरों के सम्मान में फूल बरसा रही थी - कश्मीर से लेकर कन्याकुमारी तक और शिलॉन्ग से लेकर कच्छ तक हेलिकॉप्टरों से चौतरफा फूल बरसाये जा रहे थे.
सैल्यूट का ये अंदाज अद्भुत और अनोखा तो रहा ही, दुनिया में कहीं कोई ऐसी मिसाल तो नहीं ही दिखी है.
आर्मी के बैंड अस्पतालों के सामने डॉक्टरों और स्वास्थ्यकर्मियों के सम्मान में वैसे ही बैंड बजा रहे थे जैसे गणतंत्र दिवस के मौके पर या जश्न दूसरे मौकों पर देखने को मिलता है. देश भर में एक वक्त एक जैसा ही नजारा देखा गया.
चाहे वे डॉक्टर हों नर्स हों या दूसरे स्वास्थ्यकर्मी. चाहे वे पुलिसवाले हों या सशस्त्र बलों के सिपाही और अफसर. या फिर कोई सफाई कर्मी - सबको बराबर सम्मान दिया गया. फूल जैसे खुद आगे बढ़ कर आ रहे हों और कह रहे हों - मुझे तोड़ लेना वन माली उस पथ पर तुम देना फेंक, मातृभूमि पर शीष चढ़ाने जिस पथ जायें वीर अनेक.
कोरोना के कर्मवीरों के हवाई सैल्यूट के नजारे का गवाह पूरा देश बना है. देख कर ऐसा लगा जैसे कोशिश ये हो कि सम्मान-वर्षा से कोई बगैर भीगा न रह जाये - और शुक्रिया भी ऐसे अंदाज में कि जमाना अरसे तक याद रखे. जैसा चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ बिपिन रावत ने बताया था लॉकडाउन 2.0 के आखिरी दिन ठीक वैसे ही सब हु्आ भी.
शुक्रिया का ये अंदाज तो लाजवाब है!
देश में सबसे बड़ा नागरिक सम्मान भारत रत्न होता है जो अक्सर एक या कुछ लोगों को दिया जाता. पद्म पुरस्कारों की संख्या भारत रत्न के मुकाबले ज्यादा रहती है. अगर ताली बजाना पद्मश्री पुरस्कार रहा, अगर थाली बजाना पद्मभूषण रहा और दीया जलाना पद्मविभूषण सम्मान रहा तो कोरोना वॉरियर्स पर घूम घूम कर फूल बरसाना उनको भारत रत्न देने जैसा रहा. कोरोना से जंग में ऐसा हर योद्धा आखिर भारत रत्न नहीं है तो क्या है. ऐसे सम्मान का उनका हक तो बनता ही है.
बेजोड़ और बेमिसाल!
हंदवाड़ा के चांगिमुल इलाके में आतंकवादियों की मौजूदगी की खुफिया जानकारी मिली थी. फिर सुरक्षा बलों ने संयुक्त ऑपरेशन शुरू किया. ऑपरेशन में राष्ट्रीय राइफल्स के कर्नल आशुतोष शर्मा की अगुवाई में सेना और जम्मू-कश्मीर पुलिस के जवान भी शामिल हुए.
सुरक्षा बलों ने घर के अंदर छिपे आतंकवादियों का डट कर मुकाबला किया और फायरिंग के बीच जांबाजों ने घर से लोगों को सुरक्षित भी निकाल लिया. एनकाउंटर के दौरान वे लोग घर के अंदर भी गये जहां आतंकी छिपे हुए थे. दोनों आतंकवादियों तो मार गिराया लेकिन खुद भी कुर्बान हो गये. ऑपरेशन में कर्नल आशुतोष शर्मा, मेजर अनुज सूद, नायक राजेश और लांस नायक दिनेश के साथ साथ जम्मू-कश्मीर पुलिस के एक सब-इंस्पेक्टर शकील काजी भी शहीद हो गये.
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने ट्विटर पर लिखा है - 'हंदवाड़ा में सैनिकों और सुरक्षाकर्मियों की क्षति परेशान करने वाली और दुखद है. आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में इन्होंने अनुकरणीय बहादुरी दिखाई है... हम इनकी बहादुरी और शहादत को कभी नहीं भूल पाएंगे.' प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी अपने ट्वीट में कभी न भूलने वाली बात कही है.
Tributes to our courageous soldiers and security personnel martyred in Handwara. Their valour and sacrifice will never be forgotten. They served the nation with utmost dedication and worked tirelessly to protect our citizens. Condolences to their families and friends.
— Narendra Modi (@narendramodi) May 3, 2020
The loss of our soldiers and security personnel in Handwara(J&K) is deeply disturbing and painful. They showed exemplary courage in their fight against the terrorists and made supreme sacrifice while serving the country. We will never forget their bravery and sacrifice.
— Rajnath Singh (@rajnathsingh) May 3, 2020
ऑपरेशन को लेकर सूत्रों के हवाले से आयी जानकारी बताती है कि आतंकवादियों से मुठभेड़ के दौरान जवानों से संपर्क टूट गया था, जिसके बाद कर्नल आशुतोष शर्मा के फोन पर कॉल की गयी, तो उधर से आवाज आयी - अस्सलाम् वालैकुम! ये दोनों में से एक आतंकवादी की आवाज थी. इसके बाद सुरक्षा बलों की और टीम ऑपरेशन में लगायी गयी - दोनों आतंकवादी ढेर कर दिये गये. बताते हैं कि मारे गये दो आतंकवादियों में से एक लश्कर का कमांडर हैदर है, जबकि दूसरे की शिनाख्त नहीं हो पायी है.
शहीद हुए कर्नल आशुतोष शर्मा 21 राष्ट्रीय राइफल्स के कमांडिंग ऑफिसर थे और वो दो-दो बार वीरता पुरस्कारों से सम्मानित हुए थे. काउंटर-टेररिज्म ऑपरेश में उन्हें महारत हासिल और इलाके में आतंकवादियों के बीच उनके नाम की दहशत हुआ करती थी. कई बार खुद जान जोखिम में डाल कर जवानों की जान बचायी थी. एक बार तो एक आतंकी हैंड ग्रेनेड लिए एक जवान की तरफ बढ़ रहा था तभी काफी करीब से उसे गोली मार जवान को बचा लिया था.
आतंकवादियों के साथ मुठभेड़ में ऐसा हालात आये दिन बने रहते हैं. हर वक्त चुनौती. कब किधर से गोली आ जाये मालूम नहीं होता - और ऐन उसी वक्त जवाबी कार्रवाई भी करनी होती है. गोली बचने की वजह भी जान बचानी नहीं बल्कि जिंदा रह कर आतंकी को मार गिराना होता है. सेना के शूर वीरों को अगर किसी की जान की परवाह होती है तो वे आम नागरिक होते हैं. हंदवाड़ा ऑपरेशन में भी तो यही हुआ. आतंकवादी जिस घर में छिपे हुए थे, घर के लोगों को ही ढाल बनाये हुए थे. सुरक्षा बलों की टीम ने लोगों को सुरक्षित बाहर भी निकाल लिया, लेकिन खुद की परवाह नहीं की - बढ़ते गये. बढ़ते गये जिधर से गोलियां आ रही थीं. क्योंकि गोलियों का वो स्रोत खत्म करना था. इनके इरादों को, उनके मंसूबों को सभी का खात्मा करना था.
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