गुजरात में महाभारत की कहानी सुनाकर राहुल ने तो कांग्रेस को और उलझा दिया
गुजरात में राहुल गांधी महाभारत की जो कहानी सुनाते हैं वो काफी उलझी हुई लगती है. कहानी के जरिये राहुल गांधी गुजरात की लड़ाई के बारे में समझाना चाहते हैं, लेकिन कहानी से मामला और उलझा हुआ लगने लगता है.
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अमेरिका में धूम मचाने के बाद, राहुल गांधी ने जितने भी दिन गुजरात में अब तक गुजारे - कांग्रेस चर्चा में रही. अब राहुल गांधी लोगों को महाभारत की कहानी सुना रहे हैं, लेकिन राहुल की कहानी सुन कर ये समझना मुश्किल हो रहा है कि वो किसे पांडव बता रहे हैं और किसे कौरव.
पहले विकास, अब गुजरात मॉडल
राहुल गांधी अपनी हर यात्रा में रास्ते में आने वाले मंदिर में दर्शन करने जरूर जाते हैं. गांव जाकर किसानों और महिलाओं से मिल कर बातचीत भी करते हैं. पहले राहुल गांधी हर रैली और मीटिंग में कांग्रेस के सोशल मीडिया कैंपेन 'विकास पागल हो गया है' को एनडोर्स करते रहे - अब उनके निशाने पर गुजरात का विकास मॉडल है. वही मॉडल जिसके नाम पर नरेंद्र मोदी ने 2014 में वोट मांगा और प्रधानमंत्री की कुर्सी पर बैठे.
अथ श्रीमहाभारत कथा...
राहुल समझाते हैं कि प्रधानमंत्री मोदी जब अपने मोबाइल से सेल्फी लेने के लिए बटन दबाते हैं तो उससे चीन में एक नौजवान को रोजगार मिल जाता है. बताते हैं कि सारी कवायद के बावजूद देश में मेड इन चाइना ही चल रहा है. कहते हैं - चीन हर रोज 50 हजार युवाओं को रोजगार देता है तो मेक इन इंडिया में महज 450 युवाओं को ही काम मिल पाता है. फिर राहुल गांधी सवाल पूछते हैं - क्या यही गुजरात मॉडल है?
वो टाटा नैनो प्लांट का जिक्र करते हैं, स्कूलों के प्राइवेटाइजेशन की बात करते हैं - और पूछते हैं कि क्या यही गुजरात मॉडल है?
इन बातों के साथ ही राहुल गांधी लोगों को महाभारत की कहानी भी सुनाते हैं - जैसे जैसे कहानी आगे बढ़ती उलझन भी बढ़ने लगती है.
कहानी की तरह उलझी है कांग्रेस
गुजरात मॉडल की खिल्ली उड़ाने के बाद राहुल गांधी महाभारत की कहानी सुनाते हैं. ये बात अलग है कि कहानी सुनाने के रौ में बहते हुए कृष्णजी और अर्जुन जी का नाम लेते लेते दुर्योधन के साथ भी 'जी' लगा बैठते हैं. महाभारत में दुर्योधन की भूमिका के चलते उसे सम्मान नहीं दिया जाता. लेकिन कौन कहे, दिग्विजय सिंह भी तो ओसामाजी कह कर ही बुलाते हैं.
अर्जुन और कृष्ण की मुलाकात का प्रसंग उठाते हुए राहुल कहते हैं - कृष्ण ने दुर्योधन से कहा लड़ाई नहीं होनी चाहिये, पांडवों को सिर्फ पांच गांव चाहिये. दुर्योधन कहता है कि वो सूई की नोक बराबर जमीन भी पांडवों को नहीं देगा.
फिर राहुल बताते हैं कि ताजा महाभारत में एक तरफ गुजरात की जनता है और दूसरी तरफ चार-पांच उद्योगपति. उसके बाद कहते हैं - आज मोदी जी के पास सबकुछ है. अलग-अलग राज्यों में सरकार है. मध्य प्रदेश, गुजरात, उत्तर प्रदेश, छत्तीसगढ़, राजस्थान कई राज्यों में सरकार है, शक्ति है. आरोप है कि पूरा का पूरा काम चार-पांच कंपनियों के लिए होता है. गुजरात की जनता को कोई फायदा नहीं होता. सूई की नोक बराबर भी लोगों को फायदा नहीं मिलता.
राहुल गांधी की कहानी सुन कर समझ में नहीं आता कि वो असल में पांडव किसे बताना चाहते हैं और किसे कौरव. वो भले चार-पांच कंपनियों को कौरवों के रूप में समझाना चाहते हों और लेकिन आम लोगों के लिए ये कहानी उलझी हुई लगती है.
लोचा सिर्फ इतना ही नहीं है, बीजेपी विरोधी खेमा जो कांग्रेस के साथ हो सकता था उसे भी कांग्रेस का स्टैंड समझ नहीं आ रहा है. बीजेपी सरकार के तीन कट्टर विरोधियों में से सिर्फ अल्पेश ठाकोर ही कांग्रेस के साथ हो पाये हैं. हार्दिक पटेल और जिग्नेश मेवाणी अब भी कांग्रेस को तौल ही रहे हैं.
हार्दिक पटेल के कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी से मुलाकात के कयास लगाये जा रहे थे, लेकिन उन्होंने ये कह कर फिलहाल टाल दिया कि आरक्षण पर जब तक स्थिति स्पष्ट नहीं हो जाती वो आगे नहीं बढ़ेंगे. जिग्नेश मेवाणी भी बार बार यही कह रहे हैं कि वो कांग्रेस क्या कोई भी पार्टी नहीं ज्वाइन करने जा रहे हैं.
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