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Updated: 19 मई, 2022 01:07 PM
देवेश त्रिपाठी
देवेश त्रिपाठी
  @devesh.r.tripathi
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तकरीबन तय हो चुका है कि गुजरात विधानसभा चुनाव से पहले कांग्रेस में चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर की एंट्री हो जाएगी. माना जा रहा है कि प्रशांत किशोर की रणनीति के सहारे गुजरात में कांग्रेस के लिए राजनीतिक परिदृश्य तेजी से बदलेंगे. लेकिन, गुजरात में कांग्रेस के लिए हालात कहीं से भी अनुकूल होते नजर नहीं आ रहे हैं. गुजरात कांग्रेस के कार्यकारी अध्यक्ष हार्दिक पटेल ने बागी तेवर अख्तियार करते हुए पार्टी के प्रदेश नेतृत्व के खिलाफ मोर्चा खोला हुआ है. शीर्ष नेतृत्व की ओर से सार्वजनिक रूप से बयानबाजी से बचने की चेतावनी के बावजूद हार्दिक पटेल खुलकर अपनी बात रखते नजर आ रहे हैं. हार्दिक पटेल ने भाजपा के नेतृत्व की फैसले लेने की क्षमता की तारीफ भी की. इतना ही नहीं, खुद के हिंदू होने पर गर्व की बात भी कह गए.

आज तक से बातचीत में पाटीदार नेता हार्दिक पटेल ने कहा है कि 'गुजरात में कांग्रेस पार्टी के साथ समस्या नेतृत्व की है. मुझे गुजरात में किसी खास नेता से दिक्कत नहीं है. लेकिन, प्रदेश नेतृत्व किसी को काम नहीं करने दे रहा है. और, अगर कोई काम करना चाहता है, तो उसे करने से रोक देते हैं.' हार्दिक ने कहा कि 'मैंने इस बारे में कांग्रेस के शीर्ष नेतृत्व को बताया है. और, आलाकमान ने इस पर जल्द निर्णय लेने का आश्वासन दिया है.' भाजपा की तारीफ करते हुए पटेल ने कहा कि 'गुजरात में भाजपा का मजबूत आधार है. उनके पास फैसले लेने की क्षमता है. हमें दुश्मन की ताकत को स्वीकार करना चाहिए.' वहीं, खुद को गर्वित हिंदू बताते हुए हार्दिक पटेल ने कहा है कि 'हम भगवान राम को मानते हैं. अपने पिता की निधन की बरसी पर मैं भगवत गीता की 4000 बांटने जा रहा हूं. हम हिंदू धर्म से हैं और हमें हिंदू होने पर गर्व है.'

वैसे, हार्दिक पटेल लंबे समय से कांग्रेस के शीर्ष नेतृत्व से भी खफा हैं. क्योंकि, बीते कुछ महीनों में कई शिकायतें करने के बावजूद कांग्रेस आलाकमान गुजरात में संगठन को लेकर चेत नहीं रही है. अपनी ही पार्टी के खिलाफ हार्दिक पटेल की इस मुखरता ने कई कयासों को जन्म दे दिया है. और, इन कयासों को भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष सीआर पाटिल ने हार्दिक पटेल की तारीफ कर हवा दे दी है. हालांकि, पटेल का कहना है कि वह कांग्रेस छोड़कर कहीं नहीं जा रहे हैं. लेकिन, बीते दिनों आम आदमी पार्टी की गुजरात यूनिट के अध्यक्ष भी हार्दिक पटेल की प्रशंसा करते नजर आ चुके हैं. पटेल के हालिया बयानों पर नजर डाली जाए, तो उनकी नाराजगी आसानी से समझी जा सकती है. इस स्थिति में सवाल उठना लाजिमी है कि हार्दिक पटेल के सामने आखिर क्या राजनीतिक विकल्प हैं?

political options in front of Hardik Patelहार्दिक पटेल का कहना है कि गुजरात में कोई काम करना चाहे, तो कांग्रेस नेता उसे रोक देते हैं.

क्या भाजपा में शामिल होकर 'राजनीतिक खुदकुशी' करेंगे हार्दिक?

भाजपा की तारीफ करने के बाद पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष सीआर पाटिल की ओर से हार्दिक पटेल को लेकर कहा गया है कि 'यह अच्छा है कि उन्होंने सार्वजनिक रूप से इसे कहने का साहस दिखाया. बहुत लोग ऐसा नहीं करते हैं.' गुजरात भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष की ओर से ये कहा जाना हार्दिक पटेल के भगवा दल में शामिल होने के कयासों को हवा देने के लिए काफी है. लेकिन, भाजपा में शामिल होना हार्दिक पटेल के लिए इतना आसान नहीं होने वाला है. क्योंकि, भले ही हार्दिक खुद को गर्वित हिंदू बताकर सॉफ्ट कॉर्नर बनाने की कोशिश करें. लेकिन, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह के खिलाफ आग उगलती भाषा में दिए गए पटेल के बयान उनके रास्ते में आड़े आ ही जाएंगे.

इन सबसे इतर हार्दिक पटेल के लिए भाजपा में शामिल होना एक तरह से 'राजनीतिक खुदकुशी' ही साबित होगा. क्योंकि, जिस भाजपा का विरोध कर हार्दिक पटेल ने पाटीदार आंदोलन खड़ा किया. और, उसके सहारे भाजपा को पिछले विधानसभा चुनाव में काफी हद तक नाकों चने चबवा दिए. अब उसी भाजपा में अगर हार्दिक शामिल होते हैं, तो उनका सियासी आधार अचानक से गायब हो जाएगा. हार्दिक पटेल पर अवसरवादी राजनीति के आरोप लगना तय हैं. लेकिन, हार्दिक के लिए भाजपा में केवल यही चुनौती नहीं है. भाजपा के स्थापित पाटीदार नेताओं से भी उन्हें पार्टी में बने रहने के लिए मोर्चा लेना होगा. क्योंकि, दशकों से भाजपा के साथ जुड़े ये नेता यूं ही हार्दिक पटेल को अपने बीच स्वीकार नहीं कर पाएंगे.

आम आदमी पार्टी तो खुद ही खोज रही है सियासी आधार

दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल पंजाब में आम आदमी पार्टी की जीत के बाद गुजरात चुनाव को लेकर बहुत ज्यादा उत्साहित हैं. आम आदमी पार्टी मान रही है कि वह गुजरात में भाजपा के सामने कांग्रेस का विकल्प बन सकती है. आम आदमी पार्टी और अरविंद केजरीवाल की नजर निश्चित तौर से हार्दिक पटेल पर होगी. क्योंकि, गुजरात में आम आदमी पार्टी की यूनिट के अध्यक्ष गोपाल इटालिया ने पटेल को उनके जैसी समान विचारधारा की पार्टी में शामिल होने का न्योता भी दे दिया था. देखा जाए, तो हार्दिक पटेल और आम आदमी पार्टी की विचारधारा काफी मेल खाती है. और, कांग्रेस की आंतरिक खींचतान में घिरे हार्दिक के लिए आम आदमी पार्टी किसी मौके से कम नहीं है. लेकिन, आम आदमी पार्टी के सामने गुजरात में सबसे अहम चुनौती अपना सियासी आधार बनाना है.

हार्दिक पटेल को आम आदमी पार्टी में शामिल करने से पहले अरविंद केजरीवाल शायद ही दोबारा सोचेंगे. क्योंकि, हार्दिक पटेल के तौर पर राष्ट्रीय पहचान रखने वाला गुजरात का एक पाटीदार नेता अगर आम आदमी पार्टी के खेमें में खड़ा नजर आता है. तो, इससे कांग्रेस को झटका लगेगा. और, कांग्रेस के कमजोर होने से बनने वाली खाली जगह में आम आदमी पार्टी खुद को फिट कर लेगी. लेकिन, सियासी तौर पर आम आदमी पार्टी में शामिल होने का फैसला हार्दिक पटेल के लिए सही नहीं कहा जा सकता है. क्योंकि, गुजरात में आम आदमी पार्टी अभी खुद के लिए पैर रखने की जगह बना रही है. अगर हार्दिक पटेल का ये दांव फेल हो गया, तो आम आदमी पार्टी के साथ ही उनके राजनीतिक करियर पर भी प्रश्नचिन्ह लग जाएगा.

कांग्रेस में सुनवाई नहीं, बावजूद इसके कोई विकल्प भी नहीं

12 मार्च 2019 को कांग्रेस में शामिल हुए हार्दिक पटेल ने महज 16 महीनों में ही प्राथमिक सदस्य से गुजरात के कार्यकारी प्रदेश अध्यक्ष का पद हासिल कर लिया था. लेकिन, इसके बाद गुजरात कांग्रेस के ही कुछ धड़ों के नेताओं ने हार्दिक पटेल को साइडलाइन करना शुरू कर दिया. पटेल को गुजरात कांग्रेस की बैठकों में शामिल होना का न्योता तक नहीं दिया जा रहा है. जिससे खफा होकर बीते दिनों हार्दिक पटेल ने कहा था कि प्रदेश कांग्रेस में मेरी हालत ऐसी है, जैसे नए दूल्हे की नसबंदी करा दी गई हो. दरअसल, हार्दिक पटेल गुजरात कांग्रेस की खेमेबाजी को लेकर लगातार आलाकमान के सामने चिंता जाहिर करते रहे हैं. लेकिन, कांग्रेस का शीर्ष नेतृत्व अपनी ही उलझनों में फंसा हुआ नजर आया. आसान शब्दों में कहा जाए, तो कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी के करीबी होने के बावजूद हार्दिक पटेल के लिए उनकी मदद का हाथ छोटा पड़ गया.

वहीं, कांग्रेस में पाटीदार समाज के एक और नेता नरेश पटेल के भी शामिल होने को लेकर चर्चाएं तेज हैं. कयास लगाए जा रहे हैं कि प्रशांत किशोर कांग्रेस में शामिल होने के बाद नरेश पटेल को अपने साथ चुनावी पैकेज में लेकर आएंगे. और, संभावना है कि मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार के तौर पर नरेश पटेल को ही आगे किया जाए. हालांकि, इस मामले में हार्दिक पटेल पहले ही साफ कर चुके हैं कि पार्टी को आगे बढ़ाने के लिए नरेश पटेल को लाया जाना चाहिए. लेकिन, शायद ही हार्दिक पटेल सीएम पद के लिए नरेश पटेल के नाम पर तैयार होंगे. आसान शब्दों में कहा जाए, तो हार्दिक पटेल के सामने हाल-फिलहाल में कांग्रेस से बेहतर कोई विकल्प नही है. क्योंकि, अभी उनकी उम्र सिर्फ 28 साल है. और, उनके आगे अभी पूरा राजनीतिक करियर पड़ा हुआ है.

लेखक

देवेश त्रिपाठी देवेश त्रिपाठी @devesh.r.tripathi

लेखक इंडिया टुडे डिजिटल में पत्रकार हैं. राजनीतिक और समसामयिक मुद्दों पर लिखने का शौक है.

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